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चतुर्मास  : व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र निर्माण की अवधि

चतुर्मास : व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र निर्माण की अवधि

अवर्गीकृत
- रमेश शर्मा भारतीय वाड्मय में चातुर्मास का विशेष महत्व है । यह आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से आरंभ होता है । इसका समापन कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की एकादशी को होगा । मान्यता है कि इन चार माह में भगवान नारायण पाताल लोक में विश्राम करते हैं इसलिये कोई शुभ काम नहीं होते। लेकिन आश्चर्यजनक यह है कि यदि चतुर्मास में कोई पवित्र कार्य नहीं हो सकते तब सनातन परंपरा के सभी बड़े और महत्व पूर्ण त्यौहार जैसे गुरु पूर्णिमा, रक्षाबंधन, नागपंचमी, ऋषि पंचमी, गणेशोत्सव, जन्माष्टमी, संतान सप्तमी, करवा चौथ, हरियाली अमावस, पितृपक्ष, नवरात्र, दशहरा, दीवाली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज आदि सभी बड़े त्यौहार इसी अवधि में ही आते हैं । बड़े त्यौहारों में केवल होली है जो इस चतुर्मास की अवधि से बाहर है । यदि कोई शुभ कार्य नहीं हो सकते तो बड़े बड़े त्यौहारों की शृंखला का प्रावधान इसी अवधि में क्यों किया गया है ? इस प्रश्न ...
मनोरंजन ही नहीं समाज और राष्ट्र निर्माण में भी योगदान देती हैं कलाएं: राज्यपाल पटेल

मनोरंजन ही नहीं समाज और राष्ट्र निर्माण में भी योगदान देती हैं कलाएं: राज्यपाल पटेल

देश, मध्य प्रदेश
- संगीत एवं कला विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के साथ संवाद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शामिल हुए राज्यपाल भोपाल (Bhopal)। राज्यपाल मंगुभाई पटेल (Governor Mangubhai Patel) ने कहा कि भारतीय चिंतन परंपरा (Indian thought tradition) में कलाओं व संस्कृति (arts and culture) का उद्देश्य केवल मनोरंजन मात्र नहीं, समाज और राष्ट्र निर्माण में सहभागी होना भी है। जीवन में संगीत का बड़ा महत्व (great importance of music in life) है। संगीत मन को तरंगित कर देता है। आप कितने भी गहने तनाव व थकावट से भरे हों, यदि कोई अच्छा सुर सुनाई दे जाए तो मन को बड़ा सुकून मिलता है। इसका प्रत्यक्ष अनुभव यहाँ हो रहा है। राज्यपाल पटेल रविवार को ग्वालियर में राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के साथ संवाद एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे। कार्यक्रम में सांसद विवेक नारायण शे...
चतुर्मास : व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र निर्माण की अवधि

चतुर्मास : व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र निर्माण की अवधि

अवर्गीकृत
- रमेश शर्मा भारतीय वाड्मय में चतुर्मास का विशेष महत्व है । यह अवधि आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से आरंभ होकर कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की एकादशी तक पूरे चार माह रहती है । मान्यता है कि इस अवधि में भगवान नारायण पाताल लोक में विश्राम करते हैं इसलिये कोई शुभ काम नहीं होते। लेकिन आश्चर्यजनक पक्ष यह है कि यदि चतुर्मास में देव शयन होता है और कोई पवित्र कार्य नहीं हो सकते तब सनातन परंपरा के सभी बड़े और महत्व पूर्ण त्योहार जैसे गुरु पूर्णिमा, रक्षाबंधन, नागपंचमी, ऋषि पंचमी, गणेशोत्सव, जन्माष्टमी, संतान सप्तमी, करवा चौथ, हरियाली अमावस, पितृपक्ष, नवरात्र, दशहरा, दीवाली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज आदि सभी बड़े त्योहार इसी चार माह की अवधि में ही आते हैं । बड़े त्योहारों में केवल होली है जो इस चतुर्मास की अवधि से बाहर है । यदि कोई शुभ कार्य नहीं हो सकते तो बड़े-बड़े त्योहारों की शृंखला का प्रावधान इसी अवधि मे...
साहित्यकारों की राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिकाः मंत्री उषा ठाकुर

साहित्यकारों की राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिकाः मंत्री उषा ठाकुर

देश, मध्य प्रदेश
- उर्दू अकादमी का अलंकरण समारोह में देश-प्रदेश के रचनाकारों की कृतियां हुईं पुरस्कृत भोपाल (Bhopal)। संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर (Culture and Tourism Minister Usha Thakur) ने कहा कि साहित्यकारों (litterateurs) की राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका (important role in nation building) होती है। इसलिए साहित्यकार देश और समाज के प्रति सकारात्मक दायित्व का निर्वाह अवश्य सुनिश्चित करें। मंत्री उषा ठाकुर सोमवार को राज्य संग्रहालय में उर्दू अकादमी के अलंकरण समारोह (Investiture Ceremony of Urdu Academy) एवं संगीत संध्या को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि यह सभी पुरस्कार साहित्यकारों की जीवन भर की अथक और निरंतर साधना का घोतक है। साहित्यकार अपने शोध कार्य में जीवन भर के अनुभवों एवं अनुभूतियों को समाहित करते है ताकि साहित्य देश और समाज के लिए प्रेरक बन सकें। मंत्री उषा ठाकुर ने मध्यप्...