वीर बाल दिवस : धर्म रक्षा के लिए दी गई शहादत का अभूतपूर्व उदाहरण
- हितानंद शर्मा
इन पूतन के सीस पर,वार दिए सुत चार। चार मुए तो क्या हुआ जीवित कई हजार।।‘
विश्व इतिहास में बाल्यावस्था में शौर्य, साहस और दृढ़ता की ऐसी अद्वितीय अमर वीरगाथा कहीं और नहीं मिलती जिसमें, 6 और 8 वर्ष की आयु के छोटे साहिबजादों ने धर्म की रक्षा के लिए स्वयं को शहीद कर दिया। गुरु गोबिंद सिंह जी के दोनों साहिबजादों की यह शहादत धर्म रक्षा के लिए दी गई शहादत का अभूतपूर्व उदाहरण है। धर्म त्याग करने पर सब कुछ दिए जाने का प्रलोभन या इसे नहीं मानने पर अमानवीय यातनाएं झेलते हुए मृत्यु के विकल्प में से छोटे साहिबजादों ने शहीद हो जाने का ही संकल्प लिया। उन्हें चुनवा देने के लिए उठाई जा रही ‘खूनी दीवार’ के सामने निडर खड़े दोनो छोटे साहिबजादों ने जपुजी का पाठ करते हुए अपना सर्वस्व राष्ट्र, संस्कृति और धर्म हित समर्पित कर दिया। इस महान शहादत के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए एवं...