Friday, November 22"खबर जो असर करे"

Tag: Narendra Modi

प्रधानमंत्री की हर पहल से भारत हुआ सशक्त

प्रधानमंत्री की हर पहल से भारत हुआ सशक्त

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- पंडित अजॉय चक्रवर्ती सबसे पहले मैं विनम्र शब्दों में कहना चाहता हूं कि महान राजनेताओं की एक लंबी लिस्ट है, जो हमारे देश के प्रमुख के रूप में प्रधानमंत्री के पद पर आसीन हुए। लेकिन, ऐसा लगता है कि उनमें से किसी ने भी उस रूप में पद नहीं संभाला, जैसा नरेन्द्र मोदी ने संभाला है। उन्होंने विशेषकर जनसांख्यिकी, धर्म, भूगोल, इतिहास, शिक्षा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, दर्शन, कला, संस्कृति आदि अलग-अलग क्षेत्रों और पहलुओं की पृष्ठभूमि में भारत को वैश्विक संदर्भ में सर्वश्रेष्ठ या अद्वितीय के रूप में प्रस्तुत किया है। भारतीय उपमहाद्वीप (अविभाजित भारत) अपनी भौतिक विशालता के लिए के साथ अपनी बौद्धिक और आध्यात्मिक उत्कृष्टता के लिए भी जाना जाता था। इसलिए, इससे पहले कि कोई आधुनिक भारत के नेता के रूप में मोदी की भूमिका के आयामों और कार्यप्रणाली का मूल्यांकन करे, तो एक मूलभूत विचार यह होना चाहिए कि भारत दुनिय...
केंद्र की अच्छी पहल है भ्रष्टाचार मुक्त भारत

केंद्र की अच्छी पहल है भ्रष्टाचार मुक्त भारत

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- सुरेश हिन्दुस्थानी देश को अच्छा वातावरण देने के लिए भ्रष्टाचार मुक्त शासन प्रणाली की चाह हर किसी को है, क्योंकि भारत में भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत गहरे तक घर कर चुकी हैं। यह भी एक बड़ा सच है कि जो भ्रष्टाचार का शिकार होता है, वह अनीति के मार्ग पर कदम बढ़ाने का दुस्साहसिक कार्य ही करता है। सैद्धांतिक तथ्य यह है कि जितना भ्रष्टाचार करने वाला दोषी है, उतना ही भ्रष्टाचार का शिकार होने वाला भी दोषी है, इसलिए दोनों का ही जीवन कुसंस्कार की बलि चढ़ जाता है। कहा जाता है कि जो परिश्रम करके खाता है, उसके जीवन में संतोष होता है, लेकिन जो भ्रष्टाचार करके खाता है, उसको कई लोगों के हृदय से उफनती हुई गालियों को झेलना होता है यानी उसको बद्दुआ ही मिलती है। कांग्रेस के शासनकाल में जिस प्रकार से भ्रष्टाचार के काले कारनामे उजागर हुए, उससे तो ऐसा ही लगता था कि अब देश से भ्रष्टाचार रूपी बुराई का अंत नहीं हो स...
डॉ. अंबेडकर के विचारों का क्रियान्वयन

डॉ. अंबेडकर के विचारों का क्रियान्वयन

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- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री प्रधानमंत्री बनते समय नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार को गरीबों वंचितों के प्रति समर्पित बताया था। वस्तुतः यह डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों की ही प्रेरणा थी। विगत नौ वर्षों से उनकी सरकार इसी दिशा में कार्य कर रही है। जन कल्याण की इतनी अधिक और व्यापक योजनाएं देश में पहले कभी लागू नहीं की गई थी। डॉ. भीमराव अंबेडकर की जीवन यात्रा स्वयं में प्रेरणादायक रही है। इस यात्रा के अनेक पड़ाव थे। प्रत्येक में उनके व्यक्तित्व व कृतित्व की झलक थी। ऐसे में इन स्थानों पर गरिमापूर्ण स्मारक दशकों पहले बनने चाहिए थे। लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के अलावा किसी अन्य ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। डॉ. अंबेडकर की प्रतिष्ठा में सर्वाधिक कार्य वर्तमान केंद्र व प्रदेश सरकार ने किए हैं। इसमें उनके जीवन से संबंधित स्थलों का भव्य निर्माण भी शामिल है। इसके साथ ही दलित वर्ग के लोगों को आर्थिक रूप से स्वा...
दुबई में विदेश नीति का डंका

