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आरक्षणजन्य हिंसा की आग में जलता मणिपुर

आरक्षणजन्य हिंसा की आग में जलता मणिपुर

अवर्गीकृत
- सियाराम पांडेय 'शांत' मणिपुर जल रहा है। वहां जातीय और मजहबी तनाव चरम पर है। तनाव के इस आतिशी जखीरे में राजनीति की माचिस की तीली भी लगी हुई है। आजकल राजनीतिक दल हिंसा को शांत करने से अधिक उसे भड़काने में रुचि ले रहे हैं। जिस मैतेई समुदाय पर सशस्त्र हमले हो रहे हैं, उसमें सर्वाधिक हिंदू हैं और कुछ मुस्लिम हैं जबकि हमलावर समुदाय नगा और कुकी ईसाई धर्म में आस्था रखते हैं। मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के सरकार के प्रस्ताव के चलते इस संघर्ष ने तूल पकड़ा है। नगा और कुकी समुदाय के लोगों को लगता है कि अगर मैतेई को भी अनुसूचित जनजाति में शामिल कर लिया गया तो आरक्षण के तहत मिलने वाले उनके अपने लाभ में विभाजन की स्थिति बनेगी जो उनके समुदाय के लिए मुफीद नहीं है। 30-35 लाख की जनसंख्या वाले मणिपुर में तीन मुख्य समुदाय हैं; मैतई, नगा और कुकी। जनसंख्या में भी मैतई ज्यादा हैं और राज्य में...
मणिपुर हिंसा को इस अर्थ में भी देखिए

मणिपुर हिंसा को इस अर्थ में भी देखिए

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- रमेश शर्मा हिंसा के तीन सप्ताह बीत जाने के बाद भी मणिपुर में सामाजिक तनाव कम नहीं हुआ है । वहां यह हिंसा न तो पहली है और न अंतिम । अभी सशस्त्र बलों की उपस्थिति से हमलावर छिप गए हैं। स्थिति नियंत्रण में लग रही है पर हिंसक तत्व सक्रिय हैं। सशस्त्र बलों के कम होने के बाद वे फिर सक्रिय होंगे और अपने हिंसक अभियान में जुटेंगे। इसका कारण यह है कि यह हिंसा किसी भीड़ के अचानक हिंसक हो जाने की घटना नहीं है अपितु बहुसंख्यक को भगाने अथवा उन्हें रूपान्तरित करने के षड्यंत्र का अंग है जो मणिपुर में वर्षों से चल रहा है । मणिपुर से हिंसा के जो समाचार मीडिया के माध्यम से आए उनमें कहा गया कि यह हिंसा आरक्षण के समर्थन और विरोध की प्रतिक्रिया है । दिखने-दिखाने में तो यही लगता है । इस हिंसा की वास्तविकता कुछ और है । मणिपुर में ऐसी हिंसा वर्षों से चल रही है। अकेले मणिपुर में ही क्यों, ऐसी हिंसा देश भर में हो ...