Friday, November 22"खबर जो असर करे"

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लोकसभा चुनावः यादें सुकुमार सेन और टी.एन. शेषन की

लोकसभा चुनावः यादें सुकुमार सेन और टी.एन. शेषन की

अवर्गीकृत
- आर.के. सिन्हा एक बार फिर देश लोकसभा चुनाव के लिए तैयार है। लोकसभा चुनाव की घोषणा अब कभी भी हो सकती है। देश में चारों तरफ लोकसभा चुनाव का माहौल बनता ही चला जा रहा है। वास्तव में यह भारतीय लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण और खासमखास उत्सव भी है। इस उत्सव में इस बार 86 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे। इनमें 47 करोड़ महिला वोटर होंगी। इस उत्सव में देश के 28 राज्य और नौ केंद्र शासित शामिल होंगे। लोकसभा चुनाव को सफलता पूर्वक करवाने की जिम्मेदारी डेढ़ करोड़ सरकारी अफसरों पर होगी। करीब सवा करोड़ मतदान केन्द्रों में जाकर मतदाता देश के 543 लोकसभा सांसदों का चुनाव करेंगे। यह सब आंकड़े गवाह हैं कि भारत से बड़ा और व्यापक संसदीय चुनाव विश्व भर में कहीं और नहीं होता। बहरहाल, भारत में अब तक लोकसभा के 17 चुनाव हो चुके हैं। पहली लोकसभा के चुनाव 25 अक्टूबर 1951 से 21 फरवरी 1952 के बीच कराए ...
इंदौरः प्रवासी भारतीय सम्मेलन की यादों को बनाया जाएगा चिरस्थायी

इंदौरः प्रवासी भारतीय सम्मेलन की यादों को बनाया जाएगा चिरस्थायी

देश, मध्य प्रदेश
- स्कीम नम्बर 113 में बनेगा ग्लोबल पार्क, सम्मेलन में आने वाले अतिथि रोपेंगे पौधे इंदौर(Indore)। शहर में इस माह आयोजित होने वाले प्रवासी भारतीय सम्मेलन (Pravasi Bhartiya Sammelan) की याद को चिरस्थायी बनाने के लिये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) की मंशा के अनुरूप ग्लोबल पार्क (Global Park) विकसित किया जाएगा। यह पार्क स्कीम नम्बर 113 में बनाया जाना प्रस्तावित किया गया है। इस पार्क में अतिथियों की याद को सहजने के लिये तीन हजार पौधे रोपित किये जाएंगे। यह पौधे अतिथि स्वयं रोप सकेंगे। इस पार्क को विकसित करने के संबंध में की जा रही तैयारियों की समीक्षा के लिये रविवार को यहाँ कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी ने प्रस्तावित पार्क का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान एमआईसी मेम्बर राजेन्द्र राठौर, नगर निगम आयुक्त प्रतिभा पाल, नगर निगम के उद्यान अधिकारी चेतन पाटिल, सिटी ...

यादें बंटवारे की: शरणार्थी कैसे उठे राख के ढेर से

अवर्गीकृत
- आरके सिन्हा भारत अपनी स्वाधीनता के 75 साल पूरे कर रहा है। सारे देश में उत्साह और उल्लास का वातावरण बन गया है। लेकिन, भारत को आजादी की बड़ी कीमत देश के बंटवारे के रूप में अदा करनी पड़ी थी। यह भी एक कटु सत्य है। हजारों निर्दोषों ने अपनी जानें गंवाई। लाखों लोगों को अपने घरों से दूर जाकर अपनी नई दुनिया बसानी पड़ी थी। आज जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तो हमें उन पंजाबी और बंगाली शरणार्थियों को अवश्य याद रखना होगा, जिन्होंने कठिन और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपने हिस्से का आसमान छुआ। पंजाब से आये शरणार्थियों ने कारोबारी दुनिया में अपनी कड़ी मेहनत और जीवटता से अभूतपूर्व सफलता हासिल की। अगर आप राजधानी दिल्ली में रहते हैं या फिर वहां पर आते-जाते रहते हैं तो आपने वहां लोकप्रिय बंगाली मार्केट के पास तानसेन मार्ग के कोने पर स्थित फेडरेशन ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) का भवन देखा ह...