Friday, November 22"खबर जो असर करे"

Tag: necessary

भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए अत्याधुनिक निजी अस्पताल भी जरूरीः सीएम डॉ. यादव

भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए अत्याधुनिक निजी अस्पताल भी जरूरीः सीएम डॉ. यादव

देश, मध्य प्रदेश
- मुख्यमंत्री ने ग्वालियर में किया 100 बिस्तरीय देवराज मल्टी स्पेशिलिटी हॉस्पिटल का उद्घाटन ग्वालियर। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Chief Minister Dr. Mohan Yadav) ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में भविष्य में आने वाली चुनौतियों का सामना (face future Challenges) करने के लिये अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से सुसज्जित (State-of-the-art medical facilities) निजी अस्पताल (Private hospitals equipped) भी जरूरी हैं। खुशी की बात है कि ग्वालियर की धरती पर आज ऐसे ही एक बड़े अस्पताल की शुरुआत हुई है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव बुधवार की शाम ग्वालियर में 100 बिस्तरीय देवराज अस्पताल (देवराज इंस्टीट्यूट ऑफ मेडीकल साइंस) के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर, उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल, खजुराहो सांसद एवं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा भी मंचासीन थे। ...
बेटियों को शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरीः राष्ट्रपति

बेटियों को शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरीः राष्ट्रपति

देश, मध्य प्रदेश
-देवी अहिल्या विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं राष्ट्रपति इंदौर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने आह्वान किया कि बेटियों (Daughters) को शिक्षित तथा आत्मनिर्भर (Educated and self-reliant) बनने के लिये प्रोत्साहित किया जाए। देश को विकसित बनाने में बेटियों का अहम योगदान रहेगा। बेटियों को शिक्षित तथा आत्मनिर्भर (Educated and self-reliant.) बनाने तथा देश के सर्वांगीण विकास के लिये सामूहिक प्रयासों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देवी अहिल्याबाई होलकर (Devi Ahilyabai Holkar.) महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता (Women empowerment and self-reliance) का उत्तम उदाहरण है। देवी अहिल्याबाई होलकर ने कुशल प्रशासन, न्याय परायणता और कल्याणकारी कार्यों में कई मानक स्थापित किए हैं। राष्ट्रपति मुर्मू गुरुवार शाम को इंदौर में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को सम...
दिल्ली में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण जरूरी

दिल्ली में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण जरूरी

अवर्गीकृत
- योगेश कुमार सोनी  वायु प्रदूषण के संदर्भ में हाल ही में जारी आंकड़े देश में भयावह स्थिति की तस्वीर प्रस्तुत करते हैं। मौजूदा स्थिति के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 100 में से लगभग 12 लोगों की मौत खराब हवा के कारण होती है। एक रिपोर्ट में दिल्ली को विश्व का सबसे प्रदूषित शहर बताया गया था। पूरे वर्ष यहां की हवा खराब रहती है। सर्दी में समस्या और बढ़ जाती है। इस मसले पर अदालत से लेकर संसद तक चिंता जताई जा चुकी है। फिर भी स्थिति में सुधार नहीं है। ऐसा लगता है कि इस क्षेत्र में किसी ने कोई काम नहीं किया। जैसे ही सर्दी बढ़ेगी सरकारें एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति शुरु कर देंगी।  वाराणसी में भी वायु प्रदूषण से होने वाली मौत 10 प्रतिशत से अधिक है। इसके अलावा भी तमाम ऐसे इलाके हैं जहां वायु प्रदूषण मानव जीवन पर भारी पड़ रहा है। देश के स्वच्छ वायु मानदंड डब्ल्यूएचओ के 15 माइक्...
चीन के खिलाफ आक्रामक विदेश नीति जरूरी

