Friday, November 22"खबर जो असर करे"

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सात समंदर पार से अपनों के लिए उमड़ता प्यार

सात समंदर पार से अपनों के लिए उमड़ता प्यार

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- आर.के. सिन्हा अब लगभग हर रोज मीडिया में भारत से बाहर बसे भारतीयों की उल्लेखनीय उपलब्धियों पर खबरें होती हैं। विश्व बैंक का अध्यक्ष बनने से लेकर किसी देश का राष्ट्राध्यक्ष, प्रधानमंत्री, सांसद वगैरह बन रहे हैं भारतीय। बात यहां तक ही सीमित नहीं है। संसार के कोने-कोने में रहने वाले भारतीयों ने अपने देश के खजाने को अपने पैसे से लबालब भर दिया है। रिजर्व बैंक के फरवरी, 2023 तक के आंकड़े बता रहे हैं कि रिजर्व बैंक का एनआरआई डिपाजिट 136 अरब रुपये हो चुका है। एनआरआई का मतलब है नॉन रेजीडेंट इंडियन (अप्रवासी भारतीय) है। साफ है लगभग तीन करोड़ भारतवंशी तथा एनआरआई अपने वतन को खुशहाल करने का ठोस काम कर रहे हैं। इसलिए यह समझना गलत होगा कि वे सात समंदर जाते ही भारत को भूल जाते हैं। ऐसा नहीं है। वे कहीं भी चले जाएं, पर रहते भारतीय ही हैं। उनकी पहचान भारतीय के रूप में होती है। वे भी गर्व करते हैं कि उन्ह...
निवेश के लक्ष्य में अपनों की महत्वपूर्ण भूमिका

निवेश के लक्ष्य में अपनों की महत्वपूर्ण भूमिका

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- गिरीश पांडेय अपने तो अपने ही होते हैं। किसी को भी अपनों से ही सर्वाधिकअपेक्षा भी होती है। जरूरत पर तो और भी। पिछले करीब साढ़े पांच साल में उत्तर प्रदेश बदलाव के जिस सकारात्मक दौर से गुजर रहा है उसे और तेज करने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश की जरूरत होगी। इसके लिए अपने पहले कार्यकाल से ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार प्रयासरत हैं। इन्वेस्टर्स समिट से लेकर देश की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली मुंबई में रोड शो भी कर चुके हैं। प्रवासी उद्यमियों के एक सत्र में उन्होंने कहा था कि उत्तर प्रदेश में बहुत कुछ बदला है। तरक्की ने गति पकड़ ली है। इन्वेस्टर्स समिट और दो आयोजनों के जरिये 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आना इसका सबूत है। तरक्की की ये गति वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान भी नही रुकी। इस दौरान करीब 45 हजार करोड़ रुपये का विदेशी निवेश आया। यह प्रदेश की सरकार, उसकी नीतियों और कानून व्यवस्था...
अपनों ने कराई गहलोत की फजीहत

अपनों ने कराई गहलोत की फजीहत

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- रमेश सर्राफ धमोरा राजस्थान कांग्रेस में चल रहे राजनीतिक घमासान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस आलाकमान के निशाने पर आ गए हैं। उनके अपने चहेते नेताओं द्वारा करवाई गई फजीहत के चलते गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से लिखित में माफी मांगनी पड़ी। इसके साथ ही सोनिया गांधी के आवास के बाहर आकर मीडिया के समक्ष भी उन्हें बार-बार माफी मांगने की बात दोहरानी पड़ी। ऐसी स्थिति का सामना मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपने पचास साल के राजनीतिक कैरियर में शायद ही कभी करना पड़ा हो। कुछ समय पहले तक तो मुख्यमंत्री गहलोत कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने जा रहे थे। उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर कांग्रेस आलाकमान में सर्वसम्मति बन चुकी थी। वहीं एकाएक घटनाचक्र इतनी तेजी से घूमा कि कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना तो दूर अब तो उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी भी खतरे में नजर आने लगी है। गहलोत समर्थकों न...