प्रभु श्रीराम: मानवीय जीवन के आदर्श
- डॉ. अरविन्द पाण्डेय
रामनवमी, आदर्शों के पुंज मर्यादा पुरुषोत्तम के इस धराधाम पर अवतीर्ण होने का पावन दिवस है। अगस्त्य संहिता के अनुसार चैत्र शुक्ल नवमी को मध्याह्न में पुनर्वसु नक्षत्र में जब चंद्रिका, चंद्र और बृहस्पति तीनों समन्वित थे; पाँच ग्रह अपनी उच्चावस्था में थे, सूर्य मेष राशि में थे, लग्न कर्कटक थी, तब श्रीराम का जन्म हुआ था। इस दिन किया हुआ व्रतानुष्ठान अगस्त्य संहिता के अनुसार सांसारिक सुख एवं अलौकिक आनंद देने वाला है। अशुद्ध, पापिष्ठ व्यक्ति भी इस व्रत से अपने पापों से मुक्त हो जाता है और सबसे सम्मान पाता है।
रामनवमी का पर्व देश के कोने-कोने में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इसका धार्मिक-परंपरागत स्वरूप जो भी हो; इसका मूल उद्देश्य भगवान श्रीराम की परम पावन लीलाओं का सुमिरन करना और उनके आदर्श चरित्र का चिंतन-मनन करना है तथा उनके द्वारा निर्देशित एवं स्थापित आदर्शों ...