Friday, September 20"खबर जो असर करे"

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वैश्विक परिप्रेक्ष्य में हिंदी

वैश्विक परिप्रेक्ष्य में हिंदी

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- गिरीश्वर मिश्र अनुमान किया जा रहा है कि इक्कीसवीं सदी में विश्व पटल पर भारत और चीन देशों की मुख्य भूमिका हो सकती है। वे कई परिवर्तनों की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट करते हैं। संचार माध्यमों के तीव्र विस्तार के साथ कई अर्थों में ‘विश्व-व्यवस्था’ और ‘विश्व-गांव’ जैसे जुमले वास्तविकता का आकार ले रहे हैं। व्यापार–वाणिज्य को बढावा देने के लिए नए किस्म की जरूरतें पैदा हो रही हैं। अपने हितों को देखते हुए अनेक बहुराष्ट्रीय कंपिनियां भारत के साथ व्यापार बढ़ा रही हैं। चूंकि उपभोक्ता या ग्राहक हिंदी क्षेत्र में अधिक हैं अतः अर्थ तंत्र की संघटना में हिंदी की स्थिति अपेक्षाकृत मजबूत हुई है। इस बीच सूचना-प्रौद्योगिकी का भी अप्रत्याशित विस्तार हुआ है जिसने भाषा-व्यवहार , कार्य के परिवेश और कार्य पद्धति में एक अनिवार्य बदलाव आ रहा है। हिंदी भाषा की क्षमता को कई तरह से आंका जाता है। उसके बोलने वालों का बढ़ता...

मप्र को “बाघ प्रदेश” बनने में राष्ट्रीय उद्यानों के प्रबंधन की मुख्य भूमिका

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- ऋषभ जैन सभी वन्य जीवों में बाघ को विशाल हृदय वाला संभ्रांत प्राणी माना जाता है। यह गर्व की बात है कि देश में सबसे ज्यादा बाघ मध्यप्रदेश में है और मध्यप्रदेश को बाघ प्रदेश का दर्जा मिला है। अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस 29 जुलाई मध्यप्रदेश के लिये विशेष महत्व का दिन है। यह दिवस अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बाघों की जातियों की घटती संख्या, उनके अस्तित्व और संरक्षण संबंधी चुनौतियों के प्रति जन-जागृति के लिए मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष विश्व बाघ दिवस 29 जुलाई को मनाए जाने का निर्णय वर्ष 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग बाघ सम्मेलन में किया गया था। इस सम्मेलन में बाघ की आबादी वाले 13 देशों ने वादा किया था कि वर्ष 2022 तक वे बाघों की आबादी दोगुनी कर देंगे। इस लक्ष्य को प्राप्त करने में मध्यप्रदेश में बाघों के प्रबंधन में निरंतरता और उत्तरोत्तर हुए सुधार बहुत महत्वपूर्ण हैं। बाघों की संख्या में 33 प्रतिशत की वृ...