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भाजपा ने की रोटी, कपड़ा, मकान, पढ़ाई और दवाई की चिंताः शिवराज

भाजपा ने की रोटी, कपड़ा, मकान, पढ़ाई और दवाई की चिंताः शिवराज

देश, मध्य प्रदेश
भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि 2005-06 में मुख्यमंत्री बनने के बाद जब मैं झाबुआ (Jhabua) आया था, तो यहां सड़कें नहीं (no roads) थी, बिजली नहीं (no electricity) आती थी, पानी नहीं था। गांवों में स्कूल, छात्रावास और आश्रम शालाएं नहीं थीं। बच्चों को पढ़ने के लिए मीलों पैदल (had to walk miles) जाना पड़ता था। मैंने संकल्प लिया कि बच्चों को पैदल स्कूल नहीं जाने दूंगा और हमने भांजे-भांजियों को साइकिलें दी। यहां सीएम राइज स्कूल (CM Rise School) भी खोला जा रहा है, जिसमें अच्छे प्राइवेट स्कूलों की तरह लायब्रेरी, लैब, खेल मैदान और सभी सुविधाएं होंगी। उन्होंने कहा कि मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि यहां विकास का जितना काम भाजपा सरकार ने किया, कभी कांग्रेस ने किया था क्या? हमने पेसा एक्ट लागू करके आदिवासी भाइयों को जल, जंगल और जमीन का अधिकार दिय...
भोपालः दवा का ओवरडोज लेकर महिला डॉक्टर ने की आत्महत्या

भोपालः दवा का ओवरडोज लेकर महिला डॉक्टर ने की आत्महत्या

देश, मध्य प्रदेश
भोपाल (Bhopal)। राजधानी भोपाल के गांधी मेडिकल कालेज (Gandhi Medical College) में अध्ययनरत एक जूनियर महिला डॉक्टर (Junior female doctor committed suicide) ने बुधवार को आत्महत्या कर ली। शाम को सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और घटनास्थल से सीरिंज और इंजेक्शन बरामद कर लिया है। पुलिस को आशंका है कि आकांक्षा ने दवा का ओवरडोज लेकर आत्महत्या की है। पुलिस के अनुसार मृतक का नाम आकांक्षा माहेश्वरी उम्र 24 वर्ष है। वह गांधी मेडिकल कालेज के पीडियाट्रिक विभाग में पीजी की पढ़ाई कर रही थी। पुलिस को सुसाइड नोट मिला है, जिसमें लिखा है कि वह इतनी मजबूत नहीं है और इतना स्ट्रेस नहीं झेल पा रही है। आकांक्षा ने सुसाइड नोट में अपने माता-पिता और दोस्तो से भी माफी मांगी है। उसने लिखा है कि अपनी निजी कारणों से वह जान दे रही है। पुलिस के अनुसार आकांक्षा ग्वालियर की रहने वाली थी। पुलिस अभी उसकी साथियों के बयान ल...
डाक्टरी को ठगी का धंधा न बनाएँ

डाक्टरी को ठगी का धंधा न बनाएँ

अवर्गीकृत
- डॉ. वेदप्रताप वैदिक कर्नाटक और गुजरात के मेडिकल कालेजों ने गज़ब कर दिया है। उन्होंने अपने छात्रों की फीस बढ़ा कर लगभग दो लाख रु. प्रति मास कर दी है। यानी हर छात्र-छात्रा को डाॅक्टर बनने के लिए लगभग 25 लाख रु. हर साल जमा करवाने पड़ेंगे। यदि डाॅक्टरी की पढ़ाई पांच साल की है तो उन्हें सवा करोड़ रु. भरने पड़ेंगे। आप ही बताइए कि देश में कितने लोग ऐसे हैं, जो सवा करोड़ रु. खर्च कर सकते हैं? लेकिन चाहे जो हो, उन्हें बच्चों को डाक्टर तो बनाना ही है। तो वे क्या करेंगे? बैंकों, निजी संस्थाओं, सेठों और अपने रिश्तेदारों से कर्ज लेंगे, उसका ब्याज भी भरेंगे और बच्चों को किसी तरह डाॅक्टर की डिग्री दिला देंगे। फिर वे अपना कर्ज कैसे उतारेंगे? या तो वे कई गैर-कानूनी हथकंडों का सहारा लेंगे या उनका सबसे सादा तरीका यह होगा कि वे अपने डाॅक्टर बने बच्चों से कहेंगे कि तुम मरीजों को ठगो। उनका खून चूसो और कर्ज चुकाओ। ...
भारत विश्व शक्ति कैसे बने?

भारत विश्व शक्ति कैसे बने?

अवर्गीकृत
- डॉ. वेदप्रताप वैदिक भारत की सरकारों से मेरी शिकायत प्रायः यह रहती है कि वे शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम क्यों नहीं उठाती हैं? कांग्रेस और भाजपा की सरकारों ने छोटे-मोटे कुछ कदम इस दिशा में जरूर उठाए पर नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 2018 में आयुष्मान बीमा योजना से देश के करोड़ों गरीब लोगों को राहत मिल रही है। यह योजना सराहनीय है। मगर इस देश का स्वास्थ्य मूल रूप से सुधरे, इसकी कोई तदबीर आज तक सामने नहीं आई है। फिर भी इस योजना से देश के लगभग 40-45 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा। वे अपना 5 लाख रुपये तक का इलाज मुफ्त करवा सकेंगे। उनके इलाज का पैसा सरकार देगी। अभी तक देश में लगभग 3 करोड़ 60 लाख लोग इस योजना के तहत अपना मुफ्त इलाज करवा चुके हैं। उन पर सरकार ने अब तक 45 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किया है। देश की कुछ राज्य सरकारों ने भी राहत की इस रणनीति को अपना लिया...