Friday, November 22"खबर जो असर करे"

Tag: Mulayam Singh Yadav

स्मृति शेषः राजनीति के पहलवान मुलायम सिंह यादव का यूं जाना

स्मृति शेषः राजनीति के पहलवान मुलायम सिंह यादव का यूं जाना

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- सियाराम पांडेय'शांत' राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' ने 'तुमुल'खंड काव्य में लिखा है कि म्रियमाण मरता है बहाना ढूंढ लेता काल है । लेकिन इन सबके बीच काल भी व्यक्ति के जीवन वृत्त,उससे जुड़े अफसाने लंबे समय तक भुलाने में समर्थ नहीं हो सकता । और अगर बात राजनीति के किसी महारथी की हो,तो उनकी यादों को भुलाना और भी कठिन हो जाता है। समाजवादी पार्टी के संस्थापक और संरक्षक मुलायम सिंह यादव मंगलवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। वे राजनीति के बेजोड़ पहलवान थे। राजनीति में आने से पहले वे कुश्ती लड़ा करते थे। और राजनीति में आकर भी वे कुश्ती ही लड़ते रहे। उनका चरखा दांव बेहद मजबूत था। मौत के अन्तिम दिन तक वे जीवन और मौत की जंग लड़ते रहे लेकिन नियति पर किसका वश चलता है। उनका भी नहीं चला। वो सोमवार को चल बसे। मुलायम सिंह राजनीति की उस शख्सियत का नाम है, जो हर काल में नेताजी ही रहे। वे अपने पीछे ढेर सारे किस्से...
स्मृति शेषः लोहिया को कभी नहीं भूल पाए नेताजी

स्मृति शेषः लोहिया को कभी नहीं भूल पाए नेताजी

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- मुकुंद अब समाजवादी पार्टी के संस्थापक, पूर्व केंद्रीयमंत्री और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव उर्फ नेताजी की यादें ही शेष हैं। वयोवृद्ध नेताजी मेंदाता अस्पताल गुरुग्राम में सोमवार को बीमारी से हार गए। मुलायम के साथ समाजवाद का ताना-बाना भी खामोश हो गया। प्रखर समाजवादी चिंतक और विचारक डॉ. राममनोहर लोहिया ने एक बार कहा था-देश का अगला नेतृत्व ग्रामीण परिवेश का होगा। आज देश को मुलायम सिंह जैसे जुझारू, संकल्प के धनी और कर्मठ नेतृत्व की आवश्यकता है। मुलायम सिंह ताउम्र समाजवादी रहे। वह अपने राजनीतिक स्वप्नदृष्टा लोहिया को कभी नहीं भूल पाए। छोटे लोहिया के नाम से प्रसिद्ध पूर्व केंद्रीयमंत्री जनेश्वर मिश्र तो अपने जीवनकाल में यह बात गाहे-बगाहे दोहराते रहे कि लोहिया के बाद मुलायम ही ऐसे नेता हैं जिन्हें जनता के दुखदर्द की समझ है। वे गांव की समस्याओं और गरीबों की पीड़ा के कारणो...