चीन के खिलाफ आक्रामक विदेश नीति जरूरी

अवर्गीकृत
- डॉ. अनिल कुमार निगम ‘शठे शाठ्यं समाचरेत्’ अर्थात दुष्ट के साथ दुष्टता का ही व्यवहार करना चाहिए। यह नीति भारत को अपने पड़ोसी व साम्राज्यवादी देश चीन के बारे में अपनानी चाहिए। चीन कभी भारत का विश्वसनीय पड़ोसी नहीं रहा है। नेहरू काल के दौरान चीन ‘हिंदी चीनी भाई भाई’ का नारा देकर 1962 में भारत के साथ विश्वासघात भला कौन भूल सकता है। भारत की सीमा पर घुसपैठ अथवा जमीन पर कब्जा करना चीन की फितरत में रहा है। भारत की लगातार चेतावनी के बावजूद वह एलएसी का न केवल उल्लंघन करता रहा है बल्कि अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता रहा है। इसके लिए उसने साम, दाम, दंड, भेद की नीति का पालन किया। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में हाल ही में रियासी में श्रद्धालुओं की बस पर हमला किया गया। इसके बाद जम्मू-कश्मीर में लगातार हमले बढ़े हैं। इसके पीछे भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को इन हमलों में पाकिस्तान और चीन की संयुक्त साजिश नज...
भीषण गर्मी में मजदूरों की फिक्र भी जरूरी

भीषण गर्मी में मजदूरों की फिक्र भी जरूरी

अवर्गीकृत
- प्रियंका सौरभ देश में पड़ रही भीषण गर्मी से डेली वर्कर्स, विशेषकर डिलीवरी कर्मियों, ईंट-भट्ठों पर काम करने वालों और दिहाड़ीदार मजदूरों के लिए कामकाजी परिस्थितियां गंभीर हो गई हैं। भीषण गर्मी ने खुला काम करने वाले वर्कर्स के लिए कठोर कार्य स्थितियों और उनके सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर किया है। इस भीषण गर्मी में कई लोग खुले वातावरण और गर्म मौसम में काम करने के लिए मजबूर हैं। अगर वे काम नहीं करेंगे, तो उनके घर खाना नहीं पकेगा। यह उनके जीवन-यापन का एकमात्र साधन है। ऐसे लोग अकसर काफी गरीबी में जीने के लिए विवश होते हैं। साफ पानी जैसी आधारभूत सुविधाओं से वंचित झुग्गियों के घर टिन या तारपोलिन की छतों के नीचे तपती गर्मी झेलते हैं। चूंकि ये काम ज्यादातर खुले वातावरण में ही करने पड़ते हैं, तो भीषण गर्मी में इन लोगों के बीमार पड़ने का खतरा भी ज्यादा रहता है। इनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए...
सिविल अधिकारियों की जिम्मेदारी और कठिनाई पर चर्चा जरूरी

सिविल अधिकारियों की जिम्मेदारी और कठिनाई पर चर्चा जरूरी

अवर्गीकृत
- हृदयनारायण दीक्षित भारतीय प्रशासनिक सेवा ने बड़ा लम्बा सफर तय किया है। वैदिक काल से लेकर आधुनिक काल तक प्रशासन का मुख्य लक्ष्य लोकहित ही रहा है। उनकी योग्यता और प्रतिभा बेजोड़ रही है। लेकिन तमाम ज्ञान गरिमा से युक्त होने के बावजूद वे भारतीय जनमानस के आत्मीय हित साधक नहीं बन सकते। प्रशासन और भारतीय जनता के मध्य दूरी है। प्रशासन एक तरह से स्थाई कार्यपालिका है। इसके कामकाज में आमजनों के साथ सम्पर्कों में संवेदनशीलता का अभाव देखा गया है। संविधान सभा में अनेक सदस्यों ने अंग्रेजीराज के सिविल ढांचे को समाप्त करने की मांग की थी। सरदार पटेल ने कहा था, ''हमने इनके साथ कठिन समय में काम किया है। मेरे ख्याल से इन्हें बनाए रखना जरूरी है।'' पटेल ने स्वतंत्र भारत के सिविल अधिकारियों की पहली खेप को 21 अप्रैल को 1947 में सम्बोधित किया था। यह एक महत्वपूर्ण क्षण था। इसीलिए इस तिथि को सिविल सेवा दिवस के रूप...
क्यों जरूरी है बांग्लादेश में हसीना की फिर ताजपोशी?

