विशेष: प्रथम गुरु जैसी है मातृभाषा
- डॉ. वंदना सेन
जन्म लेने के बाद शिशु जो प्रथम भाषा सीखता है उसे उसकी मातृभाषा कहते हैं। मातृभाषा, किसी भी व्यक्ति की सामाजिक एवं भाषाई पहचान होती है। मातृभाषा का शाब्दिक अर्थ है मां से सीखी हुई भाषा। बालक यदि माता-पिता के अनुकरण से किसी भाषा को सीखता है तो वह भाषा ही उसकी मातृभाषा कहलाती है। मातृभाषा हम सभी को उस धरातल से जोड़ती है, जो हमें आगे बढ़ते के लिए आधार प्रदान करती है। इसलिए हम यह भी कह सकते हैं कि मातृभाषा हमें राष्ट्रीयता से जोड़ती है और देश प्रेम की भावना उत्प्रेरित भी करती है। जब हम अपनी स्वयं की भाषा से इतर किसी दूसरी भाषा में शिक्षा प्राप्त करते हैं तो स्वाभाविक रूप से वह हमारा बाहरी आवरण ही होता है। क्योंकि हमारे घर का, आसपास का वातावरण मातृभाषा का ही होता है।
इसका दुष्परिणाम यह भी होता है कि हम घर परिवार और समाज से समरस होने का सामर्थ्य खो देते हैं। हम केवल एक भाषा के त...