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यह सिर्फ चुनाव नहीं, राष्ट्रधर्म की स्थापना का सनातन यज्ञ भी है

यह सिर्फ चुनाव नहीं, राष्ट्रधर्म की स्थापना का सनातन यज्ञ भी है

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- संजय तिवारी लोकसभा 2024 का चुनाव वस्तुतः एक धर्मयुद्ध है। इसको बहुत संजीदगी से सभी को लड़ना ही होगा। राजनीतिक जय-पराजय अपनी जगह है किंतु देश को जीतना चाहिए। राष्ट्र विजयी हो, ऐसा संकल्प होना चाहिए। इसके लिए प्रतिज्ञा की नहीं केवल संकल्प की आवश्यकता है। प्रतिज्ञा में शक्ति नहीं होती। वह भीष्म बनाती है किंतु संकल्प शक्ति से भरी होती है। वह शिव बनाती है। शिव कल्याणकारी हैं। शिव से ही सत्य और सुंदर भी स्थापित हो पायेंगे। संकल्प और प्रतिज्ञा के बारे में श्रीमदभगवदगीता में भगवान कृष्ण ने बहुत सलीके से समझा दिया है। याद कीजिए कि जब जयद्रथ को मारने की प्रतिज्ञा अर्जुन कर लेते हैं कि सूर्यास्त तक नहीं मारा तो अग्नि समाधि ले लूंगा। आचार्य द्रोण कमलव्यूह के अंदर जयद्रथ को छुपा देते हैं जिसका आकर 32 कोस का था। जाहिर है वह उस तक कैसे पहुँचते ! जयद्रथ की सुरक्षा में बड़े बड़े वीर तैनात थे। भगवान...
राष्ट्रवाद पर सदैव अटल

राष्ट्रवाद पर सदैव अटल

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- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राष्ट्र ने पहली बार सुशासन को देशभर में क्रियान्वित होते देखा। अटल जी के प्रधानमंत्रितत्व कार्यकाल में देश ने पहली बार सुशासन को चरितार्थ होते देखा। जहां एक ओर उन्होंने सर्व शिक्षा अभियान, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना जैसे विकासशील कार्य किए, वहीं दूसरी ओर पोखरण परीक्षण एवं कारगिल विजय से मजबूत भारत की नींव रखी। अटल बिहारी वाजपेयी अजातशत्रु थे। इसका कारण यह था कि उन्होंने सदैव सिद्धान्तों को महत्व दिया। किसी के प्रति उनका व्यक्तिगत रागद्वेष नहीं था। विपक्ष और सत्ता धर्म दोनों का उन्होंने बखूबी निर्वाह किया। वह कांग्रेस की जम कर आलोचना करते थे, लेकिन जब पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया तो वह कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के साथ खड़े हुए। आज के नेताओं को उनसे प्रेरणा ...
‘मन की बात’ और राष्ट्रबोध

‘मन की बात’ और राष्ट्रबोध

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- डॉ. सौरभ मालवीय किसी भी राष्ट्र की उन्नति के लिए आवश्यक है कि प्रधानमंत्री की बात सीधे जनता तक पहुंचे और जनता की बात सीधे उन तक तक पहुंचे। इससे दोनों के मध्य तालमेल बना रहता है। इससे जनता को पता चलता है कि प्रधानमंत्री उनके लिए क्या सोचते हैं तथा उनके लिए क्या कार्य करे रहे हैं। इसके साथ ही प्रधानमंत्री को ज्ञात होता है कि जनता को उनसे क्या अपेक्षा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विचारों के धनी हैं। उनकी वाकपटुता अद्भुत है। उनके भाषणों में उनके इस सद्गुण को देखा जा सकता है। वह ‘मन की बात’ नामक रेडियो कार्यक्रम के माध्यम से विभिन्न विषयों पर जनता से बात करते हैं। मई 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने जनता से सीधा संपर्क करने के लिए आकाशवाणी पर ‘मन की बात’ कार्यक्रम प्रारम्भ किया था। प्रथम बार अक्टूबर 2014 को प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ के माध्यम से जनता को संबोधित किया गया। 30 अप्र...
इतिहासबोध राष्ट्रबोध का आधार

इतिहासबोध राष्ट्रबोध का आधार

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- हृदयनारायण दीक्षित राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा दसवीं, ग्यारहवीं व बारहवीं की पुस्तकों में कतिपय संशोधन किए गए हैं। इन पुस्तकों में बच्चों के लिए ज्ञानवर्धक पाठ्यक्रम बनाए जाते हैं। विषय विशेषज्ञों की समिति विचार करती है। अन्य विषय की पुस्तकों में भी संशोधन हुए हैं। लेकिन इतिहास की पुस्तकों में हुए कतिपय संशोधनों को लेकर बहस चल रही है। अध्ययन की दृष्टि से इतिहास, संस्कृति और दर्शन महत्वपूर्ण विषय माने जाते हैं। इतिहासबोध राष्ट्रबोध का आधार है। भारत में इतिहास संकलन की विशेष परंपरा रही है। यूरोपीय तर्ज के इतिहास में राजाओं और सामंतों के संघर्षों का वर्णन ज्यादा होता है। भारतीय इतिहास में संस्कृति का विवरण महत्वपूर्ण होता है। इतिहास सर्वोच्च मार्गदर्शी होता है। सृष्टि के उदय से लेकर अब तक का विवरण इतिहास है। इतिहास का अर्थ है-ऐसा ही हुआ था। भारतीय जीवन...