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संत कबीर के दोहों में छुपा जीवन का मर्म

संत कबीर के दोहों में छुपा जीवन का मर्म

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- योगेश कुमार गोयल मध्यकालीन युग के महान कवि संत कबीर दास ने अपना सारा जीवन देशाटन करने और साधु-संतों की संगति में व्यतीत कर दिया और अपने उन्हीं अनुभवों को उन्होंने मौखिक रूप से कविताओं अथवा दोहों के रूप में लोगों को सुनाया। इनमें जीवन का मर्म छुपा है। अपनी बात लोगों को बड़ी आसानी से समझाने के लिए उन्होंने उपदेशात्मक शैली में लोक प्रचलित और सरल भाषा का प्रयोग किया। उनकी भाषा में ब्रज, अवधी, पंजाबी, राजस्थानी तथा अरबी फारसी के शब्दों का मेल था। अपनी कृति सबद, साखी, रमैनी में उन्होंने काफी सरल और लोक भाषा का प्रयोग किया है। गुरु के महत्व को सर्वोपरि बताते हुए समाज को उन्होंने ज्ञान का मार्ग दिखाया। संत कबीर सदैव कड़वी और खरी बातें करने वाले ऐसे स्वच्छंद विचारक थे, जिन्होंने समाज में फैली कुरीतियों, कर्मकांड, अंधविश्वास, अंध श्रद्धा और आडम्बरों की कड़ी आलोचना करते हुए समाज में प्रेम, सद्भावना,...
मणिपुर हिंसा को इस अर्थ में भी देखिए

मणिपुर हिंसा को इस अर्थ में भी देखिए

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- रमेश शर्मा हिंसा के तीन सप्ताह बीत जाने के बाद भी मणिपुर में सामाजिक तनाव कम नहीं हुआ है । वहां यह हिंसा न तो पहली है और न अंतिम । अभी सशस्त्र बलों की उपस्थिति से हमलावर छिप गए हैं। स्थिति नियंत्रण में लग रही है पर हिंसक तत्व सक्रिय हैं। सशस्त्र बलों के कम होने के बाद वे फिर सक्रिय होंगे और अपने हिंसक अभियान में जुटेंगे। इसका कारण यह है कि यह हिंसा किसी भीड़ के अचानक हिंसक हो जाने की घटना नहीं है अपितु बहुसंख्यक को भगाने अथवा उन्हें रूपान्तरित करने के षड्यंत्र का अंग है जो मणिपुर में वर्षों से चल रहा है । मणिपुर से हिंसा के जो समाचार मीडिया के माध्यम से आए उनमें कहा गया कि यह हिंसा आरक्षण के समर्थन और विरोध की प्रतिक्रिया है । दिखने-दिखाने में तो यही लगता है । इस हिंसा की वास्तविकता कुछ और है । मणिपुर में ऐसी हिंसा वर्षों से चल रही है। अकेले मणिपुर में ही क्यों, ऐसी हिंसा देश भर में हो ...
ईरान-सऊदी अरब की दोस्ती के मायने

ईरान-सऊदी अरब की दोस्ती के मायने

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक मेरी समझ में विदेश नीति के मामले में चीन, भारत से कुछ आगे निकल रहा है, इसका ताजा उदाहरण हमारे सामने है। हम चीन को अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अपना प्रतिद्वंद्वी समझते हैं और अपनी जनता को यह समझाते रहते हैं कि देखो, हम चीन से कितने आगे हैं लेकिन शुक्रवार को ईरान और सऊदी अरब के बीच जो समझौता हुआ है, उसका सारा श्रेय चीन लूट रहा है। पिछले सात साल से ईरान और सऊदी अरब के बीच राजनयिक संबंध भंग हो चुके थे, क्योंकि सऊदी अरब में एक शिया मौलवी की हत्या कर दी गई थी। ईरान एक शिया राष्ट्र है। तेहरान स्थित सऊदी राजदूतावास पर ईरानी शियाओं ने जबरदस्त हमला बोल दिया था। सऊदी सरकार ने कूटनीतिक रिश्ता तोड़ दिया। इस बीच सऊदी अरब और ईरान पश्चिम एशियाई देशों के आंतरिक मामलों में एक-दूसरे के विरुद्ध हस्तक्षेप भी करते रहे। यमन, सीरिया, एराक और लेबनान जैसे देशों में एक-दूसरे के समर्थकों को सैन्...
हिंदू राष्ट्र के मायने

