मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियां
- गिरीश्वर मिश्र
आयुर्वेद के अनुसार यदि आत्मा, मन और इंद्रियां प्रसन्न रहें तो आदमी को स्वस्थ कहते हैं । ऐसा स्वस्थ आदमी ही सक्रिय हो कर उत्पादक कार्यों को पूरा करते हुए न केवल अपने लक्ष्यों की पूर्ति कर पाता है बल्कि समाज और देश की उन्नति में योगदान भी कर पाता है । निश्चय ही यह एक आदर्श स्थिति होती है परंतु यह स्थिति किसी भी तरह निरपेक्ष नहीं कही जा सकती। जीवन का आरम्भ और जीने की पूरी प्रक्रिया परिस्थितियों के बीच उन्हीं के विभिन्न अवयवों से बनते-बिगड़ते एक गतिशील परिवेश के बीच आयोजित होती है । उदाहरण के लिए देखें तो पाएंगे सांस लेना भी परिवेश से मिलने वाले आक्सीजन पर निर्भर करता है जो नितांत स्वाभाविक और प्राकृतिक लगता है पर प्रदूषण होने पर या फेफड़े में संक्रमण हो तो मुश्किल हो जाती है । कोविड महामारी में यह सबने बखूबी देखा और पाया था ।
वस्तुतः हमारा परिवेश भौतिक, सामाजिक और मानसिक हर...