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अवैध धर्मांतरण: राष्ट्र को बर्बाद करने का मार्ग

अवैध धर्मांतरण: राष्ट्र को बर्बाद करने का मार्ग

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- पंकज जगन्नाथ जयस्वाल दुनिया मुस्लिम कट्टरपंथ के खिलाफ लड़ रही है, जिस पर तलवार की नोक पर धर्मांतरण करने का आरोप है। एक खामोश क्रांति चल रही है, जिसके बारे में हममें से कोई भी जानना नहीं चाहता। यह इतनी सहज और सुनियोजित है कि लोगों को इसका अंदाजा ही नहीं है और वे पूरी तरह संतुष्ट हैं। कई ईसाई मिशनरियाँ धर्मांतरण के उद्देश्य से अनुसूचित जाति और जनजातियों को निशाना बना रही हैं। इन मिशनरियों को प्रभावित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण तत्व उनकी वित्तीय और सहायता प्रणाली है। दो से अधिक वर्षों से, कई ईसाई मिशनरियों ने सनातन धर्म को मिटाने और भारत में ईसाई धर्म को स्थापित करने की कोशिश की है। 19वीं सदी के मिशनरी और आज के मिशनरी के बीच एकमात्र अंतर यह है कि पहले वाले ने सार्वजनिक रूप से इसकी घोषणा की, जबकि बाद वाले स्पष्ट कारणों से चुप हैं। प्यू रिसर्च के अनुसार, अधिकांश भारतीय ईसाई (54%) कर्म मे...
युवा आगे आएंगे तभी होगा राष्ट्र-समाज का कल्याण

युवा आगे आएंगे तभी होगा राष्ट्र-समाज का कल्याण

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- अरुण कुमार दीक्षित राजनीति में युवाओं की अहम भूमिका है। युवा अपने विचारों से हर क्षेत्र को प्रभावित करते हैं। वे जिस विचार की ओर अग्रसर होते हैं, समाज उससे प्रभावित होता ही है। आज दुनिया में सर्वाधिक मांग युवाओं की है। भारत की राजनीति में सबसे अधिक मांग युवा विचारों के साथ युवाओं की ही रहती है।भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को युवाओं ने ही धार दी थी। युवाओं के आकर्षण का केंद्र राजनीति है। वह राजनीति उन्हें आकर्षित करती है। भारत की राजनीति ने युवा मन को निराश किया है। राजनीति युवाओं में विराट लक्ष्य नहीं देखती। राजनीतिक दलों से जुड़े युवा कभी इस दल तो कभी उस दल के हाईकमान का जयघोष करते हैं। ऐसा कर वे एक तरह से अपने ही श्रम-समय का नुकसान करते हैं। युवा सपने देखते हैं और सफल होते हैं। विफल भी होते हैं। टूटते हैं। आज युवा बेरोजगारी से टकरा रहे हैं। युवाओं पर पढ़ाई के साथ परिवार वालों का भी दबाव...
सरकार की महत्वाकांक्षा 2047 तक भारत को पूर्ण विकसित राष्ट्र बनाना : गोयल

सरकार की महत्वाकांक्षा 2047 तक भारत को पूर्ण विकसित राष्ट्र बनाना : गोयल

देश, बिज़नेस
नई दिल्ली (New Delhi)। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल (Union Commerce and Industry Minister Piyush Goyal) ने सोमवार को कहा कि भारत (India) 2047 तक 35 ट्रिलियन डॉलर (35 trillion dollars) की पूर्ण विकसित अर्थव्यवस्था (Fully developed economy) बनने की राह पर अग्रसर है। नई दिल्ली में 19 लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों के 35 पत्रकारों को संबोधित करते हुए गोयल ने कहा कि वर्तमान सरकार की महत्वाकांक्षा 2047 तक भारत को पूर्ण विकसित राष्ट्र बनाना है, इस दिशा में सभी प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की महत्वाकांक्षा मौजूदा 3.7 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था को 2047 तक 30-35 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना है। इसके साथ ही राष्ट्र की खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। गोयल ने भारत की विकास कहानी पर बोलते हुए कहा कि 2014 में विरासत में मिली टूटी हुई अर्थव्...
लाला लाजपतराय: स्वत्व स्वाभिमान और राष्ट्र के लिए जीवन समर्पित

