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प्रासंगिक है भगवान महावीर का अहिंसा दर्शन

प्रासंगिक है भगवान महावीर का अहिंसा दर्शन

अवर्गीकृत
- योगेश कुमार गोयल ‘अहिंसा परमो धर्मः’ सिद्धांत के लिए जाने जाते रहे भगवान महावीर का अहिंसा दर्शन आज के समय में सर्वाधिक प्रासंगिक और जरूरी हो गया है क्योंकि वर्तमान समय में मानव अपने स्वार्थ के वशीभूत कोई भी अनुचित कार्य करने और अपने फायदे के लिए हिंसा के लिए भी तत्पर दिखाई देता है। आज के परिवेश में हम जिस प्रकार की समस्याओं और जटिल परिस्थितियों में घिरे हैं, उन सभी का समाधान भगवान महावीर के सिद्धांतों और दर्शन में समाहित है। अपने जीवनकाल में उन्होंने ऐसे अनेक उपदेश और अमृत वचन दिए, जिन्हें अपने जीवन तथा आचरण में अमल में लाकर हम अपने मानव जीवन को सार्थक बना सकते हैं। भगवान महावीर के प्रमुख अमृत वचन - संसार के सभी प्राणी बराबर हैं, अतः हिंसा को त्यागिए और ‘जीओ व जीने दो’ का सिद्धांत अपनाइए। - जिस प्रकार अणु से छोटी कोई वस्तु नहीं और आकाश से बड़ा कोई पदार्थ नहीं, उसी प्रकार अहिंसा क...
महावीर जयंती: प्रासंगिक हैं तीर्थंकर भगवान महावीर के विचार

महावीर जयंती: प्रासंगिक हैं तीर्थंकर भगवान महावीर के विचार

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- योगेश कुमार गोयल ‘अहिंसा परमो धर्म’ का सिद्धांत प्रतिपादित करने वाले भगवान महावीर का अहिंसा दर्शन आज सर्वाधिक प्रासंगिक और जरूरी प्रतीत होता है, मानव अपने स्वार्थ के वशीभूत कोई भी अनुचित कार्य करने और अपने फायदे के लिए हिंसा के लिए भी तत्पर दिखाई देता है। प्रतिवर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्मोत्सव मनाया जाता है। जैन धर्म के जानकारों के अनुसार भगवान महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व बिहार के कुंडलपुर के राजघराने में हुआ था। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस साल चैत्र शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी 03 अप्रैल की प्रातः 6ः24 बजे शुरू होगी, जिसका समापन 04 अप्रैल की प्रातः 8ः05 बजे होगा। ऐसे में महावीर जयंती 04 अप्रैल को है। भगवान महावीर ने जीवन पर्यन्त अपने अमृत वचनों से समस्त मानव जाति को ऐसी अनुपम सौगात दी, जिन पर अमल करके मानव चाहे तो...