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कभी नहीं भूल सकता लाला लाजपत राय का बलिदान

कभी नहीं भूल सकता लाला लाजपत राय का बलिदान

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- शिवकुमार शर्मा किसी भी व्यक्ति के कार्यों का समापन भी उसके संसार से विदा लेने के साथ ही हो जाता है, परंतु उसके द्वारा समाज के लिए किए गए त्याग, समर्पण, बलिदान और सामाजिक योगदान उसे अमर बनाते हैं। भारत की आजादी की जंग में अंग्रेज सरकार से जूझने वाले सेनानियों में लाल, बाल, पाल का नाम अग्रगण्य है। यह बताना प्रासंगिक होगा कि लाला लाजपत राय का जन्म अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत में हुआ जो अब पाकिस्तान में है। बाल गंगाधर तिलक का जन्म महाराष्ट्र के रत्नागिरि एवं बिपिन चंद्र पाल का जन्म अविभाजित भारत के हबीबगंज सदर उप जिला अंतर्गत हुआ जो अब बांग्लादेश में है। इस प्रकार लाल, बाल, पाल तीनों नाम एक साथ होने पर किन्हीं तीन व्यक्तियों के एक साथ होने मात्र की जानकारी ही नहीं देते अपितु तत्कालीन अखंड भारत का बोध कराते हैं। इन तीन विभूतियों में से एक लाला लाजपत राय ने 18 जनवरी 1865 में पंजाब में (अवि...

स्मृति शेष-मिखाइल गोर्बाचेवः कभी न भूलने वाली 01 दिसंबर, 1991 की वो शाम

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जन्मः 02 मार्च, 1931, निधनः 30 अगस्त, 2022 - मुकुंद रशियन टेलीविजन पर 01 दिसंबर, 1991 को शाम के बुलेटिन की शुरुआत नाटकीय घोषणा के साथ हुई थी- 'गुड इवनिंग। इस वक्त की खबर है- अब सोवियत संघ का अस्तित्व नहीं रहा...।' दरअसल इससे कुछ दिन पहले ही रूस, बेलारूस और यूक्रेन के नेताओं ने सोवियत संघ से अलग होने को लेकर मुलाकात की थी। इस मुलाकात में स्वतंत्र राज्यों के एक राष्ट्रमंडल के गठन का मुद्दा भी था। इस मुलाकात में आठ अन्य सोवियत राज्यों ने भी इस राष्ट्रमंडल का हिस्सा बनने का फैसला किया था। इन सबने तत्कालीन राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव को दरकिनार करने का फैसला किया था। और इस घटनाक्रम के बाद 25 दिसंबर, 1991 को गोर्बाचेव ने सोवियत संघ के राष्ट्रपति पद से इस्तीफा की घोषणा की थी। तब क्रेमलिन में सोवियत झंडे को आखिरी बार झुकाया गया। सोवियत साम्राज्य के पतन का श्रेय रोनाल्ड रीगन ने अमेरिका को दिया था...

बांके बिहारी मंदिर हादसे को लेकर लोगों ने सुनाई आपबीती, कहा- कभी नहीं भूल सकते वो 30 मिनट

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मथुरा । वृंदावन (Vrindavan) में मंगला आरती के दौरान हादसे (accidents) के शिकार हुए श्रद्धालुओं (pilgrims) के आंसू रुक नहीं रहे हैं। जान बचने पर बारंबार बांकेबिहारी (banke bihari) को प्रणाम कर रहे हैं। उनका कहना है कि प्रभु की कृपा से ही उनकी जान बची, अन्यथा वह तो मौत निश्चित मान चुके थे। दम घोंटू माहौल के वह 30 मिनट लोग कभी नहीं भूल सकते जो उस समय वहां मौजूद थे। अचानक गेट नंबर-1 पर एक व्यक्ति की तबियत बिगड़ने के बाद अफरा तफरी का जो माहौल बना तो हर कोई जान बचाने की जुगत लगाने लगा था। फरीदाबाद की सुभाष कॉलोनी से बांकेबिहारी के दर्शन को आईं मनीता पत्नी नेत्रपाल ने बताया कि उन्हें मंगला आरती के बारे में पता चला तो वह वृंदावन में रुक गए। उन्हें नहीं पता था कि मंगला आरती में इतनी भीड़ होगी। वह और उनके पति एवं पड़ोसी भीड़ में बुरी तरह से फंस गए। वह जैसे ही नीचे हुईं भीड़ में दब गईं। पति ने जब उन...