मानगढ़ बलिदान: आध्यात्मिक चेतना और आंदोलन का आधार
- कौशल मूंदड़ा
हम जब भी भारतीय सनातन संस्कृति के बड़े आंदोलनों या बदलावों पर नजर डालते हैं तो उनके मूल में एक ही बात परिलक्षित होती है, वह है हमारी आध्यात्मिक चेतना। सनातन संस्कृति की संतानों में पीढ़ी-दर-पीढ़ी यह एक ऐसा तत्व है जो कभी निश्चेत नहीं हुआ। जब भी हमें कहीं से भी आध्यात्मिक अनुभव का प्रभाव प्राप्त होने लगता है, हमारा मन-मस्तिष्क उसकी ओर आकर्षित स्वतः होने लगता है। संभवतः यही कारण है कि बड़े आंदोलन हों या बड़े बदलाव, उनका आधार आध्यात्मिक चेतना रहा।
चाहे हम महात्मा गांधी के सत्याग्रह आंदोलन को ही लें तो उनके आंदोलन में ‘वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड़ पराई जाने रे..’ भजन प्रमुख रूप से होता था और उसमें शामिल हर जन उसकी अनुभूति में जरूर शांति का अनुभव करता होगा और जब मन शांत होता है तो मानव स्वभाव के अनुसार वह सही-गलत का निर्णय करने में अशांत मन से ज्यादा सक्षम होता है। इसी अवधारणा को...