Monday, November 25"खबर जो असर करे"

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सुशासन और संस्कृति का संदेश

सुशासन और संस्कृति का संदेश

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- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुशासन और संस्कृति का सुंदर समन्वय किया है। इसमें सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास समाहित है। यह उनके शासन का स्थाई तत्व है। नवरात्र में इसका सहज प्रमाण मिला। योगी बड़ी कुशलता से सुशासन और संस्कृति का समन्वय करते हैं। वह गौरक्ष पीठाधीश्वर हैं। इस रूप में वह कलश स्थापना अनुष्ठान के लिए गोरखपुर गए। इस रूप में इसी दिन उन्होंने विकास कार्यों को भी आगे बढ़ाया। गोरखपुर को पहला ग्रामीण स्टेडियम मिला। विंध्याचल, अयोध्या और काशी की उनकी यात्रा सांस्कृतिक ही नहीं सुशासन की दृष्टि से महत्वपूर्ण रही। सभी जगह उन्होंने विकास कार्यों की समीक्षा की।वस्तुतः सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और सुशासन भाजपा का संबल है। उसका मानना है कि राष्ट्रीय स्वाभिमान किसी देश को शक्तिशाली बनाने में सहायक होता है। देश में इसी विचार के जागरण हो रहा है। अयोध्या में श्रीराम मं...

कर्तव्य पथ का संदेश

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- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री आत्मनिर्भर भारत अभियान केवल अर्थिक क्षेत्र तक सीमित नहीं है। इसमें भारतीय विरासत पर गर्व करने का विचार भी शामिल है। वर्तमान सरकार इस दिशा में भी नए अध्याय जोड़ रही है। कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नौसेना के नए ध्वज का लोकार्पण किया था। इससे क्रास को हटा दिया गया। इसकी जगह छत्रपति शिवाजी की राज मुद्रा को अंकित किया गया। इसके पहले अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने भी नौसेना के ध्वज में सुधार किया था। यह बदलाव यूपीए सरकार को पसन्द नहीं आया था। उसने फिर से क्रास को इसमें प्रतिष्ठित कर दिया। पता नहीं मनमोहन सिंह सरकार ने किसको खुश करने के लिए यह किया था। नरेन्द्र मोदी ने इसको भारतीय गरिमा के अनुरूप बनवाया है। उन्होंने इस साल लालकिले की प्राचीर से परतंत्रता के प्रतीकों से भी मुक्ति का आह्वान किया। क्रास ब्रिटिश काल की रॉयल नेवी के ध्वज में था। इस प्रतीक को बनाए ...

लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री के संदेश के निहितार्थ

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- ऋतुपर्ण दवे लाल किले की प्राचीर से आजादी के गुमनाम मतवालों को याद करते हुए स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संकल्पित अंदाज में दिखे। उन्होंने भ्रष्टाचारियों को ललकारा। भाई-भतीजावाद को नई पीढ़ी के खिलाफ बताया। प्रधानमंत्री ने आने वाले 25 साल के लिए पंच प्रण यानी 5 संकल्पों पर सभी को अपनी शक्ति, संकल्प तथा सामर्थ्य के साथ केंद्रित होने का आग्रह किया। पहला प्रण देश बड़े संकल्प के साथ चले जिसमें हमें विकसित भारत से कम कुछ भी नहीं चाहिए। दूसरा प्रण किसी भी कोने में हमारे मन में गुलामी का लेशमात्र अंश भी न रहे। हमें वैसा ही होना चाहिए जैसे हैं। अब बिल्कुल जरूरी नहीं कि सात समंदर पार के गुलामी के जरा से भी तत्व रह जाएं। दासता के सभी निशान मिटा दें। तीसरा प्रण हमें हमारी अपनी विरासत पर गर्व करना होगा। यही वो विरासत है जो कभी भारत का स्वर्णिम काल था और जिस पर हमें गर्व होना ...

द्रौपदी मुर्मू के हिन्दी में शपथ लेने का संदेश तो समझिए

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- आर.के. सिन्हा भारत के 15 वें राष्ट्रपति पद की शपथ हिन्दी में लेकर द्रौपदी मूर्मू ने सारे देश को एक बेहद महत्वपूर्ण संदेश दिया है। मूल रूप से ओडिशा से संबंध रखने वाली द्रौपदी मूर्मू अगर उड़िया या किसी अन्य भाषा में भी शपथ लेती तो कोई अंतर नहीं पड़ता। देश को अपनी सभी भाषाओं और बोलियों पर गर्व है। वो हिन्दी में शपथ लेकर अचानक से सारे देश में पहुंच गईं। समूचे देश ने उन्हें हिंदी में शपथ लेते हुए देखा-सुना। बेशक, हिन्दी देश की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। इस संबंध में कोई विवाद नहीं हो सकता। हिन्दी की सारे देश में स्वीकार्यता है और यह दिन-प्रतिदिन बढ़ भी रही है। अगर छुद्र राजनीति को छोड़ दिया जाए तो इसे सारे देश में बोली और समझी जाती है। कुछ समय पहले ही देश के आठ पूर्वोतर राज्यों के स्कूलों में दसवीं कक्षा तक हिन्दी को अनिवार्य रूप से पढ़ाने पर वहां की राज्य सरकारें राजी हो चुक...