Friday, November 22"खबर जो असर करे"

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आत्म शक्ति जाग्रत कर आरोग्य और यूनीवर्स की इनर्जी से जुड़ने की अवधि है नवरात्र

आत्म शक्ति जाग्रत कर आरोग्य और यूनीवर्स की इनर्जी से जुड़ने की अवधि है नवरात्र

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- रमेश शर्मा भारतीय चिंतन में तीज त्यौहार केवल धर्मिक अनुष्ठान और परमात्मा की कृपा प्राप्त करने तक सीमित नहीं है । परमात्मा के रूप में परम् शक्ति की कृपा आंकाक्षा तो है ही साथ ही इस जीवन को सुन्दर और सक्षम बनाने का भी निमित्त तीज त्यौहार हैं । इसी सिद्धांत नवरात्र अनुष्ठान परंपरा में है । इन नौ दिनों में मनुष्य की आंतरिक ऊर्जा को सृष्टि की अनंत ऊर्जा से जोड़ने की दिशा में चिंतन है । आधुनिक विज्ञान के अनुसंधान भी इस निष्कर्ष पर पहुंच गये हैं कि व्यक्ति में दो मस्तिष्क होते हैं। एक चेतन और दूसरा अवचेतन। इसे विज्ञान की भाषा में "कॉन्शस" और "अनकाॅन्शस" कहा गया है व्यक्ति का अवचेतन मष्तिष्क सृष्टि की अनंत ऊर्जा से जुड़ा होता है । जबकि चेतन मस्तिष्क संसार से । हम चेतन मस्तिष्क से सभी काम करते हैं पर उसकी क्षमता केवल पन्द्रह प्रतिशत ही है । जबकि अवचेतन की सामर्थ्य 85% है । सुसुप्त अवस्था में तो ...
नवरात्रि का नारी सशक्तिकरण का संदेश

नवरात्रि का नारी सशक्तिकरण का संदेश

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- डॉ. सौरभ मालवीय भारतीय पर्व हमारी सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक हैं। इनसे हमें ज्ञात होता है कि हमारी प्राचीन संस्कृति कितनी विशाल, संपन्न एवं समृद्ध है। यदि नवरात्रि की बात करें तो यह पर्व भी भारतीय संस्कृति की महानता को दर्शाता है। विगत कुछ दशकों से देश में महिला सशक्तीकरण की बात हो रही है। कुछ लोग विदेशों के उदाहरण देते हैं कि वहां की महिलाएं सशक्त हैं तथा उन्हें बहुत से अधिकार प्राप्त हैं। किंतु ये लोग अपने देश के इतिहास पर चिंतन एवं मनन नहीं करते हैं। वास्तव में भारत विश्व का एकमात्र ऐसा देश है, जहां महिलाओं को पुरुषों के समान माना गया है। उदाहरण के लिए भारत में देवियों की पूजा-अर्चना की जाती है। यहां पर उन्हें भी देवताओं के समान ही पूजा जाता है, अपितु देवियों का स्थान देवता से पहले आता है जैसे राधा-कृष्ण, सीता-राम आदि। भगवान शिव के साथ देवी पार्वती की भी पूजा की जाती है। भगवान राम क...
बुन्देलखंड में आज भी लोकप्रिय है देवीगीत, नवरात्रि में सदियों से कायम है अचरी

बुन्देलखंड में आज भी लोकप्रिय है देवीगीत, नवरात्रि में सदियों से कायम है अचरी

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बुंदेली धरा में देवी गीत जिन्हे लोक भाषा में अचरी कहते हैं, आज भी बेहद लोकप्रिय है। वर्ष की दोनों नवरात्रियों में इनका गायन प्रचुर मात्रा में होता है, या यूं कहें कि बिना अचरी गायन के नवरात्रि उत्सव फीका नजर आता है। शक्ति की अधिष्ठायी मां जगदम्बे की कृपा प्राप्त करने के लिए उनकी महिमा का गुणगान लोग यहां देवी गीतों के माध्यम से भी करते हैं। देवी गीतों के गायक वैसे तो वर्ष पर्यन्त इसका गायन करते हैं, मगर नवरात्रि में इनका विशेष गायन हर गांव में अवश्य होता है। सामाजिक, धार्मिक व राजनैतिक बिन्दुओं पर देवी गीतों का चलन भी यहां देखने को मिलता है। देवी गीतों के गायक हरिहर पाठक बिदोखर ने बताया कि देवी गीतों से जहां मां जगदम्बे को प्रसन्न करने का सुअवसर मिलता है, वहीं गीतों का गायन और श्रवण करने वालों को आत्म शांति मिलती है। मां की उपासना, आस्था व समर्पण का यह एक बेहतर जरिया है। जिसका प्रचलन लंबे ...
नवरात्रि का चौथा दिनः मां कुष्मांडा की पूजा से पूरी होती है सभी मनोकामनाएं

