Friday, November 22"खबर जो असर करे"

Tag: nature

श्रेष्ठ राजव्यवस्था और आनंददायी समाज

श्रेष्ठ राजव्यवस्था और आनंददायी समाज

अवर्गीकृत
- हृदयनारायण दीक्षित दुनिया के सभी समाज सुख और आनंद के इच्छुक रहते हैं। सुख और दुख बारी बारी से आते जाते हैं। मनुष्य समाज का अंग है। लेकिन अनेक अवसरों पर मनुष्य और समाज के बीच अंतर्विरोध भी दिखाई पड़ते हैं। मनुष्य प्रकृति का भी अंग है। लेकिन मनुष्य और प्रकृति के बीच अंतर्विरोध भी होते हैं। यह मनुष्य को दुखी करते हैं। समाज शांतिपूर्ण ढंग से रहने के लिए राजव्यवस्था विकसित करते हैं। महाभारत में राजा को काल का कारण बताया गया है। राजव्यवस्था समाज को सुखी बनाने के प्रयत्न करती है। राजा या राजव्यवस्था महत्वपूर्ण है। राजव्यवस्थाएं आनंदमगन समाज के लिए मार्ग प्रशस्त करती हैं। मनुष्य की अनेक मूलभूत आवश्यकताएं होती हैं। अनेक अभिलाषाएं होती हैं। ऋग्वेद (9.113.10 व 11) में प्रार्थना है, 'जहां सारी कामनाएं पूरी होती हैं। जहां सुखदाई तृप्तिदायक अन्न हों। हे देव हमें वहां स्थायित्व दें।' अन्न और कामनाओं क...
गांधी परिवार, फितरत में अहंकार

गांधी परिवार, फितरत में अहंकार

अवर्गीकृत
- श्याम जाजू राहुल गांधी के राजनीतिक जीवन में सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए बेबुनियाद बातें करना, गलत शब्दों के प्रयोग, अनावश्यक लांछन लगाने की प्रवृत्ति नई बात नहीं है। ऐसे अनेक प्रसंग हैं। इससे वह देश में हास्यापद हो गए हैं। लोग चटखारे लेते हैं। इससे बड़ा नुकसान उनकी पार्टी को तो हुआ ही है, साथ ही गांधी परिवार चरित्र चर्चा के दायरे में आ गया है। सूरत के विधायक पूर्णेश मोदी का राहुल के ऐसे ही बयान पर आपराधिक मानहानि का मुकदमा सुर्खियों में हैं। इस मुकदमे के अदालती फैसले से राहुल ने संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित हो गए हैं। यह कहने में संकोच नहीं है कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर राहुल का यही अतिरेक ही इस गति का कारण बना। 2019 में कर्नाटक की एक सभा में राहुल ने प्रधानमंत्री की पिछड़ी जाति का अपमान करते हुए कहा था कि देश के सब मोदी चोर क्यों होते हैं। यही वो बयान है जिस पर अदालत ने...
वैज्ञानिक कालगणना और भारतीय अध्यात्म

वैज्ञानिक कालगणना और भारतीय अध्यात्म

अवर्गीकृत
- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री भारतीय नव वर्ष का शुभारंभ प्रकृति की नवचेतना के साथ होता है। वृक्ष नए रूप में पल्लवित होते है। प्रकृति सर्वत्र उत्साह का संचार करती है। मां दुर्गा की उपासना से माहौल भक्तिमय हो जाता है। दुनिया की सर्वाधिक प्राचीन व वैज्ञानिक कालगणना का आविष्कार भारत में हुआ था। इसमें समय के न्यूनतम अंश का भी समावेश है। प्रलय के बाद भी यह कालगणना निरन्तर जारी रहेगी। प्रासंगिक रहेगी। इसके नववर्ष में प्रकृति भी नए रूप में परिलक्षित होती है। यह संधिकाल आध्यात्मिक ऊर्जा को प्राप्त करने का अवसर होता है। इसमें पाश्चात्य नववर्ष की तरह देररात का हंगामा नहीं होता। भारतीय कालगणना में परमाणु से लेकर कल्प तक का विचार है। इसलिए यह पूर्णतया वैज्ञानिक है। भारतीय नववर्ष का प्रथम दिन अपने में व्यापक संदेश देने वाला होता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही पृथ्वी माता का प्रादुर्भाव हुआ। इसी के साथ ब्रह्म...