हिंदू राष्ट्र के मायने

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- वीरेंद्र सिंह परिहार इन दिनों देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी बागेश्वरधाम सरकार यानी धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री चर्चा में हैं। उनका दावा है कि वह ब्रिटिश पार्लियामेंट को भी सम्बोधित कर चुके हैं। यही नहीं वहां उपस्थित समुदाय से ‘जय श्री राम’ का नारा भी लगवा चुके हैं। इस समय सबसे खास बात यह कि वह अपने कार्यक्रमों में जोर देकर यह कह रहे हैं भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना है। स्वाभाविक है इस देश में बहुत से लोगों को हिंदू शब्द से ही करंट लगता है। कुछ लोग उनके इस अभियान को साम्प्रदायिक दृष्टि से देखते हैं। शास्त्री जब यह कहते हैं कि दुनिया में सिर्फ सनातनी धर्म ही है। सभी पंथ या मजहब हैं। इस परिप्रेक्ष्य में यह जानना जरूरी है कि भारत की शीर्ष अदालत भी यह कह चुकी है के हिंदू शब्द भौगोलिक एवं संस्कृति-बोधक है। इसका मतलब यह हुआ कि हिंदू शब्द राष्ट्र का पर्याय तो है ही साथ ही वह कोई पंथ एवं मजहब न...
जासूसी गुब्बारा या मौसम अनुसंधान पोत को मार गिराए जाने के मायने

जासूसी गुब्बारा या मौसम अनुसंधान पोत को मार गिराए जाने के मायने

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- कमलेश पांडेय दुनियावी देशों की निगरानी क्षमताओं का परीक्षण करने के लिए चीन ने जो 'जासूसी गुब्बारा' उड़ाया था, अमेरिकी आसमान में उसका प्रवेश होने के बाद अमेरिकी वायुसेना ने उसे अपनी मिसाइल से मार गिराया। वहीं, चीन ने असैन्य मानव रहित यान पर अमेरिका द्वारा हमला करने का कड़ा विरोध जताते हुए इस कथित जासूसी गुब्बारे को अपना मानव रहित मौसम अनुसंधान पोत बताया और अमेरिका को अंजाम भुगतने की धमकी दी। इस घटनाक्रम का संदेश स्पष्ट है। एक ओर जहां अमेरिका ने अपने वायुक्षेत्र का स्पष्ट उल्लंघन समझकर जासूसी गुब्बारे के खिलाफ सख्त कार्रवाई करके दुनिया के सामने अपनी सम्प्रभुता की रक्षा को लेकर एक नजीर पेश की है, वहीं दूसरी ओर चीन को यह स्पष्ट संकेत दे दिया है कि उसकी तकनीक दुनिया की अव्वल तकनीक है, जिससे किसी का भी बच निकलना सम्भव नहीं है। देखा जाए तो इससे वैश्विक पटल पर चीन के नापाक इरादों की कलई एक बार ...
इतिहास में शोध का दायरा बढ़ाने की वकालत के मायने

इतिहास में शोध का दायरा बढ़ाने की वकालत के मायने

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- कमलेश पांडेय क्या आपको पता है कि आधुनिक इतिहास में शोध का दायरा बढ़ाने की वकालत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी क्यों कर रहे हैं? जवाब होगा, शायद इसलिए कि साम्राज्यवादी ताकतों द्वारा रणनीतिक रूप से लिखवाए गए ऐतिहासिक कथ्यों और भ्रामक तथ्यों से जनमानस को मुक्ति मिले। देश शोधपूर्ण तथ्यों, लोकश्रुतियों में रचे-बसे कथ्यों से अवगत हो सकें। भारतीय राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक चेतना को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए यह बहुत जरूरी है। यह आज की सबसे बड़ी वैज्ञानिक और विषयगत जरूरत है। नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय की वार्षिक आम बैठक में प्रधानमंत्री की टिप्पणी के कई मायने हैं। हालांकि, जब आप इस नजरिये से यानी मध्यकालीन भारतीय इतिहास और प्राचीन भारतीय इतिहास को भी शोधपरक दृष्टि से देखेंगे, जांचेंगे, परखेंगे और फिर लिखेंगे तो आम जनमानस में वह इतिहास दृष्टि विकसित होगी, जिससे वर्तमान ही नहीं बल्कि भविष्य को ...
इजरायल में सत्ता परिवर्तन, भारत के लिये मायने