लाला लाजपतराय: स्वत्व स्वाभिमान और राष्ट्र के लिए जीवन समर्पित

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- रमेश शर्मा स्वाधीनता संघर्ष केवल राजनैतिक या सत्ता के लिये ही नहीं होता। वह स्वत्व, स्वाभिमान, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और मानसिक अस्मिता के लिये भी होता है। इस सिद्धांत के लिये अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाले थे पंजाब केसरी लाला लाजपतराय। उनका जन्म 28 जनवरी 1865 को फिरोजपुर में हुआ था। उनका परिवार आर्यसमाज से जुड़ा था। अपने क्षेत्र के सुप्रसिद्ध व्यवसायी उनके पिता मुंशी राधा कृष्ण आजाद संस्कृत के विद्वान थे, उन्हें फारसी और उर्दू का भी ज्ञान था। माता गुलाब देवी भी विदुषी थीं। सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति समर्पण के संस्कार लाला लाजपतराय को बचपन से मिले थे। आर्य समाज से संबंधित होने के कारण वे अपनी बात को तथ्य और तर्क के साथ रखना उनके स्वभाव में आ गया था। घर में आध्यात्मिक और धार्मिक पुस्तकों का मानों भंडार था। इनके अध्ययन के साथ उन्होंने वकालत की परीक्षा उत्तीर्ण की और रोहतक तथा...
राष्ट्र के पुनर्निर्माण का आधार बनेगा श्रीराम मंदिर

राष्ट्र के पुनर्निर्माण का आधार बनेगा श्रीराम मंदिर

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- प्रो. संजय द्विवेदी आज पूरी दुनिया उत्सुकता के साथ 22 जनवरी के ऐतिहासिक क्षण का इंतजार कर रही है। दुनिया में कोई भी देश हो, अगर उसे विकास की नई ऊंचाई पर पहुंचना है, तो उसे अपनी विरासत को संभालना ही होगा। हमारी विरासत, हमें प्रेरणा देती है, हमें सही मार्ग दिखाती है। इसलिए आज का भारत, पुरातन और नूतन दोनों को आत्मसात करते हुए आगे बढ़ रहा है। एक समय था जब अयोध्या में रामलला टेंट में विराजमान थे, लेकिन आज राम मंदिर का भव्य निर्माण हो रहा है। श्रीराम मंदिर का निर्माण एक अनथक संघर्ष का प्रतीक है। अयोध्या यानी वह भूमि जहां कभी युद्ध न हुआ हो। ऐसी भूमि पर कलयुग में एक लंबी लड़ाई चली और त्रेतायुग में पैदा हुए रघुकुल गौरव भगवान श्रीराम को आखिरकार छत नसीब होने वाली है। राजनीति कैसे साधारण विषयों को भी उलझाकर मुद्दे में तब्दील कर देती है, रामजन्मभूमि का विवाद इसका उदाहरण है। आजादी मिलने के समय सोम...
राष्ट्रवाद पर सदैव अटल

राष्ट्रवाद पर सदैव अटल

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- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राष्ट्र ने पहली बार सुशासन को देशभर में क्रियान्वित होते देखा। अटल जी के प्रधानमंत्रितत्व कार्यकाल में देश ने पहली बार सुशासन को चरितार्थ होते देखा। जहां एक ओर उन्होंने सर्व शिक्षा अभियान, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना जैसे विकासशील कार्य किए, वहीं दूसरी ओर पोखरण परीक्षण एवं कारगिल विजय से मजबूत भारत की नींव रखी। अटल बिहारी वाजपेयी अजातशत्रु थे। इसका कारण यह था कि उन्होंने सदैव सिद्धान्तों को महत्व दिया। किसी के प्रति उनका व्यक्तिगत रागद्वेष नहीं था। विपक्ष और सत्ता धर्म दोनों का उन्होंने बखूबी निर्वाह किया। वह कांग्रेस की जम कर आलोचना करते थे, लेकिन जब पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया तो वह कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के साथ खड़े हुए। आज के नेताओं को उनसे प्रेरणा ...
मोदीवाद की धुरी में विकासवाद

