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प्रकृति के सभी घटकों पर आधुनिक सभ्यता का आक्रमण

प्रकृति के सभी घटकों पर आधुनिक सभ्यता का आक्रमण

अवर्गीकृत
- हृदयनारायण दीक्षित प्रकृति का प्रत्येक अंश और अंग परस्परावलम्बन में है। सब एक-दूसरे पर आश्रित हैं। न जल स्वतंत्र है और न ही हवा। वनस्पतियां और औषधियां भी स्वतंत्र नहीं हैं। लाखों जीव हैं, वह भी प्रकृति की शक्तियों पर निर्भर हैं। पिछले कुछ समय से प्रकृति के सभी घटकों पर आधुनिक सभ्यता का आक्रमण है। पृथ्वी का ताप बढ़ा है। संभवतः पहली बार भारत के बड़े क्षेत्र में तापमान लगभग 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा। अनेक जीव, पशु और पक्षी इस ताप को सह नहीं पाए। अनेक मनुष्यों की भी इस ताप के कारण मृत्यु हुई। भूमण्डलीय ताप में लगातार वृद्धि का कारण हमारी जीवनशैली है। इसका केन्द्र आधुनिक औद्योगिक सभ्यता है। इस विषय पर कई अंतरराष्ट्रीय बैठकें भी हो चुकी हैं। लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। यही स्थिति जल प्रदूषण की है। नदियां सूख रही हैं। ऋतु चक्र गड़बड़ाया है। प्राचीन भारत में सभी प्राकृतिक शक्तियों और वनस्पतियों...