जातिगत जनगणना का मतलब वोट के लिए समाज को तोड़ने की साजिश
- श्याम जाजू
अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार में जातिगत जनगणना के नतीजे जारी किए गए हैं। यह 17 साल से सत्ता पर काबि नीतीश कुमार की मंशा पर सवाल उठाते हैं। बिहार जैसे प्रदेश में जहां पहले लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और फिर नीतीश कुमार के नेतृत्व में कुल 32 वर्षों से पिछड़ों का ही राज हो, वहां आज भी पिछड़ों के पिछड़ा रह जाने का राग अलापा जाए तो सवाल खड़े ही होंगे। जाहिर है इतने वर्ष चुप रहने के बाद चुनावी फायदे की चाह में करवाई गई जाति जनगणना एक राजनीतिक षड्यंत्र और प्रपंच ही है। वैसे भी बिहार में व्यग्तिगत राजनीतिक स्वार्थों के लिए की गई ये प्रक्रिया संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है, क्योंकि 1948 के जनगणना कानून में जातिगत जनगणना करवाने का कोई प्रावधान ही नहीं है। जनगणना का विषय संविधान की सातवीं अनुसूची की पहली सूची में आता है और इसलिए इस तरह की जनगणना को कराने का अ...