मोदीवाद की धुरी में विकासवाद

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- महेश वर्मा साल 2014 में नरेन्द्र मोदी के भारत के प्रधानमंत्री का पदभार संभालने के साथ राष्ट्र में परिवर्तनकारी विकास का हुआ है। मोदीवाद ने इतने विशाल स्तर पर विकास की संकल्पना को साकार किया, जिसके बारे में भारत ने कभी कल्पना नहीं की थी। उनका नेतृत्व अपने साथ इतने बड़े पैमाने पर विकास का वादा लेकर आया जो भारत ने पहले कभी नहीं देखा था। बुनियादी ढांचे का विकासः मोदी युग का सबसे उल्लेखनीय और पहला पहलू है, बुनियादी ढांचे का विकास। मोदीवाद में स्पष्ट था कि जब तक बुनियादी ढांचे का विकास नहीं किया जाता है, तब तक समेकित विकास की कल्पना करना मुश्किल है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने राजमार्गों, रेलवे, हवाई अड्डों और बंदरगाहों के विकास व निर्माण में भारी वृद्धि देखी। उदाहरण के लिए, 'भारतमाला' परियोजना का लक्ष्य 6 लाख करोड़ रुपये से अधिक के नियोजित निवेश के साथ देश में सड़क कनेक्टिविटी...
राष्ट्रभाषा के बिना गूंगा है राष्ट्र

राष्ट्रभाषा के बिना गूंगा है राष्ट्र

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- योगेश कुमार गोयल हिन्दी भाषा को समृद्ध बनाने के लिए प्रतिवर्ष 14 सितंबर का दिन ‘हिन्दी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इसी के साथ शुरू हो जाता है हिन्दी दिवस सप्ताह। प्रत्येक भारतीय के लिए अब यह गर्व की बात है कि दुनियाभर में हिन्दी को चाहने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। डॉ. फादर कामिल बुल्के ने संस्कृत को मां, हिन्दी को गृहिणी और अंग्रेजी को नौकरानी बताया था। आयरिश प्रशासक जॉन अब्राहम ग्रियर्सन को भारतीय संस्कृति और यहां के निवासियों के प्रति अगाध प्रेम था, जिन्होंने हिन्दी को संस्कृत की बेटियों में सबसे अच्छी और शिरोमणि बताया था। दूसरी ओर हमारे ही देश में कुछ लोग कुतर्क देते हैं कि भारत सरकार योग को तो 177 देशों का समर्थन दिलाने में सफल हो गई लेकिन हिन्दी के लिए 129 देशों का समर्थन भी नहीं जुटा सकी और इसे अब तक संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा बनाने में भी सफलता नहीं मिली। हालांकि इस प...
राष्ट्र के प्रकाश स्तंभ होते हैं शिक्षक

राष्ट्र के प्रकाश स्तंभ होते हैं शिक्षक

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- रमेश सर्राफ धमोरा शिक्षक हर व्यक्ति के जीवन की रीढ़ होते हैं। शिक्षक ही है जो विद्यार्थियों को जीवन का नया अर्थ सिखाता है। सही रास्ता दिखाता है। गलत करने से रोकता है। वे बाहर से देख सकते हैं। वे प्रत्येक छात्र की देखभाल करते हैं और उनके विकास की कामना करते हैं। शिक्षकों का सम्मान नहीं करने वाले जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ सकते। शिक्षक बच्चों के व्यक्तित्व को ढालते हैं। वे एकमात्र निःस्वार्थ व्यक्ति हैं जो खुशी-खुशी बच्चों को अपना सारा ज्ञान देते हैं। शिक्षक बच्चों के जीवन के वास्तविक निर्माता होते हैं, जो न सिर्फ हमारे जीवन को आकार देते हैं, बल्कि इस काबिल बनाते हैं कि वह पूरी दुनिया में अंधकार होने के बाद भी प्रकाश बिखेरते रहें। शिक्षक समाज में प्रकाश स्तंभ की तरह होता है, जो अपने शिष्यों को सही राह दिखाकर अंधेरे से प्रकाश की और ले जाता है। शिक्षकों के ज्ञान से फैलने वाली रोशनी दूर से ही न...