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Tag: Literature

मप्रः मतदान की प्रेरणा देने वाले साहित्य और गीत का हुआ विमोचन

मप्रः मतदान की प्रेरणा देने वाले साहित्य और गीत का हुआ विमोचन

देश, मध्य प्रदेश
- केप बुक और स्वीप कैलेंडर का विमोचन एवं भारतीय डाक के स्पेशल कवर एनवेलप का हुआ अनावरण भोपाल (Bhopal)। मतदाताओं (voters) को निर्वाचन प्रक्रिया (Election process) में मतदान के लिए प्रोत्साहित करने और युवाओं को निर्वाचन प्रक्रिया से जोड़ने के उद्देश्य से सोमवार शाम को भोपाल के रविंद्र भवन में मतदाता महोत्सव (Voter festival celebrated) मनाया गया। मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार (Chief Election Commissioner Rajiv Kumar), निर्वाचन आयुक्त अनूप चंद्र पांडे (Election Commissioner Anup Chandra Pandey), निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल, मप्र के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन, वरिष्ठ उप निर्वाचन आयुक्त धर्मेंद्र शर्मा, वरिष्ठ उप निर्वाचन आयुक्त नीतेश व्यास, उप निर्वाचन आयुक्त मनोज कुमार साहू, उप निर्वाचन आयुक्त अजय भादू, महानिदेशक डॉ. नीता वर्मा और निदेशक स्वीप संतोष अजमेरा ने महोत्सव में मतदान की...
मध्य प्रदेश: संस्कार, संस्कृति, साहित्य में उन्मेष और उत्कर्ष

मध्य प्रदेश: संस्कार, संस्कृति, साहित्य में उन्मेष और उत्कर्ष

अवर्गीकृत
- डॉ. मयंक चतुर्वेदी भारत अपने गौरवशाली ''स्व'' को जानने के नए संदर्भों में 75 वर्ष का उत्सव मना रहा है। हिमालयी क्षेत्र से आरंभ हुआ ''उन्मेष'' देश के हृदय प्रदेश आ पहुंचा है। 'उन्मेष' का यह दूसरा संस्करण है। पहला आयोजन शिमला में गत वर्ष हुआ ही है। आप पूछ सकते हैं आखिर ये उन्मेष है क्या? वस्तुत: धरती पर सूर्य की पहली किरण पड़ते ही जगत जाग उठता है। जागना अर्थात अंतस की जागृति, क्रिया के रूप में जागना और विचारों में जाग जाना है। आप जब जागे रहते हैं तो आपके बाहर से लेकर अंदर तक सभी कुछ सचेत होता है। आप हर क्रिया की प्रतिक्रिया देने में सक्षम रहते हैं। इसी जागने को संस्कृत में 'उन्मेष' कहा गया। जीवन में 'उन्मेष' आ जाए तो फिर किसी और की आवश्यकता नहीं रहती । यह 'उन्मेष' जीवन से जुड़ी हर जरूरत को पूरा करने में सक्षम है। जैसे कि जो जागा हुआ है, फिर उसे किस का भय ! स्वभाविक है जो जागा हुआ है, 'उत...
जयंती विशेष: आज भी प्रासंगिक है प्रेमचंद का साहित्य

जयंती विशेष: आज भी प्रासंगिक है प्रेमचंद का साहित्य

अवर्गीकृत
- डॉ. वंदना सेन महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद का साहित्य कालजयी है। उन्होंने देश और समाज के बारे में गंभीर चिंता करते हुए अपनी लेखनी चलाई। समाज की जटिलताओं को कहानी और उपन्यासों के माध्यम से जिस प्रकार से प्रस्तुत किया है, उसके बारे में निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि वे आज भी समसामयिक लगती हैं। कहा जाता है कि साहित्य वही है जो हमेशा प्रासंगिक बना रहे। प्रेमचंद ने समाज आधारित साहित्य की रचना की। जो आज भी नवोदित साहित्यकारों के लिए एक सार्थक दिशा का बोध कराता है। वास्तव में प्रेमचंद की रचनाएं समाज का दर्पण हैं। प्रेमचंद जी साहित्यकारों के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए लिखते हैं कि साहित्यकार का काम केवल पाठकों का मन बहलाना नहीं है। यह तो भाटों और मदारियों, विदूषकों और मसखरों का ही काम है। साहित्यकार का पद इससे कहीं ऊंचा है, वह हमारा पथ प्रदर्शक होता है। वह हमारे मनुष्यत्व को जगाता है। हमार...
देश-समाज के लिए कार्य करने की प्रेरणा देने वाले साहित्य का हो प्रसार: राज्यपाल पटेल

देश-समाज के लिए कार्य करने की प्रेरणा देने वाले साहित्य का हो प्रसार: राज्यपाल पटेल

देश, मध्य प्रदेश
- राज्यपाल ने किया टैगोर अंतरराष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव 2022 का उद्घाटन भोपाल। राज्यपाल मंगुभाई पटेल (Governor Mangubhai Patel) ने कहा कि भावी पीढ़ी को देश और समाज के लिए कार्य करने की प्रेरणा (motivation to work for the society) देने वाले साहित्य का प्रसार (dissemination of literature) किया जाना चाहिए। राष्ट्रीय गौरव, आजादी के संघर्ष, अमर वीर-वीरांगनाओं और पर्यावरण चेतना के प्रति सजग बनाने वाले साहित्य का पुस्तकालयों में संकलन किया जाना चाहिए। पाठ्यक्रम की पुस्तकों के साथ ही साहित्य, कला और पर्यावरण आदि विभिन्न विषय पर पुस्तकों की उपलब्धता पुस्तकालयों में होनी चाहिए। राज्यपाल पटेल गुरुवार शाम को राजधानी भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में रविन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय (Rabindranath Tagore University) द्वारा आयोजित टैगोर अंतरराष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव 2022 ...