भ्रष्टाचार के विरोध की पटकथा, केजरीवाल और परिवारवाद
- सुरेश हिंदुस्तानी
भारत एक मजबूत लोकतांत्रिक देश है। यह सभी जानते हैं कि भारत में जनता के लिए जनता का ही शासन है। जनता के शासन का सीधा तात्पर्य यही है कि जनता अपने बीच के किसी व्यक्ति को नायक बनाकर अपना प्रतिनिधि बनाती है। लोकतंत्र में जनता की पसंद और नापसन्द को ही महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन आज हमारे देश में राजनीतिक दल अपने ही परिवार के कुछ लोगों को जबरदस्ती आगे करके नायक बनाने का खेल खेल रहीं हैं। यह खेल निश्चित रूप से लोकतंत्र को कमजोर करने वाला कहा जा सकता है। इस श्रेणी में एक या दो दल नहीं, कमोबेश हर राजनीतिक दल आज परिवारवाद की राह का अनुसरण करने के लिए अग्रसर हो रहा है। सवाल यह आता है कि आज नेता का बेटा या बेटी को ही विरासत सौंपने का चलन क्यों बढ़ रहा है, जबकि सारे राजनीतिक दल विशेषकर विपक्षी राजनीतिक दल लोकतंत्र को बचाने का नाराज बुलंद करने का सब्जबाग दिखा रहे हैं। अभी कुछ दि...