Friday, November 22"खबर जो असर करे"

Tag: need

हड़ताल का मनोविज्ञान समझने की जरूरत

हड़ताल का मनोविज्ञान समझने की जरूरत

अवर्गीकृत
- सियाराम पांडेय 'शांत' विरोध-प्रदर्शन, सत्याग्रह, हड़ताल और आंदोलन लोकतंत्र के ऐसे हथियार हैं जो अपनी जिम्मेदारी को भूल बैठे सत्ताधीशों को कुम्भकर्णी नींद से जगाने में अहम भूमिका निभाते हैं। लेकिन हर आंदोलन की अपनी मर्यादा होती है।अपनी आधार भूमि होती है। अपना उद्देश्य होता है। बात-बात पर होने वाले आंदोलन देश का मार्गदर्शन तो करते नहीं, अलबत्ता परेशानी और चिंता का ग्राफ जरूर बढ़ा देते हैं। बिना सिर-पैर के आंदोलनों से वैसे भी किसी का भला नहीं होता। नुकसान अधिकांश जनता का होता है। यातायात जाम में फंसे देश को रोज कितना जान-माल का नुकसान होता है, यह किसी से छिपा नहीं है। किसान आंदोलन के नाम पर जब रेल ट्रैक जाम कर दिए जाते हैं या सरकारी वाहनों को आग के हवाले कर दिया जाता है तो इससे देश की कितनी क्षति होती है, इसे आवेशित आंदोलनकारी नहीं समझ सकते, लेकिन देश को समझना होगा। हड़ताल का अपना मनोविज्ञा...
देश को नई सीएसआर निगरानी नीति की आवश्यकता

देश को नई सीएसआर निगरानी नीति की आवश्यकता

अवर्गीकृत
- डॉ. अजय खेमरिया भारत दुनिया का इकलौता देश है जहां कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) को कानूनन अनिवार्य बनाया गया है। यह कानून व्यापारिक गतिविधियों से अर्जित धनलाभ में से कुछ भाग को सामाजिक रूप से व्यय करने के प्रावधान करता है। 01 अप्रैल, 2014 से यह कानून लागू है। अब इस कानून और इसके क्रियान्वयन के अनुभवों पर विचार करने की आवश्यकता के नई सीएसआर निगरानी नीति की जरूरत महसूस की जा रही है। यह कानून हमारे हजारों साल पुराने जीवन दर्शन की बुनियाद पर खड़ा है। यह ऐसी बुनियाद है जहां दान और परोपकार का उद्देश्य समाज के वास्तविक जरूरतमन्दों के लिए विकास और उत्कर्ष के अवसरों को सुनिश्चित करने के लिए होता रहा है। यह कानून सिर्फ भारतीय कंपनियों पर ही लागू नहीं होता है बल्कि उन सभी विदेशी कंपनियों के पर लागू होता है जो भारत में कार्य करती हैं। कानून के अनुसार, एक कंपनी को जिसका सालाना नेटवर्थ 500 क...
ग्रामीण भारत में ठोस कचरा प्रबंधन की जरूरत

ग्रामीण भारत में ठोस कचरा प्रबंधन की जरूरत

अवर्गीकृत
- कुलभूषण उपमन्यु भारतवर्ष में प्रतिदिन 280 मिलियन टन ठोस कचरा पैदा हो रहा है। इसमें से 109.5 मिलियन टन ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहा है । ग्रामीण भारत में तेजी से बदलती जीवन शैली के चलते शहरी सुविधाएं और उपभोक्ता वस्तुएं सुदूर ग्रामों तक पंहुच रही हैं। इस कारण एक बार प्रयोग होने वाला प्लास्टिक और अन्य भारी पैकिंग में प्रयोग होने वाला प्लास्टिक, दवाई की बोतलें, शीशा, आदि दूरदराज के गांव तक पंहुच रहा है। गांव में कोई कचरा प्रबंधन व्यवस्था न होने के कारण यह काम केवल अनौपचारिक कबाड़ियों के ही भरोसे है। कबाड़ी भी हर प्रकार का ठोस कचरा स्वीकार नहीं करते हैं । केवल वही कचरा लेते हैं जिसकी पुन: चक्रीकरण बाजार में अच्छी मांग है । इस तरह केवल 10 फीसद कचरा ही उठ पाता है। शेष सड़कों, खेतों, सिंचाई व्यवस्था और नदियों में खप रहा है। आम लोगों को जहां कचरा परेशानी देता है, वह उसे एकत्र कर जला देते हैं। उन...
विश्व हिन्दी दिवस:  हिन्दी का प्रसार बढ़ाने की दरकार

