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रानी लक्ष्मीबाई: वीरोचित भाव जगाए मातृशक्ति

रानी लक्ष्मीबाई: वीरोचित भाव जगाए मातृशक्ति

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- डॉ. वंदना सेन वीरांगना नाम सुनते ही हमारे मन-मस्तिष्क में रानी लक्ष्मीबाई की छवि उभरने लगती है। भारतीय वसुंधरा को अपने वीरोचित भाव से गौरवान्वित करने वाली झांसी की रानी लक्ष्मीबाई सच्चे अर्थों में वीरांगना ही थीं। वे भारतीय महिलाओं के समक्ष अपने जीवनकाल में ही ऐसा आदर्श स्थापित करके विदा हुईं, जिससे हर कोई प्रेरणा ले सकता है। वे वर्तमान में महिला सशक्तिकरण की जीवंत मिसाल भी हैं। कहा जाता है कि सच्चे वीर को कोई भी प्रलोभन अपने कर्तव्य से विमुख नहीं कर सकता। ऐसा ही रानी लक्ष्मीबाई का जीवन था। उन्हें अपने राज्य और राष्ट्र से एकात्म स्थापित करने वाला प्यार था। वीरांगना के मन में हमेशा यह बात कचोटती रही कि देश के दुश्मन अंग्रेजों को सबक सिखाया जाए। इसी कारण उन्होंने यह घोषणा की कि मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी। इतिहास बताता है कि इस घोषणा के बाद रानी ने अंग्रेजों से युद्ध किया। वीरांगना लक्ष्मी...

शारदीय नवरात्रिः मातृशक्ति के सम्मान का महापर्व

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- डॉ. अशोक कुमार भार्गव भारत की सांस्कृतिक चेतना के भव्य और विराट स्वरूप की अभिव्यक्ति हमारे पर्व और त्योहार हैं। यह राष्ट्रीय हर्ष, उल्लास, उमंग और उत्साह के भी प्रतीक हैं। ये देशकाल और परिस्थिति के अनुसार अपने रंग-रूप आकार में भिन्न-भिन्न हो सकते हैं और उन्हें व्यक्त करने के तरीके भी अलग-अलग हो सकते हैं। किंतु उनका सरोकार अंततः मानवीय कल्याण, सुख और आनंद की उपलब्धि अथवा किसी आस्था, विश्वास, परम्परा या संस्कार का संरक्षण ही होता है। इस बार शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ 26 सितंबर अर्थात सोमवार से हो रहा है। शक्ति की उपासना का यह पर्व आत्मसंयमी साधकों को आध्यात्मिक प्रेरणा देने की शक्ति का पर्व समूह है। ऋग्वेद के दसवें मंडल में एक पूरा सूक्त शक्ति की आराधना पर केंद्रित है। इसमें शक्ति की भव्यता का दुर्लभ स्वरूप मुखरित हुआ है- " मैं ही ब्रह्म के दोषियों को मारने के लिए रुद्र का धनुष चलाती हूं।...