क्यों जरूरी है बांग्लादेश में हसीना की फिर ताजपोशी?

अवर्गीकृत
- डॉ. रमेश ठाकुर पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश के संसदीय चुनाव को प्रभावित करने में वहां के विपक्षी दलों ने जमकर राजनैतिक पैंतरेबाजियों के अलावा मौजूदा प्रधानमंत्री शेख हसीना पर चुनाव में धांधली करने, भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने और भारत के साथ बेवजह दोस्ती बढ़ाने वाले गैर-जरूरी आरोप लगाए। मगर जनता ने सभी आरोपों को नकार दिया। हसीना फिर सरकार बनाएंगी। रविवार को छिटपुट घटनाओं के साथ आम चुनाव संपन्न हो गया। हालांकि बांग्लादेश चुनाव आयोग की उम्मीद से कहीं कम मतदान हुआ है। वोटिंग प्रतिशत तकरीबन चालीस फीसदी रहा। कई संसदीय क्षेत्र में तो मात्र 30-32 प्रतिशत ही मतदान हुआ। इसे मतदाताओं की उदासीनता कहें या मौजूदा सरकार के प्रति संतुष्टि? अब यह साफ है कि शेख हसीना पार्टी अवामी लीग ही सत्ता में वापसी करेगी। हसीना के अलावा भारत भी यही चाहता है, क्योंकि दोनों देशों के प्रमुखों की कूटनीति और सियासी केमिस्ट्री द...
देश को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए राजनीतिक स्थिरता जरूरी : सीतारमण

देश को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए राजनीतिक स्थिरता जरूरी : सीतारमण

देश, बिज़नेस
नई दिल्ली (New Delhi)। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने कहा कि आर्थिक वृद्धि (economic growth) और देश (country) को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (third largest economy world) बनाने के लिए नीतियों के स्तर पर निरंतरता, राजनीतिक स्थिरता तथा निर्णायक नेतृत्व जरूरी है। सीतारमण ने गुरुवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (एसआरसीसी) के वार्षिक समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि नीतियों में तुरंत-तुरंत बदलाव भी आर्थिक प्रदर्शन को प्रभावित करता है। हम यह पहले देख चुके हैं, जब भारत दुनिया की पांच नाजुक अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गया था। वित्त मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि भारत 2014 में दुनिया की 10वीं अर्थव्यवस्था था, जो आज पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। सीतारमण ने नरेन्द्र मोदी सर...
शिक्षक दिवस:  शिक्षण-संस्कृति का संवर्धन आवश्यक

शिक्षक दिवस: शिक्षण-संस्कृति का संवर्धन आवश्यक

अवर्गीकृत
- गिरीश्वर मिश्र मानव सभ्यता के संदर्भ में अध्यापन-कार्य न केवल दूसरे व्यवसायों की तुलना में सदैव विशेष महत्व का रहा है बल्कि अन्य सभी व्यवसायों का आधार भी है । आज सामाजिक परिवर्तन विशेषतः प्रौदयोगिकी की तीव्र उपस्थिति ने शिक्षक और शिक्षार्थी के रिश्तों को नए सिरे से परिभाषित कर रहा है। साथ ही कक्षा, समाज और व्यापक विश्व के संदर्भ में शिक्षक की संस्था भी नए ढंग से जानी पहचानी जा रही है। इसके फलस्वरूप शिक्षक की औपचारिक भूमिका और व्याप्ति का क्षेत्र जरूर अतीत की तुलना में वर्तमान काल में नए नए आयाम प्राप्त कर रहा है। इन सबके बीच अभी भी अध्यापक अपने गुणों, कार्यों और व्यवहारों से छात्रों को प्रभावित कर रहा है और उसी के आधार पर भविष्य के समाज और देश के भाग्य को भी अनिवार्य रूप से रच रहा है। एक अध्यापक को समाज ने अधिकार दिया है कि वह अपने छात्र के जीवन में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से हस्तक्षेप ...