विश्व हिन्दी दिवस: हिन्दी का प्रसार बढ़ाने की दरकार

अवर्गीकृत
- योगेश कुमार गोयल आधुनिकता की ओर तेजी से अग्रसर कुछ भारतीय ही भले ही अंग्रेजी बोलने में अपनी आन, बान और शान समझते हों किन्तु सच यही है कि हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी ऐसी भाषा है, जो प्रत्येक भारतवासी को वैश्विक स्तर पर मान-सम्मान दिलाती है। सही मायनों में विश्व की प्राचीन, समृद्ध एवं सरल भाषा है भारत की राजभाषा हिन्दी, जो न केवल भारत में बल्कि अब दुनिया के अनेक देशों में भी बोली और पढ़ी जाती है। वैश्विक स्तर पर हिन्दी की बढ़ती ताकत का सबसे बड़ा सकारात्मक पक्ष यही है कि आज विश्वभर में करोड़ों लोग हिन्दी बोलते हैं और दुनियाभर के सैंकड़ों विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जाती है। दुनियाभर में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए वातावरण निर्मित करने तथा हिन्दी को अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में प्रस्तुत करने के उद्देश्य से पिछले कई वर्षों से 10 जनवरी को ‘विश्व हिन्दी दिवस’ भी मनाया जाता है। यह दिवस वास्तव म...
कोविड से अभी घबराने की नहीं, सावधान रहने की जरूरतः CM शिवराज

कोविड से अभी घबराने की नहीं, सावधान रहने की जरूरतः CM शिवराज

देश, मध्य प्रदेश
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि एक बार फिर से कोविड 19 ने दस्तक (Covid 19 knocked) दी है। अभी हमारा प्रदेश सुरक्षित है, लेकिन नए वैरिएंट की एंट्री (Entry of new variant) हमारे देश में हो गई है। अभी घबराने या पैनिक होने की जरूरत नहीं है, लेकिन सावधान रहने की बहुत जरूरत है, इसलिए हमने तय किया है कि अभी तक जिनको बूस्टर डोज नहीं लगा है उनको बूस्टर डोज लग जाए। पर्याप्त मात्रा में हमको डोज मिल जाए इसके लिए हमने पहल प्रारंभ की है। मुख्यमंत्री चौहान ने यह बातें शुक्रवार देर शाम भाजपा कार्यालय में मीडिया से बातचीत के दौरान कही। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी विस्तार से बैठक कर के निर्देश दिए हैं। आज मैंने भी कोविड को लेकर उच्च स्तरीय बैठक की है, जिसमें अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि आगामी 27 दिस...
समझना होगा ऊर्जा का महत्व

समझना होगा ऊर्जा का महत्व

अवर्गीकृत
- रमेश सर्राफ धमोरा हमारे जीवन में प्रतिदिन के विभिन कार्यों के संचालन के लिए ऊर्जा अत्यंत महत्वपूर्ण साधन है। दुनिया की अर्थव्यवस्था में वृद्धि के साथ-साथ प्रतिवर्ष ऊर्जा की मांग भी बढ़ती जा रही है। हम प्रतिदिन विभिन रूपों में ऊर्जा का उपयोग करते है। अतः भविष्य में ऊर्जा की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इसका संरक्षण आवश्यक है। ऊर्जा संरक्षण से तात्पर्य विभिन उपायों के माध्यम से ऊर्जा का संरक्षण करना है। ऊर्जा संरक्षण के अंतर्गत विभिन्न कार्यों के माध्यम से ऊर्जा का उपयोग इस प्रकार किया जाता है, जिससे वर्तमान की आवश्यता की पूर्ति के साथ भविष्य की जरूरतें भी पूरी हो सकें। ऊर्जा संरक्षण से तात्पर्य ऊर्जा का विवेकपूर्ण उपयोग है। इसका अर्थ है ऊर्जा का अनावश्यक उपयोग न करना एवं कम से कम ऊर्जा का उपयोग करते हुए कार्य को करना। बिजली आज पूरी दुनिया की सबसे अहम जरूरत बन गई है। बिजली के बिना कोई भी...
यूसीसी की दरकार, बहस का हो प्रतिकार

