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मप्रः भगवान परशुराम की जन्मस्थली जानापाव में परशुराम लोक निर्माण के लिए हुआ भूमि पूजन

मप्रः भगवान परशुराम की जन्मस्थली जानापाव में परशुराम लोक निर्माण के लिए हुआ भूमि पूजन

देश, मध्य प्रदेश
- मुख्यमंत्री ने की घोषणा- जानापाव की पहाड़ी पर भी पहुँचेगा नर्मदा का जल, रोपवे भी लगेगा भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने मंगलवार शाम को पावन स्थली जानापाव (holy place Janapav) में भगवान परशुराम लोक के निर्माण (Creation of Lord Parshuram Lok) के लिए भूमि पूजन किया। इस अवसर पर उन्होंने भगवान परशुराम की जन्मस्थली (Birth place of Lord Parshuram) जानापाव की पहाड़ी तक नर्मदा जल लाने तथा रोपवे लगाने के प्रयास प्रारंभ करने की भी घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि जानापाव में 10 करोड़ 32 लाख रुपये की लागत से परशुराम लोक का निर्माण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह तीर्थस्थल सर्व सुविधाओं से युक्त बनाया जाएगा। इससे हर श्रद्धालुओं को इसका लाभ मिलेगा। इस मौके पर पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर, जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, सांसद बीडी शर्म...
भगवान परशुरामः अधर्म के विनाशी

भगवान परशुरामः अधर्म के विनाशी

अवर्गीकृत
- ऋतुपर्ण दवे धर्म को सरल और बेहद कम शब्दों में इस तरह भी समझा जा सकता है कि समाज द्वारा स्वीकृत वो मान्यताएं हैं, जिस पर चल कर मनुष्य कितना भी शक्तिशाली हो जाए किसी दूसरे का अहित नहीं कर सकता है तथा संतुलित व मर्यादित रहता है। वह धर्म नीति ही है जो मानवता का बोध कराने, अत्याचार, अनाचार, साधु-संतों के उत्थान के लिए भगवान का अनेकों रूप बनवाती है ताकि दुष्टों का संहार, विश्व कल्याण के साथ धर्म जो मनुष्य को उसकी सीमाओं में रखता है, उसकी रक्षा की जा सके। भगवान परशुराम ऐसे ही धर्मपरायण थे जो क्रोध के वशीभूत होकर अनाचारियों के लिए किसी काल से कम न थे। परशुराम ही इतिहास के पहले ऐसा महापुरुष हैं जिन्होंने किसी राजा को दंड देने के लिए दूसरे राजाओं को भी सबक सिखा नई राज व्यवस्था बनाई जिससे हाहाकार मच गया। परशुराम की विजय के बाद संचालन सही ढंग से न होने से अपराध और हाहाकार की स्थिति बनी। इससे घबराए...
सबसे व्यापक और प्रचंड अवतार है भगवान परशुराम का

सबसे व्यापक और प्रचंड अवतार है भगवान परशुराम का

अवर्गीकृत
- रमेश शर्मा पृथ्वी पर सत्य, धर्म और न्याय की स्थापना के लिए भगवान नारायण ने अनेक अवतार लिए हैं। इनमें परशुराम का अवतार पहला पूर्ण अवतार है। जो सर्वाधिक व्यापक है। संसार का ऐसा कोई कोना, कोई क्षेत्र या कोई देश ऐसा नहीं, जहां भगवान परशुराम की स्मृति या चिह्न नहीं मिलते हों। उन्होंने संसार में शांति और मानवता की स्थापना के लिए पूरी पृथ्वी की सतत यात्राएं कीं। यदि यह कहा जाय कि विश्व में आर्यत्व की स्थापना भगवान परशुराम ने की तो यह सच्चाई का महत्वपूर्ण तथ्य होगा। भगवान् परशुराम का चरित्र वैदिक और पौराणिक इतिहास में सबसे प्रचंड और व्यापक है। उन्हें नारायण के दशावतार में छठे क्रम पर माना गया। वे पहले पूर्ण अवतार हैं। उन्हें चिरंजीवी माना गया इसीलिए उनकी उपस्थित हरेक युग में मिलती है। उनका अवतार सतयुग के समापन और त्रेतायुग आरंभ के संधि क्षण में हुआ। वह वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया थी। चूंकि उन...