जब विकास एक जन-आंदोलन बन गया
- जी. किशन रेड्डी
यह देश प्राचीन सांस्कृतिक विरासत की ऐसी आधारशिला पर बना है, जहां वैदिक काल में हमें केवल एक ही मंत्र बताया जाता था… जिसे हमने सीखा है, जिसे हमने याद किया है – “संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्” – हम साथ चलते हैं, हम साथ आगे बढ़ते हैं, हम साथ मिलकर सोचते हैं, हम मिलकर संकल्प लेते हैं और हम साथ मिलकर इस देश को आगे ले जाते हैं - नरेन्द्र मोदी"
2014 में लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक ऐसे भारत के लिए अपना विज़न अर्थपूर्ण तरीके से सामने रखा, जहां विकास सिर्फ एक एजेंडा नहीं था बल्कि प्रत्येक भारतीय का साझा लक्ष्य था। उन्होंने एक ऐसे भविष्य का संकेत दिया, जहां जनभागीदारी, हमारे सबसे मजबूत हथियार के रूप में और विश्व गुरु के रूप में सत्ता के शिखर पर हमारे दावे के रूप में उभरेगी।
इसी वर्ष प्रधानमंत्री ने कैलेंडर पर एक महत्वपूर्ण तिथि अंकित की 'राष्ट...