Friday, November 22"खबर जो असर करे"

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एनडीए सरकार और मोदी-3.0 की `मन की बात’

एनडीए सरकार और मोदी-3.0 की `मन की बात’

अवर्गीकृत
- ऋतुपर्ण दवे मोदी मंत्रिमण्डल का गठन जरूर हो गया लेकिन कयासों का दौर खत्म नहीं हुआ। एक बार में ही 72 सदस्यीय भारी-भरकम मंत्रिमण्डल की वजह लोग कुछ भी बताएं लेकिन यह नरेन्द्र मोदी की चतुराई कही जाएगी जो उन्होंने एकबारगी सारे किन्तु-परन्तु पर विराम लगा एक तीर से कई निशाने साधे। इससे न केवल सहयोगियों बल्कि भाजपा के आनुषांगिक संगठनों को भी बड़ा संदेश गया कि भले सीटें घटीं लेकिन मोदी की हैसियत वही है। घटक दलों के सहयोगियों का मोदी के तीसरे कार्यकाल में मंत्रिमण्डल बंटवारे में मिले पद और कद से भी काफी भ्रम टूटा। साफ दिखा कि नरेन्द्र मोदी ने जो चाहा वो किया। जिस शांति और धैर्य से घटक दलों के साथ पहली बैठक हुई, प्रमुख दोनों सहयोगी नीतीश और चंद्रबाबू ने मोदी की तारीफ में कसीदे पढ़े, उससे राजनीतिक नब्ज टटोलने वालों की भी धड़कनें असहज हुई। हमउम्र और राजनीति में मोदी से सीनियर होने के बावजूद नीतीश ...
सुरक्षित भारत, शक्तिशाली भारत

सुरक्षित भारत, शक्तिशाली भारत

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- प्रो. संजय द्विवेदी किसी विचारक का कहना है कि तुम्हारा अच्छे से अच्छा सिद्धांत व्यर्थ है, अगर तुम उसे अमल में नहीं लाते। हमारी सुरक्षा चिंताओं से संबंधित कानूनों की भी एक दशक पहले तक यही स्थिति रही है। वर्ष 1947 में तैयार राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति को अभी तक ठीक से परिभाषित नहीं किया जा सका है, वहीं राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 सुरक्षा से ज्यादा राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ इस्तेमाल के लिए ज्यादा जाना जाता रहा है। देश को भीतरी-बाहरी खतरों से सुरक्षित रखने के लिए बने ऐसे तमाम कानून कभी उन उद्देश्यों की पूर्ति में सफल नहीं हो पाए, जिनके लिए उनका निर्माण किया गया था। इसके पीछे ईमानदार प्रयासों की कमी रही हो या इच्छाशक्ति की, या फिर दोनों की, देश ने आजादी के बाद के छह दशकों में बहुत कुछ सहा है। सीमाओं के भीतर भी और सीमाओं पर भी। एक दशक पहले, जब से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली...
धनखड़ की धाक से चमकेंगे किसानों के चेहरे

धनखड़ की धाक से चमकेंगे किसानों के चेहरे

अवर्गीकृत
- डॉ. वेदप्रताप वैदिक भाजपा नीति राजग सरकार ने राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया और अब उपराष्ट्रपति पद के लिए जगदीप धनखड़ का नाम घोषित हुआ है। दोनों उम्मीदवारों को मंत्री और राज्यपाल रहने का अनुभव है। इससे भी बड़ी बात यह है कि इन दोनों को इन सर्वोच्च पदों के लिए चुनते हुए भाजपा नेताओं ने किस बात का ध्यान रखा है? वह बात है वंचितों के सम्मान और वोट बैंक की। एक उम्मीदवार देश के समस्त आदिवासियों को भाजपा से जोड़ेगा और दूसरा समस्त पिछड़ों को। यह देश के आदिवासियों और पिछड़ी जातियों में यह भाव भी भरेगा कि वे लोग चाहे सदियों से दबे-पिसे रहे लेकिन यदि उनके दो व्यक्ति भारत के सर्वोच्च पदों पर पहुंच सकते हैं तो वे भी जीवन में आगे क्यों नहीं बढ़ सकते? किसान पुत्र धनखड़ के उपराष्ट्रपति बनने की घटना देश के किसानों में नई उमंग जगाए बिना नहीं रहेगी। इसके अलावा पश्चिम बंगाल, झारखंड और ओडि...