नेत्रदानः जीवन के बाद दूसरों की आंखों की रोशनी बन जाने का अनुष्ठान
- डॉ. अविनाश चन्द्र अग्निहोत्री
नेत्रदान, ऐसा सामाजिक महायज्ञ जो जाति-धर्म, लिंग, भाषा और क्षेत्र की बाध्यताओं को खत्म कर हर उस व्यक्ति की आहुति स्वीकार करता है, जो बस मनुष्य बनकर पृथ्वीलोक पर आया और स्वयं के जीवन के बाद मनुष्यता की ज्योति जलाए रखने का आकांक्षी है। ऐसा, जैसे अपने जीवन के बाद किसी दूसरे की अंधेरी आंखों में दीपक बनकर जगमगा उठना। किसी की अंधेरी दुनिया को रोशनी से भर देना। अपनी जिन्दगी के बाद औरों की आंखों का नूर बन जाना।
राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा प्रत्येक वर्ष 25 अगस्त से 8 सितम्बर तक शासकीय व अशासकीय संस्थाओं द्वारा मनाया जाता है। इस महत्वपूर्ण अभियान का उद्देश्य नेत्रदान के महत्व को व्यापक स्तर पर जनमानस में जागरूकता पैदा करना तथा लोगों को मृत्युपरांत नेत्रदान की जानकारी के साथ प्रोत्साहित करना।
नेत्रों के मध्य में काले भाग के ऊपर पारदर्शक व सख्त भाग को `कॉर्निया' कहत...