प्रकृति से जुड़ाव का पर्व है श्रावणी तीज

अवर्गीकृत
- रमेश सर्राफ धमोरा वर्षा ऋतु में श्रावण के महीने में हमारे देश में चारों तरफ पानी बरसता रहता है। इस दौरान चारों तरफ हरियाली ही हरियाली नजर आती है। हरियाली के आगोश में प्रकृति इस तरह झूम उठती है मानो पृथ्वी अपनी हरी-भरी बाहें फैलाकर सबका अभिनंदन कर रही हो। श्रावण के महीने को हिंदू धर्मावलंबी भगवान शिव का महीना मान मानकर पूजा अर्चना करते हैं। कावड़िए देशभर में विभिन्न नदी, तालाबों से जल लाकर भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। गणगौर के बाद त्योहारों का सिलसिला रुक जाता है, वह एकबार फिर श्रावण मास की तीज से प्रारंभ हो जाता है। श्रावण का महीना महिलाओं के लिए विशेष उल्लास का महीना होता है। इस महीने में आने वाले अधिकांश लोक पर्व महिलाओं द्वारा ही मनाए जाते हैं। श्रावण के महीने में चारों ओर हरियाली की चादर-सी बिछ जाती है। जिसे देखकर सबका मन झूम उठता है। सावन का महीना एक अलग मस्ती और उमंग लेकर आता है...

नहीं रहेंगे पहाड़ और जंगल तो कैसा होगा जीवन

अवर्गीकृत
- योगेश कुमार गोयल दुनिया में मौसम के तेजी से बिगड़ते मिजाज के कारण विभिन्न देशों में प्रकृति की मार नजर आने लगी है। प्रकृति के साथ खिलवाड़ का ही परिणाम है कि इस साल देश के कई हिस्से भारी बारिश के कारण बाढ़ की वजह से त्राहि-त्राहि कर रहे हैं जबकि कई हिस्से मानसून शुरू होने के एक महीने बाद भी ठीक-ठाक बारिश को तरस रहे हैं। दुनिया के कई ठंडे इलाके भी इस वर्ष ग्लोबल वार्मिंग के कारण तप रहे हैं तो कई सूखे इलाके बाढ़ से त्रस्त हैं। जंगल झुलस रहे हैं। बिगड़ते पर्यावरणीय संतुलन और मौसम चक्र में आते बदलाव के कारण पेड़-पौधों की अनेक प्रजातियों के अलावा जीव-जंतुओं की कई प्रजातियों के अस्तित्व पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। पर्यावरण के तेजी से बदलते इस दौर में वैश्विक स्तर पर लोगों का ध्यान इन समस्याओं की ओर आकृष्ट करने के लिए प्रतिवर्ष 28 जुलाई को दुनियाभर में विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस मनाया जाता है, ...

हिन्दुत्व में समग्र मानवीय अनुभूति

अवर्गीकृत
- ह्रदय नारायण दीक्षित हिन्दुत्व भारत की प्रकृति है और संस्कृति भी। यह भारत के लोगों की जीवनशैली है। इस जीवनशैली में सभी विश्वासों के प्रति आदर भाव है। लेकिन भारतीय राजनीति के आख्यान में हिन्दुत्व के अनेक चेहरे हैं। उग्र हिन्दुत्व, मुलायम (साफ्ट) हिन्दुत्व, साम्प्रदायिक हिन्दुत्व आदि अनेक विशेषण मूल हिन्दुत्व पर आक्रामक हैं। अंग्रेजी भाषान्तर में हिन्दुत्व को हिन्दुइज्म कहा जाता है। इज्म विचार होता है। विचार 'वाद' होता है। वाद का प्रतिवाद भी एक विचार होता है। पूंजीवाद- कैप्टलिज्म है। समाजवाद सोशलिज्म है। इसी तरह कम्युनिज्म है। अंग्रेजी का हिन्दुइज्म भी हिन्दूवाद का अर्थ देता है। लेकिन हिन्दुत्व हिन्दूवाद नहींं है। हिन्दुत्व समग्र मानवीय अनुभूति है। वीर होना वीरवाद नहींं होता, वीर होने का भाव वीरता है। दयावान होना दयावाद नहींं दयालुता है। हिन्दू होना हिन्दुता या हिन्दुत्व है। कुछ विद्वान ह...