इजरायल में सत्ता परिवर्तन, भारत के लिये मायने

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- आर.के. सिन्हा भारत के मित्र बेंजामिन नेतन्याहू के इजराइल के आम चुनाव में जीत से भारत का प्रसन्न होना स्वाभाविक है। भारत-इजराइल संबंधों को नयी बुलंदियों पर लेकर जाने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बेंजामिन नेतन्याहू ने अबतक कई शानदार इबारतें लिखी है। दोनों नेताओं के बीच निजी मधुर संबंध स्थापित हो गये हैं जो अबतक कायम हैं। इसका लाभ यह हुआ कि दोनों देश तमाम क्षेत्रों में आपसी सहयोग करने लगे। प्रधानमंत्री मोदी ने इजराइल के आम चुनाव में अपने मित्र की विजय पर उन्हें बधाई देते हुए ट्वीट किया, "चुनाव में जीत पर मेरे प्रिय मित्र नेतन्याहू को बधाई। मैं भारत-इजरायल रणनीतिक साझेदारी को और अधिक प्रगाढ़ करने के लिए हमारे संयुक्त प्रयासों को जारी रखने के लिए उत्सुक हूं।" यह मानना होगा कि वैसे तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इजरायल के निवर्तमान प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट के साथ भी मधुर संबंध थे। द...
सहकारी बैंकों को डीबीटी से जोड़ने के मायने

सहकारी बैंकों को डीबीटी से जोड़ने के मायने

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- डॉ. विपिन कुमार भारत में सहकारी आंदोलन के 100 से अधिक वर्ष पूरे हो चुके हैं। 1904 में सहकारी समिति अधिनियम के पारित होने के बाद अब इस दिशा में सबसे बड़ा प्रोत्साहन मिला है। देश में इस आंदोलन की शुरुआत किसानों, श्रमिकों और समाज के अन्य कमजोर वर्ग को अधिक समर्थ बनाने के उद्देश्य के साथ शुरू किया गया था। तब से अब तक सहकारी बैंक एक लंबी यात्रा तय कर चुके हैं। इन बैंकों ने देश के वित्तीय समावेशन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। विशेष रूप से ग्रामीण, निम्न और मध्य परिवार के बैंकिंग और ऋण संबंधित जरूरतों को पूरा करने में। सहकारी बैंकिंग व्यवस्था को ग्रामीण और शहरी जैसे दो भागों में विभाजित किया गया है। मौजूदा समय में देश में 90,000 से भी अधिक प्राथमिक ऋण समितियां, 367 जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक, 33 राज्य सहकारी बैंक और 1579 शहरी सहकारी बैंक हैं। हालांकि, सहकारी बैंकों की इतनी विशाल संख्या और ...
इमरान खान की जीत का अर्थ

इमरान खान की जीत का अर्थ

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक पाकिस्तान संसद की आठ सीटों के लिए हुए उपचुनाव में इमरान खान ने छह सीटें जीत लीं। उनकी पार्टी ‘पाकिस्तान तहरीके-इंसाफ’ ने कुल सात सीटों पर चुनाव लड़ा था। इन सातों सीटों पर उसका बस एक ही उम्मीदवार था। उसका नाम था- इमरान खान। क्या आपने कभी सुना है कि भारत, पाकिस्तान या दुनिया के किसी देश में एक ही उम्मीदवार सात सीटों पर एक साथ खड़ा हुआ है? कभी नहीं। यह पहली बार पाकिस्तान में ही हुआ है। भारत और पाकिस्तान में उम्मीदवारों को यह छूट है कि वे एक से ज्यादा सीटों पर एक साथ चुनाव लड़ सकते हैं लेकिन इमरान खान की खूबी यह है कि वे छह सीटें जीतने के बावजूद पाकिस्तान की संसद में पांव भी नहीं रखेंगे। उनकी पार्टी संसद का बहिष्कार कर रही है। उनका कहना है कि शहबाज शरीफ की यह सरकार विदेश से आयातित है या फौज के द्वारा थोपी गई है। अब जो संसद पाकिस्तान में चल रही है, वह भी फर्जी है। असली स...