रोहिंग्याओं पर कोई समझौता नहीं, इनके मानवीय अत्याचारों को नहीं किया जा सकता माफ
- डॉ. मयंक चतुर्वेदी
भारत में अवैध तरीके से घुसे रोहिंग्याओं पर देश में ही वकालत करने वाले खड़े हो गए हैं। ऐसे सभी लोग भारत में अवैध तरीके से की गई इनकी पूरी घुसपैठ को कभी सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (सीएए) से जोड़कर देखते हैं, तो कभी तिब्बत और श्रीलंका के शरणार्थियों के समान ही भारत सरकार द्वारा रोहिंग्याओं के साथ व्यवहार किए जाने की बात करते हैं । किंतु इस सब के बीच रोहिंग्याओं का समर्थन करनेवाले यह विचार करना भूल जाते हैं कि क्या उन लोगों को भारत में नागरिकता प्रदान की जानी चाहिए, जिन्होंने अपने ही देश म्यांमार में बहुसंख्यक समाज के ऊपर अत्याचार किए। जिसका परिणाम हुआ कि शांति प्रिय बौद्ध हिंसा करने के लिए मजबूर हो उठे।
म्यांमार में इनके अत्याचार की लम्बी सूची है
इन घटनाओं को क्रमश: आप देखिए; 1962 से 2011 तक वर्मा में सैनिक शासन रहा, इस दौरान यहां के नागरिक रोहिंग्या मुसलमान चुप बैठे...