Friday, September 20"खबर जो असर करे"

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अमृतकाल में महात्मा गांधी का स्मरण

अमृतकाल में महात्मा गांधी का स्मरण

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- गिरीश्वर मिश्र भारत की आजादी का अमृत महोत्सव हर भारतीय के लिए जहां गर्व का क्षण है वहीं आत्म-निरीक्षण का अवसर भी प्रस्तुत करता है । पराधीनता की देहरी लांघ कर स्वाधीनता के परिसर में आना निश्चय ही गौरव की बात है । लगभग दो सदियों लम्बे अंग्रेजों के औपनिवेशिक परिवेश ने भारत की जीवन पद्धति को शिक्षा, कानून और शासन व्यवस्था के माध्यम से इस प्रकार आक्रांत किया था कि देश का आत्मबोध निरंतर क्षीण होता गया। इसके फलस्वरूप हम एक पराई दृष्टि से स्वयं को और दुनिया को भी देखने के अभ्यस्त होते गए । उधार ली गई विचार की कोटियों के सहारे बनी यथार्थ की समझ और उसके मूल्यांकन की कसौटियां ज्ञान-विज्ञान में नवाचार और आचरण की उपयुक्तता के मार्ग में आड़े आती रहीं और राजनैतिक दृष्टि से एक स्वतंत्र देश होने पर भी देश को मानसिक बेड़ियों से मुक्ति न मिल सकी। मानसिक अनुबंधन के फलस्वरूप पाश्चात्य को (जो स्वयं में मूलत...
महबूबा भी गांधी को जान लें बिहार की मार्फत

महबूबा भी गांधी को जान लें बिहार की मार्फत

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- आर.के. सिन्हा महात्मा गांधी जैसी पवित्र शख्सियत का जन्म सदियों में एक बार होता है। वे अपने जीवनकाल में करोड़ों लोगों को अपने विचारों से प्रभावित करते हैं। उनके न रहने के सात दशकों के बाद भी करोड़ों लोग उन्हें अपना आदर्श मानते हैं। आज हजारों- लाखों लोग गांधी के रास्ते संसार को बेहतर बनाने की हरचंद कोशिशें कर रहे हैं। पर मन तब उदास हो जाता है जब हमारे ही कुछ कथित नेता गांधी जी का जाने-अनजाने अपमान करने से बाज नहीं आते। पिछले कुछ दिनों से जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती बार-बार कह रही हैं कि गांधी जयंती पर भी राज्य के स्कूलों में सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन नहीं होना चाहिए। उन्हें लगता है कि यह भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र पर हमला है। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने स्कूलों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने यहां गांधी जयंती (02 अक्टूबर) पर सर्वधर्म प्रार्थना सभा ...