समरकंद में समरबंद की कोशिश
- डॉ. वेदप्रताप वैदिक
उज्बेकिस्तान के समरकंद में 15-16 सितंबर को शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य-राष्ट्रों का जो शिखर-सम्मेलन होनेवाला है, वह दक्षिण और मध्य एशिया के राष्ट्रों के लिए विशेष महत्व का है। यूं तो यह संगठन 2001 में स्थापित हुआ था लेकिन इस बार इसकी अध्यक्षता भारत करेगा। अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में अब भारत को अन्य राष्ट्रों के साथ चीन और पाकिस्तान से भी सीधे-सीधे बातचीत करनी होगी। शायद यह भी कारण रहा हो कि चीन और भारत ने मिलकर पूर्वी लद्दाख से अपनी सेनाएं पीछे हटाने की घोषणा की है। यह शिखर सम्मेलन उज्बेकिस्तान के ऐतिहासिक शहर समरकंद में होने वाला है। समरकंद का भारत से गहरा संबंध रहा है। समरकंद का बड़ा ऐतिहासिक महत्व है। यूं तो ताशकंद प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री गए थे। भारत-पाकिस्तान समझौते के बाद 1966 में वहीं उनका निधन हो गया था।
प्रधानमंत्री नरसिंह राव ताशकंद के साथ-साथ समरकंद ...