Friday, September 20"खबर जो असर करे"

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मोहन भागवत और राहुल गांधी

मोहन भागवत और राहुल गांधी

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक देश के अखबारों में छपे दो भाषणों पर आपका ध्यान जाए तो आपको आनंद और दुख एक साथ होंगे। आनंद देने वाला भाषण तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक के मुखिया मोहन भागवत का है और दूसरा दुखद भाषण राहुल गांधी का है। भागवत ने कहा है कि अंग्रेजों के आने के पहले भारत में 70 प्रतिशत लोग शिक्षित थे जबकि इंग्लैंड में उस समय सिर्फ 17 प्रतिशत अंग्रेज शिक्षित थे। अंग्रेजों ने, खासकर लाॅर्ड मैकाले ने जो शिक्षा पद्धति भारत में चलाई, उसके कारण भारत में शिक्षितों की संख्या घटती गई। आज भारत के साक्षरों की संख्या सिर्फ 77 प्रतिशत है जबकि चीन, जापान, श्रीलंका, ईरान जैसे देशों में वह संख्या 90 से 99 प्रतिशत है। भारत के ये लोग शिक्षित नहीं माने जा सकते हैं। इन्होंने कोई विशारद या शास्त्री या एम.ए.-बी.ए. पास नहीं किया है। ये केवल साक्षर हैं यानी सिर्फ अक्षरों और अंकों को जानते-पहचानते हैं। इतनी बड़ी संख्या भ...

हिन्दू होने के मायने

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- वीरेन्द्र सिंह परिहार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने पिछले दिनों मेघालय में कहा था कि हिन्दू बनने के लिए यह जरूरी नहीं कि कोई अपना धर्म बदले। हिमालय के दक्षिण में हिन्द महासागर के उत्तर में और सिंघु नदी के तट के निवासियों को परम्परागत रूप से हिन्दू कहा जाता है। मुगलों और ईसइयों के पहले भी हिन्दू अस्तित्व में थे। हिन्दू धर्म नहीं, बल्कि जीवन जीने का तरीका है। जब आरएसएस हिन्दुत्व की बात करता है तो वह जीवन जीने की इसी तरीके की बात करता है। संघ धर्म विशेष भी बात नहीं करता। हिन्दू शब्द उन सभी को अपने आप में शामिल करता है जो भारत माता के पुत्र हैं। भारतीय पूर्वजों के वंशज हैं और जो भारतीय संस्कृति के अनुसार आचरण करते हैं। भारत में रहने वाले किसी भी भारतीय को हिन्दू बनने के लिए धर्म बदलने की आवश्यकता नहीं है। उल्लेखनीय है कि संघ प्रमुख भागवत इन दिनों मुस्लिम बुद्धिजीवियों औ...