Friday, September 20"खबर जो असर करे"

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विजय दशमी की प्रासंगिकता

विजय दशमी की प्रासंगिकता

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- गिरीश जोशी क्या हमारे पूर्वजों ने विजय दशमी उत्सव को शस्त्र और शास्त्र का पूजन करने भगवान राम की विजय का स्मरण कर रावण के पुतले का दहन करने की परंपरा का पालन करने के लिए हमारी जीवन पद्धति में शामिल किया था या इस उत्सव के कुछ ओर निहितार्थ रहे हैं। आज इस उत्सव की क्या प्रासंगिकता है ऐसे अनेक सवाल विशेषकर युवाओं के मन में उठते है । एक ओर इस उत्सव को सत्य की असत्य पर विजय,अच्छाई की बुराई पर विजय के रूप में मनाने की परंपरा हजारों वर्षों से हमारे देश में चल रही है। दूसरी ओर देश में आमतौर पर समाज की मानसिकता में विजिगीषु वृत्ति (विजयी भाव) दिखाई नहीं पड़ती है। विजिगीषु वृत्ति वाला समाज दासभाव से भरी निराशाजनक मानसिकता से ऊपर उठकर प्रत्येक कार्य सफल होने के लिए, हर संघर्ष में विजय होने की भावना से ही मैदान में उतरता है। लेकिन समान्यतः देश में पराक्रमी उद्यमशीलता,कर्मशीलता तथा साहस से जोखिम उठाक...
शक्ति-पूजा का पर्व है दशहरा

शक्ति-पूजा का पर्व है दशहरा

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- रमेश सर्राफ धमोरा दशहरा हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन होता है। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था। इसीलिये इस दशमी को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है। इसी दिन लोग नया कार्य प्रारम्भ करते हैं। इस दिन शस्त्र-पूजा की जाती है। इस दिन जगह-जगह मेले लगते हैं। रामलीला का समापन होता है। रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है। दशहरा शब्द हिंदी के दो शब्दों दस और हारा से मिलकर बना है। जहां दस गणित के अंक दस (10) और हारा शब्द पराजित का सूचक है। इसलिए यदि इन दो शब्दों को जोड़ दिया जाए तो दशहरा बनता है। जो उस दिन का प्रतीक है जब दस सिर वाले दुष्ट रावण का भगवान राम ने वध किया था। दशहरा अथवा विजयादशमी पर्व को भगवान राम की विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप में। दोनों ही रूप...