नवरात्रि का चौथा दिनः मां कुष्मांडा की पूजा से पूरी होती है सभी मनोकामनाएं

देश
नई दिल्ली (New Delhi)। मां आदि शक्ति की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्रि का आज चौथा दिन है। नवरात्रि का चौथा दिन मां कुष्मांडा (Maa Kushmanda Puja Vidhi) को समर्पित है। इस दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप कुष्मांडा माता (Maa Kushmanda Puja Vidhi) की पूजा-अर्चना की जाती है। मां कुष्मांडा अष्टभुजाओं की देवी कहलाती है। मान्यता है कि जो साधक नवरात्रि के चौथे दिन माता रानी की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है सुख-सौभाग्य की प्राप्ति (attainment of happiness and good fortune) होती है। साथ ही जातक का बु्द्धि, विवेक और यश बढ़ता है। यह भी माना जाता है कि मां कुष्मांडा की पूजा करने से जातक के सभी रोग नष्ट हो जाते हैं। मां कुष्मांडा सूर्य के समान तेजस्वी वाली हैं। चलिए नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा को प्रसन्न करने के लिए पूजा विधि, मंत्र और विशेष आरती जानते हैं। नवरात्रि के चौथे दि...
अंत:शुद्धि का महापर्व है नवरात्रि

अंत:शुद्धि का महापर्व है नवरात्रि

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- रमेश सर्राफ धमोरा नवरात्रि हिन्दू धर्म के लोगो द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार असत्य पर सत्य की जीत को दर्शाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि साल में दो बार मनाया जाता है। हिंदी महीनों के मुताबिक पहला नवरात्रि चैत्र महीने में मनाया जाता है और दूसरी बार अश्विन महीने में मनाया जाता है। नवरात्रि नौ दिनों तक निरंतर चलता है जिसमे देवी मां के अलग अलग स्वरूपों की लोग भक्ति और निष्ठा के साथ पूजा करते है। भारत में नवरात्रि अलग अलग राज्यों में विभिन्न तरीकों और विधियों के संग मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन्हीं नौ दिनों में मां दुर्गा धरती पर आती हैं। उनके आने की खुशी में इन दिनों को दुर्गा उत्सव के तौर पर देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है नौ रातें। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान शक्ति- देवी के नौ...
आ गया नौ शक्तियों का मिलन पर्व

आ गया नौ शक्तियों का मिलन पर्व

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- योगेश कुमार गोयल नौ दिन तक चलने वाले नवरात्रि पर्व की शुरुआत हो चुकी है। आदि शक्ति दुर्गा की पूजा के इस पावन पर्व का विशेष महत्व माना जाता है। नवरात्रि के ये नौ दिन देवी दुर्गा के विभिन्न नौ स्वरूपों की उपासना के लिए निर्धारित हैं और इसीलिए नवरात्रि को नौ शक्तियों के मिलन का पर्व भी कहा जाता है। प्रतिपदा से शुरू होकर नवमी तक चलने वाले नवरात्र नवशक्तियों से युक्त हैं और हर शक्ति का अपना-अपना अलग महत्व है। शारदीय नवरात्रि की शुरुआत इस वर्ष 15 अक्टूबर से हुई है, जिनका समापन 23 अक्टूबर को होगा। नवरात्र के पहले स्वरूप में मां दुर्गा पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती के रूप में विराजमान हैं। नंदी नामक वृषभ पर सवार शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प है। शैलराज हिमालय की कन्या होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा गया। इन्हें समस्त वन्य जीव-जंतुओं की रक्षक माना जाता है...

नवरात्रि, मातृशक्ति और स्वाधीनता आंदोलन

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- लोकेन्द्र सिंह प्रत्येक कालखंड में मातृशक्ति ने भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है। मातृशक्ति को सम्मान देने का संकल्प लेने का सबसे पुण्य अवसर नवरात्रि है। मातृशक्ति समाज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पुरुष के कंधे से कंधा मिलाकर चली है अपितु अनेक अवसर पर अग्रणी भूमिका में भी रही है। आज जबकि समूचा देश भारत के स्वाधीनता आंदोलन का अमृत महोत्सव मना रहा है तब मातृशक्ति के योगदान और बलिदान का स्मरण अवश्य करना चाहिए। भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के पृष्ठ पलटेंगे और मातृशक्ति की भूमिका को देखेंगे तो निश्चित ही हमारे मन गौरव की अनुभूति से भर जाएंगे। भारत के प्रत्येक हिस्से और सभी वर्गों से, महिलाओं ने स्वाधीनता आंदोलन में हिस्सा लिया। अध्यात्म, सामाजिक, राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय होने के साथ ही क्रांतिकारी गतिविधियों में भी महिलाएं शामिल रहीं। यानी उन्होंने ब्रिटिश शासन व्यवस्थ...

नवरात्रि में होता है ऊर्जा का संचार

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- रमेश सर्राफ धमोरा शारदीय नवरात्रि धर्म की अधर्म और सत्य की असत्य पर जीत का प्रतीक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन्हीं नौ दिनों में मां दुर्गा धरती पर आती हैं। इन दिनों को दुर्गा उत्सव के तौर पर देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। नवरात्रि में आदिशक्ति जगदम्बा के नौ विभिन्न रूपों की आराधना की जाती है। यह नौ दिन वर्ष के सर्वाधिक पवित्र दिवस माने गए हैं। इन नौ दिनों का भारतीय धर्म एवं दर्शन में ऐतिहासिक महत्व है। इन्हीं दिनों में बहुत सी दिव्य घटनाओं के घटने की जानकारी हिन्दू पौराणिक ग्रंथों में मिलती है। माता के इन नौ स्वरूपों को नवदुर्गा के नाम से भी जाना जाता है जो इस प्रकार हैं -शैलपुत्री, ब्रह्माचारिणी, चन्द्रघन्टा, कूष्माण्डा, स्कन्द माता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी और सिध्दिदात्री। नवरात्रि से हमें अधर्म पर धर्म और बुराई पर अच्छाई की जीत की सीख मिलती हैं। भारतीय जनजीवन में धर...