भारत के मन का मूल उत्स सांस्कृतिक है
- हृदयनारायण दीक्षित
भारत उत्सव प्रिय उल्लासधर्मा देश है। सतत कर्म यहां जीवन साधना है। पूरे वर्ष कर्म प्रधान जीवन और बीच-बीच में पर्व त्योहार और उत्सवों का आनंद। भारत के मन का मूल उत्स सांस्कृतिक है। उत्स का अर्थ है केन्द्र। उत्सव परिधि है। उत्सव उल्लासधर्मा होते हैं। वे भारत के लोक को भीतर और बाहर तक आच्छादित करते हैं। मकर संक्रान्ति का उत्सव ऐसा ही है। यह भारत के सभी हिस्सों में मनाया जा रहा है। नदियों में कड़ाके की ठंढ के बावजूद स्नान ध्यान, पूजन और आनन्द। हम भारत के लोग उत्सवों में समवेत होते हैं, आनन्दित होते हैं। संप्रति मकर संक्रान्ति के अवसर पर ग्रामीण क्षेत्रों में भी आनंद की लहर है।
भारतीय चिंतन में सूर्य ब्रह्माण्ड की आत्मा हैं। सूर्य सभी राशियों पर संचरण करते प्रतीत होते हैं। वस्तुतः पृथ्वी ही सूर्य की परिक्रमा करती है। आर्य भट्ट ने आर्यभट्टीयम में लिखा है, ''जिस तरह नाव म...