Friday, September 20"खबर जो असर करे"

Tag: National Education Policy

अमृतकाल और राष्ट्रीय शिक्षा नीति

अमृतकाल और राष्ट्रीय शिक्षा नीति

अवर्गीकृत
- धर्मेन्द्र प्रधान ज्ञान शक्ति है। भारत की समृद्ध ज्ञान क्षमता वेदों और उपनिषदों में स्पष्ट है। यह वैदिक ग्रंथ सदियों से ज्ञान के विशाल स्रोत के रूप में कार्य कर रहे हैं। नालंदा और तक्षशिला जैसे हमारे प्राचीन भारतीय विश्वविद्यालय हमारी धरोहर हैं। यह अकाट्य सत्य है कि भारत अतीत में अंतरराष्ट्रीय ज्ञान का केंद्र रहा है। समय के साथ, भारत की ज्ञान शक्ति और संपदा ने मुगल, मंगोल, ब्रिटिश, डच और पुर्तगालियों सहित बहुत लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा, जिन्होंने इतिहास की विभिन्न अवधियों में भारत पर आक्रमण किया, जिसके परिणामस्वरूप भारत के ज्ञान संपदा की भी अत्यधिक हानि हुई। लेकिन यह सर्वविदित और स्वीकृत तथ्य है कि आक्रमणकारी हमारी भूमि को लूट सकते थे और हमारे विश्वविद्यालयों को नष्ट कर सकते थे, लेकिन वे हमारी भूमि के गुरुओं और योगियों से सदैव पराजित हुए। दूसरी औद्योगिक क्रांति के दौरान ब्रिटेन ने द...
राष्ट्रीय शिक्षा नीति और जनसंचार शिक्षा

राष्ट्रीय शिक्षा नीति और जनसंचार शिक्षा

अवर्गीकृत
- डॉ. संजय द्विवेदी जनसंचार हमारे समाज की एक ऐसी आवश्यकता है, जिस पर इसका विकास, प्रगति और गतिशीलता सर्वाधिक निर्भर करती है। एक विषय के तौर पर यह भले ही नया प्रतीत होता हो, लेकिन समाज के एक अभिन्न अंग के रूप में यह शताब्दियों से हमारे साथ विद्यमान रहा है और एक समाज के तौर पर हमें हमेशा मजबूती, गति व दिशा देता रहा है। फर्क यही आया है कि पहले जनसंचार एक नैसर्गिक प्रतिभा होता था, अब एक कौशल बन गया है, जिसे प्रशिक्षण से विकसित किया जा सकता है। पारिभाषिक रूप से जनसंचार वह प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत सूचनाओं को पाठ्य, श्रव्य या दृश्य रूप में बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंचाया जाता है। आमतौर पर इस कार्य के लिए समाचार पत्र-पत्रिकाओं, टेलीविजन, रेडियो, सोशल नेटवर्किंग, न्यूज पोर्टल आदि विभिन्न माध्यमों का प्रयोग किया जाता है। पत्रकारिता, विज्ञापन, इवेंट मैनेजमेंट और जनसंपर्क, जनसंचार के कुछ लोकप्र...