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सिस्टम को सोचने की जरूरत है

सिस्टम को सोचने की जरूरत है

अवर्गीकृत
- प्रियंका सौरभ पेरिस ओलिंपिक-2024 में सभी देशों को टक्कर देता इकलौता विश्वविजेता देश जापान आज हम सभी के लिए ज्योतिपुंज है। 14 साल का जापानी किशोर गोल्ड मेडल ला रहा है और हम 140 करोड़ का देश एक मेडल पर राजनीति श्रेय लेने की होड़ में वाहवाही कर रहे हैं। हर खिलाड़ी की व्यक्तिगत जीत देश के लिए न्यौछावर है लेकिन हम कहां हैं ये जानना जरूरी है मेडल लिस्ट में। जहां कॉलेज और स्कूल स्टूडेंट्स ओलंपिक मेडल ले आते हैं उनको बचपन से फोकस, जिम्मेवारी और निपुणता कैसे लानी है सिखाया जाता है। आज तक के हर ओलंपिक की यह तस्वीर आप खुद देखिए अब आगे क्या कहूं? एक-एक मेडल के लिए तरसते इस देश में जब हमारे स्टार खिलाड़ी सब कुछ मिलने के बाद राजनीति का स्वाद भी लेना चाहते हैं तो मन खट्टा हो ही जाता है। देश की हालात देखिए ओलंपिक में मेडल के लिए तरसते हैं और कोई एक मेडल जीत जाए तो राजनीतिक लाभ लेने के लिए पैसों की बार...
उदयपुर में पीएम मोदी ने बोले- राजस्थान को चाहिए पगड़ी का मान रखने वाली सरकार

उदयपुर में पीएम मोदी ने बोले- राजस्थान को चाहिए पगड़ी का मान रखने वाली सरकार

देश
उदयपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मेवाड़ की धरा से राजस्थान में चुनावी प्रचार का शंखनाद करते हुए आह्वान किया है कि राजस्थान के पास कांग्रेस के पांच साल के कुशासन से छुटकारा पाने का अवसर है। राजस्थान को यह तय करना होगा कि उसे पगड़ी का मान रखने वाली सरकार चाहिए या पगड़ी को लात मारकर गिराने वाली सरकार चाहिए। पीएम मोदी ने वर्ष 2024 में देश के आशीर्वाद के बाद अपने तीसरे कार्यकाल में देश को दुनिया की टॉप तीन अर्थव्यवस्था (इकोनॉमी) में शामिल कराने का लक्ष्य इंगित करते हुए कहा कि इस लक्ष्य को पाने के लिए राजस्थान का भी सहयोग जरूरी है और राजस्थान को भी विकास के लिए डबल इंजन की सरकार की आवश्यकता है। उदयपुर के बलीचा स्थित कृषि उपज मण्डी प्रांगण में गुरुवार शाम को विशाल जनमैदिनी को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने मेवाड़ के आराध्य भगवान एकलिंग नाथ, सांवलिया सेठ, मां त्रिपुरा सुंदरी, बायण माता को नमन क...
जी-20 अध्यक्षता ने आबादी के बड़े हिस्से की जरूरतों को पूरा करने की स्पष्ट दिशा दी: सीतारमण

जी-20 अध्यक्षता ने आबादी के बड़े हिस्से की जरूरतों को पूरा करने की स्पष्ट दिशा दी: सीतारमण

देश, बिज़नेस
नई दिल्ली (New Delhi)। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने सोमवार को कहा कि भारत की जी-20 अध्यक्षता (India's G-20 presidency) ने दुनिया की आबादी (world population) के एक बड़े हिस्से की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक स्पष्ट नीतिगत दिशा (clear policy direction) दी है। सीतारमण ने कहा कि आबादी का यह वह हिस्सा है, जिनकी आवाज अक्सर बहुपक्षीय मंचों पर अनसुनी कर दी जाती है। सीतारमण आज नई दिल्ली में वित्त और श्रम मंत्रालय तथा वाणिज्य विभाग के ‘मजबूत, सतत, संतुलित और समावेशी वृद्धि’ विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रही थीं। वित्त मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि हालांकि, हमारे लिए इस मामले में अब भी काम करना बाकी है। उन्होंने कहा कि जी-20 नई दिल्ली घोषणा (एनडीएलडी) पर समूह के सभी देशों ने सर्वसम्मति से सहमति व्यक्त की है। वित मंत्री ने कहा क...
बजट 2023-24 में जरूरतों और आर्थिक सीमाओं का संतुलन रखा गया: सीतारमण

बजट 2023-24 में जरूरतों और आर्थिक सीमाओं का संतुलन रखा गया: सीतारमण

देश, बिज़नेस
-वित्त मंत्री सीतारमण ने लोकसभा में केंद्रीय बजट पर चर्चा के दौरान दिया जवाब नई दिल्ली (New Delhi)। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में केंद्रीय बजट 2023-24 पर चर्चा के दौरान उसकी विशेषताओं पर प्रकाश डाला। सीतारमण ने बजट पर विपक्ष के फूड सब्सिडी में कटौती के आरोप पर कहा कि इसमें कोई कटौती नहीं की गई है, बल्कि इसे दोगुना करके 1.97 लाख करोड़ कर दिया गया है। वित्त मंत्री ने बजट को संतुलित बताते हुए कहा कि पूंजीगत व्यय बढ़ा दिया गया है, ताकि राजकोषीय घाटा नियंत्रित रहे। सीतारमण ने शुक्रवार को लोकसभा में केंद्रीय बजट पर चर्चा के दौरान विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि यह बजट राजकोषीय विवेक की सीमाओं के भीतर भारत के विकास की जरूरतों को संतुलित करता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) का पूरा खर्चा केंद्र सरकार वहन कर...
अमृतकाल में शिक्षा को जरूरत है संजीवनी की

अमृतकाल में शिक्षा को जरूरत है संजीवनी की

अवर्गीकृत
- गिरीश्वर मिश्र आज के युग में किसी देश की उन्नति बहुत हद तक वहां की शिक्षा की गुणवत्ता पर ही निर्भर करती है। सूचना, ज्ञान और प्रौद्योगिकी की स्पर्धा में ज्यादा से ज्यादा बढ़त पाने को सभी देश आतुर हैं। आज जब देश ‘सशक्त’ और ‘आत्म निर्भर’ बनने को आतुर है तो शिक्षा दशा दिशा पर विचार और भी जरूरी हो जाता है हालांकि भारत ने विद्या, ज्ञान और शिक्षा का भौतिक और पारमार्थिक दोनों स्तरों पर महत्व बहुत पहले से पहचान रखा था। ज्ञान सबसे पवित्र था और ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में जितनी प्रगति थी उसकी बदौलत भारत को विश्व गुरु का दर्जा भी मिला था। परंतु औपनिवेशिक काल में शिक्षा पर ताला ऐसा पड़ा शिक्षा के भारतीय ज्ञान को ले कर जो संशय और उदासीनता हुई और हम ज्ञान के क्षेत्र में अनुकरण करने वाले होते गए। ज्ञान की परनिर्भरता ने सुदृढ़ होती गई और पश्चिम (यूरो-अमेरिकी मॉडल) को एकल, मानक और वैश्विक विकल्प मान ब...