Friday, November 22"खबर जो असर करे"

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सरदार पटेल: एकीकृत भारत के निर्माता

सरदार पटेल: एकीकृत भारत के निर्माता

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- योगेश कुमार गोयल राष्ट्रीय एकता के प्रति सरदार पटेल की निष्ठा आजादी के इतने वर्षों बाद भी पूरी तरह प्रासंगिक है। एकता की मिसाल कहे जाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल गुजरात के नाडियाद में एक किसान परिवार में 31 अक्तूबर 1875 को जन्मे थे, जिन्होंने सदैव देश की एकता को सर्वोपरि माना। सरदार पटेल ने भारत को खण्ड-खण्ड करने की अंग्रेजों की साजिश को नाकाम करते हुए बड़ी कुशलता से आजादी के बाद करीब 550 देशी रियासतों तथा रजवाड़ों का एकीकरण करते हुए अखण्ड भारत के निर्माण में सफलता हासिल की थी। राजनीतिक और कूटनीतिक क्षमता का परिचय देते हुए स्वतंत्र भारत को एकजुट करने का असाधारण कार्य बेहद कुशलता से सम्पन्न करने के लिए जाने जाते रहे सरदार पटेल का देहांत दिल का दौरा पड़ने के कारण 15 दिसम्बर 1950 को 75 वर्ष की आयु में हो गया था। इस दिन को प्रतिवर्ष ‘सरदार पटेल स्मृति दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। देश क...
सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और राष्ट्रीय एकता का पर्व दशहरा

सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और राष्ट्रीय एकता का पर्व दशहरा

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- योगेश कुमार गोयल आश्विन शुक्ल दशमी को प्रतिवर्ष ‘विजयादशमी’ का पर्व मनाया जाता है, जिसे दशहरा भी कहा जाता है। दशहरा इस वर्ष उदया तिथि के अनुसार 24 अक्तूबर को मनाया जा रहा है। समस्त भारत में दशहरा भगवान श्रीराम द्वारा रावण के वध के रूप में अर्थात् बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में तथा आदि शक्ति दुर्गा द्वारा महाबलशाली राक्षसों महिषासुर व चण्ड-मुण्ड का वध किए जाने के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने रावण पर विजय पाने के लिए इसी दिन प्रस्थान किया था। इतिहास में कई ऐसे उदाहरण हैं, जिनसे पता चलता है कि हिन्दू राजा अक्सर इसी दिन विजय के लिए प्रस्थान किया करते थे। इसी कारण इस पर्व को विजय के लिए प्रस्थान का दिन भी कहा जाता है और इसे क्षत्रियों का त्योहार भी माना गया है। इस दिन अपराजिता देवी की पूजा भी होती है। मान्यता है कि सर्वप्रथम श्रीराम ने समुद्र तट पर शारदीय नवरात्रि...
आचार्य शंकर: राष्ट्रीय एकता एवं सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रवर्तक

आचार्य शंकर: राष्ट्रीय एकता एवं सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रवर्तक

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- वीरेन्द्र सिंह परिहार जगतगुरु श्री शंकराचार्य का जन्म उस समय हुआ था, जब बौद्ध धर्म पतनात्मक स्थिति की ओर जा रहा था, धर्म के नाम पर अनाचार फैल रहा था। विडम्बना यह कि अनेक वर्षों तक राजाश्रय प्राप्त होने के चलते बौद्धों को सत्ता का स्वाद लग चुका था। विदेशियों ने ढलती हुई बौद्ध सत्ता का उन्नायक बनकर भारत में प्रवेश किया और बौद्धों ने बिना सोचे-समझे उनका सहयोग किया। लेकिन प्रखर राष्ट्रीयता का पोषक हिन्दू समाज इसे सहन न कर सका, जिसके चलते कुमारिल भट्ट द्वारा प्रज्ज्वलित चिंगारी शंकराचार्य के रूप में दावानल बनकर प्रगट हुई- जिसने सभी झाड़-झंखाड़ को भस्मीभूत कर दिया, जिसके चलते देश एवं धर्म की रक्षा हुई। पुत्र की प्राप्ति पर भगवान शंकर का वरदान मानकर उनके पिता शिवगुरु ने उनका नाम शंकर रखा। शंकर की असाधारण बुद्धि को देखते हुए शिवगुरु ने तीन वर्ष की उम्र में ही उनका अक्षराभ्यास आरंभ करा दिया। पांच...
राष्ट्रीय एकता के लिए एक समान कानून जरूरी

राष्ट्रीय एकता के लिए एक समान कानून जरूरी

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- हृदयनारायण दीक्षित समान नागरिक संहिता अपरिहार्य है। यह राष्ट्र राज्य का संवैधानिक कर्तव्य है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे आवश्यक बताया है। मोदी ने समान नागरिक संहिता को राष्ट्र की जरूरत बताते हुए कहा कि, इसके नाम पर कुछ दल मुस्लिमों को भड़का रहे हैं। उन्होंने इसके विरोध पर सवाल उठाते हुए कहा कि, एक घर एक परिवार में प्रत्येक सदस्य के लिए अलग अलग कानून हों तो वह परिवार कैसे चल पाएगा? उन्होंने याद दिलाया कि `सर्वोच्च न्यायालय ने भी समान नागरिक संहिता लागू करने की बात की थी। लेकिन वोटबैंक राजनीति करने वाले इसका विरोध कर रहे हैं।' आखिरकार विश्वास आधारित सांप्रदायिक समूहों के लिए अलग अलग कानून कैसे हो सकते हैं। संविधान निर्माताओं ने प्रत्येक नागरिक के लिए एक समान नागरिक संहिता प्राप्त करने का कर्तव्य (अनुच्छेद 44) राष्ट्र राज्य को सौंपा है। समान सिविल संहिता राष्ट्रीय एकता के लिए भी अनिव...
जयंती विशेष: राष्ट्रीय एकता के हिमायती सरदार पटेल

जयंती विशेष: राष्ट्रीय एकता के हिमायती सरदार पटेल

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- रमेश सर्राफ धमोरा भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन को वैचारिक एवं क्रियात्मक रूप में एक नई दिशा देने के कारण सरदार पटेल को राजनीतिक इतिहास में गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त है। उनके कठोर व्यक्तित्व में संगठन कुशलता, राजनीति सत्ता तथा राष्ट्रीय एकता के प्रति अटूट निष्ठा थी। जिस अदम्य उत्साह, असीम शक्ति से उन्होंने एकीकृत देश की प्रारम्भिक कठिनाइयों का समाधान किया। भारत की स्वतंत्रता संग्राम मे उनका महत्वपूर्ण योगदान था। सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 में गुजरात के नाडियाड में लेवा पट्टीदार जाति के एक जमींदार परिवार में हुआ था। वे अपने पिता झवेरभाई पटेल एवं माता लाड़बाई की चौथी संतान थे। सरदार पटेल ने करमसद में प्राथमिक विद्यालय और पेटलाद स्थित उच्च विद्यालय में शिक्षा प्राप्त की थी। लेकिन उन्होंने अधिकांश ज्ञान स्वाध्याय से ही अर्जित किया। 16 वर्ष की आयु में उनका विवाह हो गया। 22 साल की उ...