Friday, November 22"खबर जो असर करे"

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रक्षाबंधन पर भी चढ़ा आधुनिकता का रंग

रक्षाबंधन पर भी चढ़ा आधुनिकता का रंग

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- योगेश कुमार गोयल भाई द्वारा बहन की रक्षा का वचन देने के प्रतीक के रूप में मनाए जाने वाले त्यौहार रक्षाबंधन के मायने वर्तमान युग में बहुत बदल गए हैं। रिश्तों के इस पर्व पर अब भावनाओं से ज्यादा राखी की कीमत देखी जाने लगी है। बदले जमाने के साथ रक्षाबंधन मनाने के तौर-तरीकों में तो बदलाव आया ही है, साथ ही कच्चे धागों के रूप में भाई की कलाई पर बांधा जाने वाला भाई-बहन के रिश्ते का यह बंधन अब कच्चे धागों के स्थान पर सोने-चांदी की जंजीरों का रूप ले चुका है। भाईबहन के अटूट प्यार के इस पर्व पर अब आधुनिकता का रंग चढ़ चुका है। समय बदलने के साथ-साथ राखियों का अंदाज पूरी तरह बदल गया है। हर वर्ष रक्षाबंधन पर अब बाजार में सैंकड़ों तरह की नई राखियां आती हैं। लोगों में नए-नए डिजाइनों वाली महंगी राखियों के प्रति दीवानगी इस कदर बढ़ गई है कि अब राखी बनाने वाले बड़े-बड़े निर्माताओं ने तो बाकायदा राखियों के नए-नए ड...
आधुनिकता में विदेशी जीवनमूल्यों का प्रवाह

आधुनिकता में विदेशी जीवनमूल्यों का प्रवाह

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- हृदयनारायण दीक्षित आधुनिकता प्रायः आकर्षण होती है। नई होती है और ताजी प्रतीत होती है। लेकिन वास्तविक आधुनिकता विचारणीय है। आधुनिकता नकली भी होती है। दरअसल आधुनिकता स्वयं में कोई निरपेक्ष आदर्श या व्यवहार नहीं है। इसका सीधा अर्थ ही प्राचीनता का अनुवर्ती है। आधुनिकता प्राचीनता के बाद ही आती है। इसलिए हरेक आधुनिकता की एक सुनिश्चित प्राचीनता होती है। इसी तरह प्राचीनता की भी और प्राचीनता होती है। आधुनिकता को और आधुनिक कहने के लिए उत्तर आधुनिकता शब्द का चलन बढ़ा भी है। सच बात तो यही है कि प्राचीनता और आधुनिकता के विभाजन ही कृत्रिम हैं। काल अखण्ड सत्ता है। काल में न कुछ प्राचीन है और न ही आधुनिक। हम मनुष्य ही काल संगति में प्राचीनता या नवीनता के विवेचन करते हैं। प्राचीनता ही अपने अद्यतन विस्तार में नवीनता और आधुनिकता है। हम आधुनिक मनुष्य अपने पूर्वजों का ही विस्तार हैं। वे भी अपनी विषम परिस्थ...
विवाह भारतीय समाज की मजबूती का आधार

विवाह भारतीय समाज की मजबूती का आधार

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- हृदयनारायण दीक्षित आधुनिक सभ्यता के प्रभाव शुभ नहीं हैं। जीवन के सभी आयामों में आधुनिकता का बुरा प्रभाव पड़ रहा है। परिवार खूबसूरत संस्था है। लेकिन आधुनिकता की चपेट में है। वस्तुतः आधुनिकता प्राचीनता का ही हिस्सा है और उसी का विकास है। भारत प्राचीन सभ्यता है। इस सभ्यता का सतत् विकास हुआ है। आधुनिकता और प्राचीनता को खण्डों में नहीं बांटा जा सकता। प्राचीन सभ्यता से विकसित होकर बनने वाली आधुनिकता स्वागत योग्य है। लेकिन वर्तमान भारत की आधुनिकता में विदेशी सभ्यता की वरीयता है। यह प्राचीन भारतीय सभ्यता, दर्शन और अनुभूति को पिछड़ापन मानती है। उधार की विदेशी आधुनिकता ने राष्ट्रजीवन के सभी क्षेत्रों को कुप्रभावित किया है। ऋग्वेद के रचनाकाल के पहले ही भारत की संस्कृति और सभ्यता का विकास हो चुका था। भारतीय सभ्यता में परिवार आत्मीय संगठन थे। परिवार के सभी सदस्यों के एक साथ रहने और रमने के सूत्र ...
पर्यावरण संरक्षण से ही होगी पृथ्वी की सुरक्षा

पर्यावरण संरक्षण से ही होगी पृथ्वी की सुरक्षा

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- रमेश सर्राफ धमोरा हमारी धरती, जनजीवन को सुरक्षित रखने के लिए पर्यावरण का सुरक्षित रहना बहुत जरूरी है। पूरी दुनिया आधुनिकता की ओर बढ़ रही हैं। दुनियाभर में हर दिन ऐसी चीजों का इस्तेमाल बढ़ रहा है जिससे पर्यावरण खतरे में है। इंसान और पर्यावरण के बीच गहरा संबंध है। प्रकृति के बिना जीवन संभव नहीं। ऐसे में प्रकृति के साथ इंसानों को तालमेल बिठाना होता है। लेकिन लगातार वातावरण दूषित हो रहा है। जिससे कई तरह की समस्याएं बढ़ रही हैं। जो हमारे जनजीवन को तो प्रभावित कर ही रही हैं। साथ ही कई तरह की प्राकृतिक आपदाओं की भी वजह बन रही है। सुखी स्वस्थ जीवन के लिए पर्यावरण का संरक्षण जरूरी है। इसी उद्देश्य से हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस दिन लोगों को विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये प्रकृति को संरक्षित रखने और इससे खिलवाड़ न करने के लिए जागरूक किया जाता है। इन कार्यक्रमों के जरिये लोगों...