यूसीसी की दरकार, बहस का हो प्रतिकार

अवर्गीकृत
- कमलेश पांडेय जिस देश के उच्च सदन यानी राज्यसभा में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने या करवाने के सवाल पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में नोकझोंक हो, वहां पर लोकतंत्र के भविष्य पर निश्चित रूप से कुछ भी कहना बेमानी होगी। यदि सभी देशवासियों के वोट की कीमत एक समान है तो फिर अन्य कानूनी समानताएं क्यों नहीं लागू की जा सकती हैं। आप सहमत हों या नहीं हों, लेकिन देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के लिए नेशनल इंस्पेक्शन ऐंड इन्वेस्टिगेशन कमीशन बनाया जाना बदलते वक्त की मांग है और सरकार को इस पर गम्भीरता पूर्वक विचार करना चाहिए। आपने देखा-सुना होगा कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह विषय लाया गया है कि मुस्लिम लड़कियों के लिए विवाह की उम्र अलग क्यों हो? क्या इससे अन्य कानून प्रभावित नहीं होंगे? वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह आदिवासी महिलाओं को सम्पत्ति से महरूम रखने वाले हिन्द...
PAK vs ENG: पाकिस्तान को जीत के लिए चाहिए 263 रन, इंग्लैंड को 8 विकेट की जरूरत

PAK vs ENG: पाकिस्तान को जीत के लिए चाहिए 263 रन, इंग्लैंड को 8 विकेट की जरूरत

खेल
रावलपिंडी। पाकिस्तान और इंग्लैंड (PAK vs ENG 1st Test Day 4) के बीच खेले जा रहे रावलपिंडी टेस्ट (rawalpindi test) के चौथे दिन खेल समाप्त होने के समय पाकिस्तान (Pakistan) ने दो विकेट पर 80 रन बना लिए हैं। उसे जीत के लिए अभी 263 रन और चाहिए। पाकिस्तान के लिए पहली पारी में शतक लगाने वाले इमाम उल हक (imam ul haq) 43 और साउद शकील (Saud Shakeel) 24 रन बनाकर नाबाद हैं। इंग्लैंड की पारी 657 पर समाप्त हो गई थी। उसके बाद पाकिस्तानी बल्लेबाजों ने भी दमखम दिखाया। इंग्लैंड ने पहले क्रिकेट टेस्ट में नतीजे की उम्मीद जगाते हुए रविवार को चौथे दिन चाय से पहले अपनी दूसरी पारी घोषित सात विकेट पर 263 रन बनाकर घोषित कर दी। इससे पाकिस्तान को जीत के लिए 342 रन का लक्ष्य मिला। दूसरी पारी में पाकिस्तान की शुरुआत अच्छी नहीं रही। पांचवें ओवर की पहली गेंद पर अब्दुल्लाह शफीक आउट हो गए। उन्होंने 14 गेंद पर छह रन बनाए...
जल सप्ताह नहीं, सालभर ‘जल वर्ष’ मनाने की दरकार

जल सप्ताह नहीं, सालभर ‘जल वर्ष’ मनाने की दरकार

अवर्गीकृत
- योगेश कुमार गोयल पिछले सप्ताह देश में जल सप्ताह का आयोजन किया गया, जिसमें जल संरक्षण, जल के उपयोग एवं जल स्रोतों को संरक्षित करने के विषय पर चर्चा के लिए विभिन्न देशों के दो हजार से भी ज्यादा प्रतिनिधि शामिल हुए। जल सप्ताह के दौरान जल शोधन तथा जल को बचाने के लिए गंभीरता से चर्चा हुई। ग्रेटर नोएडा में जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय द्वारा आयोजित भारत जल सप्ताह का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का कहना था कि आने वाली पीढ़ियों को बेहतर और सुरक्षित कल देने में सक्षम होने का एकमात्र तरीका जल संरक्षण ही है। ऐसा नहीं है कि पानी की कमी को लेकर व्याप्त संकट अकेले भारत की ही समस्या है बल्कि जल संकट अब दुनिया के लगभग सभी देशों की विकट समस्या बन चुका है। राष्ट्रपति का भी कहना था कि पानी का मुद्दा केवल भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रासंगिक ...