दुबई में विदेश नीति का डंका

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक दुबई के इस चार दिन के प्रवास में मेरा कुछ समय तो समारोहों में बीत गया लेकिन शेष समय कुछ खास-खास लोगों से मिलने में बीता। अनेक भारतीयों, अफगानों, पाकिस्तानियों, ईरानियों, नेपालियों, रूसियों और कई अरब शेखों से खुलकर संवाद हुआ। इस संवाद से पहली बात तो मुझे यह पता चली कि दुबई के हमारे प्रवासी भारतीयों में भारत की विदेश नीति का बहुत सम्मान है। हमलोग नरेंद्र मोदी और विदेश नीति की कई बार दिल्ली में कटु आलोचनाएं भी सुनते हैं लेकिन यहां तो उसका असीम सम्मान है। संयुक्त अरब अमारात के टीवी चैनलों और अखबारों का स्वर भी इस राय से काफी मिलता-जुलता है। पड़ोसी देशों के प्रमुख लोगों ने, इधर मैं जो दक्षिण और मध्य एशिया के 16 देशों का जन-दक्षेस नामक नया संगठन खड़ा कर रहा हूँ, उसमें भी पूर्ण सहयोग का इरादा प्रकट किया है। मुझे यह जानकर और भी अच्छा लगा कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के कुछ प्र...
राजधर्म निर्वाह की मिसाल

राजधर्म निर्वाह की मिसाल

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- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री भारतीय चिंतन में कर्मयोग और संन्यास का वृहत विश्लेषण है। इन पर अमल करने वालों की अनवरत परंपरा रही है। अनगिन शासकों और राजनेताओं ने समाज के लिए निजी हित और पारिवारिक जीवन का परित्याग किया। नरेन्द्र मोदी और योगी आदित्यनाथ जैसे राजनेता आज भी इस महान विरासत को चरितार्थ कर रहे हैं। योगी आदित्यनाथ ने विधिवत संन्यास ग्रहण किया है। वह संन्यास धर्म की मर्यादाओं में रहते हुए समाज सेवा के पथ पर चल रहे हैं। अपने पूर्व आश्रम पिता के निधन का समाचार सुनते हैं। लेकिन कोरोना आपदा प्रबंधन के कार्यों में लगे रहते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आध्यात्मिक रूप से संन्यास आश्रम ग्रहण नहीं किया है। वह भारतीय चिन्तन के अनुरूप सामाजिक संन्यास पर अमल करते हैं। अपनी मां की अंतिम यात्रा में जाते हैं। इसके बाद उनका राजधर्म निर्वाह शुरू हो जाता है। पहले से तय कार्यक्रमों में कोई बदलाव नहीं ...
नमामि गंगे का परिवहन पहलू

नमामि गंगे का परिवहन पहलू

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- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री साल 2014 के आम चुनाव में नरेन्द्र मोदी ने काशी में कहा था- 'मुझे मां गंगा ने बुलाया है।' वो लंबे समय से पतित-पावन गंगा नदी को निर्मल और अविरल बनाने का सपना देख रहे थे। काशी और हल्दिया को उन्होंने जल मार्ग से जोड़ने की बात कही थी। आजादी के बाद पहली बार नमामि गंगे की सूत्रधार मोदी सरकार ने जल परिवहन की शुरुआत की है। यह काशी के साथ ही पूरे उत्तर प्रदेश के लिए उपलब्धि है। इतना ही नहीं इसका फायदा पश्चिम बंगाल तक दिखाई देने लगा है। जितना सामान लेकर पानी का पहला जहाज आया उतना समान लाने के लिए सोलह ट्रक लगते। यह जल परिवहन के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम है। यह कार्य आजादी के बाद से ही करना चाहिए था। लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। वर्तमान सरकार द्वारा सैकड़ों नेशनल जल मार्ग पर कार्य किया जा रहा है। बिहार , झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, सभी जल मार्ग से जुड़ रहे हैं। व्य...
काशी- तमिल संगमम: राजऋषि के पथ पर नरेन्द्र मोदी

