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परीक्षा व्यवस्था की प्रामाणिकता की चुनौती

परीक्षा व्यवस्था की प्रामाणिकता की चुनौती

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- गिरीश्वर मिश्र  प्रतिष्ठित ‘नीट’ की परीक्षा पेपर लीक की घटना से अधर में लटकी है और उसकी प्रामाणिकता ख़तरे में है। ऐसे ही यूजीसी की शोधवृत्ति और अध्यापकी की पात्रता दिलाने वाली ‘नेट’ की ताजा परीक्षा रद्द कर दी गई है कारण कि परीक्षा का प्रश्नपत्र छात्रों तक परीक्षा शुरू होने के पहले ही पहुँच गया था। जानकारी के हिसाब से कुछ ख़ास स्थानों पर ही इस शैक्षिक हादसे के किरदार सक्रिय थे। यह सांस्कृतिक परिवर्तन को भी बता रहा है। ताजा घटनाओं से परीक्षा की प्रक्रिया में बाधा आई। अपने परिश्रम का प्रतिसाद न पाने के कारण परीक्षार्थियों में घोर निराशा पैदा हुई है । इन संवेदनशील मामलों को लेकर अब तक की हुई तहक़ीक़ात से खबर यही आ रही है कि हादसा स्थानीय था और उसका प्रभाव सीमित था। इन परीक्षाओं के षड्यंत्र में परीक्षार्थी, उद्यमी और नेता आदि अनेक क़िस्म के लोगों की मिलीभगत का धीरे-धीरे पर्दाफ़ाश हो रहा है...
शिक्षा को ध्यान की दरकार है

शिक्षा को ध्यान की दरकार है

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- गिरीश्वर मिश्र देश के सामर्थ्य के लिए शिक्षा का महत्व सभी जानते हैं, मानते हैं और बखानते हैं। समकालीन चर्चाओं में ‘युवा भारत’ की भूमिका सभी लोग दुहराते हैं और “डेमोग्रेफिक डिविडेंड” की बातें करते नहीं थकते। चुनावी घमासान में सबने एक स्वर से देश को आगे ले जाने की क़समें खाईं थीं किंतु शिक्षा की प्रासंगिकता तथा रोज़गार के लिए शिक्षा के महत्व को लेकर लगभग सभी मौन ही धारण किए रहे। वे इसकी स्थिति से से संतुष्ट थे या फिर थक हार कर यह मान चुके हैं कि इस सिलसिले में कुछ भी मुमकिन नहीं है। मंहगाईं, बेरोज़गारी, आरक्षण की सख़्त ज़रूरत, पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते और भारतीय संविधान की सुरक्षा जैसे भारी भरकम मुद्दों के बीच शिक्षा और संस्कृति से जुड़े सवाल लगभग नदारद थे। घोषणा-पत्र, संकल्प-सूची और गारंटियों की काकली के बीच शिक्षा द्वारा मनुष्य के निर्माण और उसके संवर्धन और संरक्षण से जुड़े प्रश्न की...
नीट की नीयत में खोट!

नीट की नीयत में खोट!

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- डॉ. सत्यवान सौरभ राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है। ठीक हमारे स्वास्थ्य क्षेत्र की रीढ़ की हड्डी की तरह, लेकिन इन क्षेत्रों में पेपर लीक होते हैं। इस बार 67 छात्रों ने 720 अंक हासिल किए, यह पूरी तरह असंभव है। पिछले साल तीन छात्रों ने 720 अंक हासिल किए थे। इस परीक्षा में कथित तौर पर गड़बड़ियों को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के जूनियर डॉक्टर्स नेटवर्क ने सवाल उठाते हुए सीबीआई जांच की मांग की हैं। आईएमए जूनियर डॉक्टर्स ने आज ही राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के अध्यक्ष प्रदीप कुमार जोशी को पत्र लिख कर सभी छात्रों के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी मूल्यांकन प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए पुन: परीक्षा का भी अनुरोध किया। क्या यह देश का सबसे बड़ा परीक्षा घोटाला है? छह छात्रों के सीट नंबर एक ही क्रम से हैं। दो छात्रों ने 718 और 719 अंक हासिल किए...