Friday, November 22"खबर जो असर करे"

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मणिपुर हिंसा को इस अर्थ में भी देखिए

मणिपुर हिंसा को इस अर्थ में भी देखिए

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- रमेश शर्मा हिंसा के तीन सप्ताह बीत जाने के बाद भी मणिपुर में सामाजिक तनाव कम नहीं हुआ है । वहां यह हिंसा न तो पहली है और न अंतिम । अभी सशस्त्र बलों की उपस्थिति से हमलावर छिप गए हैं। स्थिति नियंत्रण में लग रही है पर हिंसक तत्व सक्रिय हैं। सशस्त्र बलों के कम होने के बाद वे फिर सक्रिय होंगे और अपने हिंसक अभियान में जुटेंगे। इसका कारण यह है कि यह हिंसा किसी भीड़ के अचानक हिंसक हो जाने की घटना नहीं है अपितु बहुसंख्यक को भगाने अथवा उन्हें रूपान्तरित करने के षड्यंत्र का अंग है जो मणिपुर में वर्षों से चल रहा है । मणिपुर से हिंसा के जो समाचार मीडिया के माध्यम से आए उनमें कहा गया कि यह हिंसा आरक्षण के समर्थन और विरोध की प्रतिक्रिया है । दिखने-दिखाने में तो यही लगता है । इस हिंसा की वास्तविकता कुछ और है । मणिपुर में ऐसी हिंसा वर्षों से चल रही है। अकेले मणिपुर में ही क्यों, ऐसी हिंसा देश भर में हो ...
बढ़ती आबादी के खतरे भी कम नहीं

बढ़ती आबादी के खतरे भी कम नहीं

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- योगेश कुमार गोयल यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड (यूएनएफपीए) के मुताबिक दुनिया की आबादी आठ अरब हो गई है, जिसे सात से आठ अरब होने में केवल 12 वर्ष का समय लगा है। जबकि दुनिया की आबादी को 1 से 2 अरब होने में 100 साल से भी ज्यादा लगे थे। हालांकि दुनिया की आबादी तेजी से बढ़ने को संयुक्त राष्ट्र मानवता की उपलब्धियों के प्रमाण के रूप में देख रहा है और यह सही भी है कि इसमें सबसे बड़ा योगदान शिक्षा तक पहुंच का विस्तार, स्वास्थ्य देखभाल में प्रगति, लैंगिक असमानता में कमी इत्यादि कारकों का है लेकिन भारत जैसे विकासशील देशों के लिए बढ़ती आबादी के खतरे भी कम नहीं हैं। यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की आबादी एक अरब बढ़ने में भारत की हिस्सेदारी 17.7 करोड़ और चीन की 7.3 करोड़ रही यानी आबादी के बढ़ते ग्राफ के मामले में भारत चीन से बहुत निकल गया है तथा अगले साल तक भारत की आबादी चीन से भी ज्यादा हो जाएगी यानी भार...

चरखे पर कताई पूजा से कम नहीं : प्रधानमंत्री मोदी

देश
खादी का एक धागा आजादी के आंदोलन की ताकत बना व गुलामी की जंजीरों को तोड़ दिया : प्रधानमंत्री अहमदाबाद/नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने खादी (Khadi) को देश की विरासत (country's heritage) बताते हुए कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन (independence movement) को मजबूती देने वाला खादी का धागा विकसित और आत्मनिर्भर भारत के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है। उन्होंने कहा कि चरखे पर कताई पूजा से कम नहीं है। खादी उत्सव को संबोधित करते हुए शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी ने चरखा के साथ अपने व्यक्तिगत संबंध को याद किया। अपने बचपन का स्मरण किया, जब उनकी मां चरखा पर काम करती थीं। उन्होंने कहा, “साबरमती का यह किनारा आज धन्य हो गया है। भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ के दौरान 7,500 बहनों और बेटियों ने एक साथ चरखे पर सूत कातकर नया इतिहास रचा है।” उन्होंने कहा कि चरखे पर कताई पूजा से ...