आजादी के अमृत और गुलामी के विष का फर्क तो समझें
- सियाराम पांडेय'शांत'
आजादी मन का विषय है। यह तन और धन का विषय है ही नहीं। हालांकि तन, मन और धन एक-दूसरे के पूरक हैं। एक-दूसरे से जुड़े हैं। इनमें से एक भी कम हो तो बात बिगड़ जाती है और बिगड़ी बात कभी बनती नहीं। उसी तरह जैसे बिगड़े हुए दूध से मक्खन नहीं बनता। मतभेद तो फिर भी दूर किए जा सकते हैं लेकिन मनभेद को दूर करना किसी के भी वश का नहीं। इस साल भारत अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। तिरंगा यात्रा निकाल रहा है। देश के हर घर, हर संस्थान पर तिरंगा लहरा रहा है। कुछ राजनीतिक दल अगर राष्ट्रध्वज बांट रहे हैं तो कुछ इस पर टिप्पणी भी कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव कह रहे हैं कि तिरंगे की आड़ में भाजपा अपने पाप छिपा रही है। तिरंगा उसे अपने कार्यालयों पर लगाना चाहिए। पार्टी का झंडा उतारकर लगाना चाहिए। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और खंडित शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे कह र...