काशी- तमिल संगमम: राजऋषि के पथ पर नरेन्द्र मोदी

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- संजय तिवारी काशी में जो परसों हुआ वह सनातन संस्कृति के इतिहास का महानतम पृष्ठ है। प्राचीन सनातन शास्त्रों में वर्णित ऋषि अगस्त्य की यात्रा से लेकर भगवान आदि शंकराचार्य की समूची परंपरा बहुत सलीके से नई पीढ़ी के सामने प्रस्तुत हो रही है। भारत के वर्तमान राजनीतिक सत्ता के स्वामी की राजनीतिक पृष्ठभूमि से बिल्कुल अलग नरेन्द्र दामोदर दास मोदी के रूप में हम भारत के उस सनातन राज ऋषि को साक्षात देख रहे हैं जो एक-एक कर सनातन प्रतीकों की पुनर्स्थापना कर विश्व की इससे परिचित कराने में पूरी शक्ति से जुटा हुआ है। यह भारत के लिए स्वर्णिम भविष्य के आधार के निर्माण की दिशा में एक ऐसा पाठ है जिसको वर्तमान और भविष्य की पीढ़ी बड़े सलीके से पढ़ भी रही है और स्वीकार भी कर रही है। यह संयोग ही अद्भुत है। यह लिखना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यह केवल एक आयोजन अथवा घटना भर नहीं है। इसके पीछे निश्चित रूप से दैव योग भ...
जी-20 सम्मेलन और उत्तर प्रदेश

जी-20 सम्मेलन और उत्तर प्रदेश

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- आर.के. सिन्हा भारत में अगले साल 2023 में आयोजित होने वाला जी-20 शिखर सम्मेलन देश के पर्यटन क्षेत्र को मजबूती देने के लिहाज से एक बेहद अहम अवसर के रूप में सामने आ रहा है। यह सम्मेलन आगामी वर्ष 9 और 10 सितंबर को राजधानी नई दिल्ली में होगा। इस सम्मेलन में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोपियन यूनियन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, कोरिया गणराज्य, तुर्की, ब्रिटेन और अमेरिका के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तथा अति महत्वपूर्ण व्यक्ति भाग लेंगे। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 1 दिसम्बर, 2022 से 30 नवम्बर, 2023 तक पूरे एक वर्ष के लिए जी-20 की अध्यक्षता करेंगे। इसके साथ ही देशभर में इस साल दिसंबर से ही बैठकों के दौर शुरू हो रहे हैं। ये बैठकें राजधानी दिल्ली के अलावा देश के अन्य प्रमुख शहरों में होंगी। हमारे प्रधानमंत्री न...
नरेन्द्र मोदी का नेतृत्व और भारत का आत्मविश्वास

नरेन्द्र मोदी का नेतृत्व और भारत का आत्मविश्वास

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- ह्रदय नारायण दीक्षित भारत के धरती और आकाश केसरिया हो गए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत का आत्मविश्वास सातवें आसमान पर है। अब भारत की ओर दुनिया की कोई भी महाशक्ति आंख नहीं उठा सकती। एक नई तरह का सांस्कृतिक पुनर्जागरण चल रहा है। हम भारत के लोग अपनी विशेष संस्कृति के कारण दुनिया के अद्वितीय राष्ट्र हैं। विदेशी सत्ता के दौरान यहां धर्म, संस्कृति और सांस्कृतिक प्रतीकों के अपमान का वातावरण था। भारतीय ज्ञान परंपरा को अंधविश्वास कहा जा रहा था। पश्चिम से आयातित सेकुलर विचार ने भारतीय परंपरा को अपमानित करने का पाप किया था। हिन्दू होना अपमानजनक था। मोदी ने भारत के स्वाभाविक विचार प्रवाह को नेतृत्व दिया। धार्मिक सांस्कृतिक प्रतीक गर्व के विषय बने। मोदी ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उदघाटन कार्यक्रम में श्रेष्ठ भारत का बिगुल फूंका। सांस्कृतिक कार्यक्रम से चिढ़े कथित प्रगतिशील सेकु...