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हिन्दुत्व भारतीय जीवनशैली का माधुर्य गीत

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- ह्रदय नारायण दीक्षित हिन्दुत्व भारतीय जीवनशैली का मधु है। इस मधु में विशेष प्रकार का माधुर्य है। यह किसी एक वृक्ष का मधु प्रसाद या रस नही है। मधुमक्खियां अनेक पौधों के फूलों तक गीत गाते जाती हैं। पुष्प रस संग्रह करते समय पुष्प पर बैठती नहीं हैं। वे फूल को चोट नही पहुंचाती हैं। प्रायः उड़ते-उड़ते हर एक पुष्प से रस लेती हैं। मधु अनेक वृक्षों, पौधों के फूलों का रस होता है। हिन्दुत्व भी ऐसा ही मधुसार है। तमाम विचार, अनेक उत्सव, अनेक परंपराएं, अनेक देवों व उनकी उपासनाओं का रस है हिन्दुत्व। हिन्दू संस्कृति एक है। अनेक रूपों वाली यह संस्कृति अपनी मूल आत्मा में एक है। भारत भूमि हजारों वर्ष से जिज्ञासा की तपस्थली रही है। सतत् शोध और बोध की धरती। ऋग्वेद से लेकर आधुनिक भारत तक यहां की मेधा ने अनुभूति और वैज्ञानिक विवेक का सारभूत ज्ञान रस संग्रहीत किया है। यहां अनेक दार्शनिक विचारधारा उगीं। पूर्व मीम...

हिन्दुत्व में समग्र मानवीय अनुभूति

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- ह्रदय नारायण दीक्षित हिन्दुत्व भारत की प्रकृति है और संस्कृति भी। यह भारत के लोगों की जीवनशैली है। इस जीवनशैली में सभी विश्वासों के प्रति आदर भाव है। लेकिन भारतीय राजनीति के आख्यान में हिन्दुत्व के अनेक चेहरे हैं। उग्र हिन्दुत्व, मुलायम (साफ्ट) हिन्दुत्व, साम्प्रदायिक हिन्दुत्व आदि अनेक विशेषण मूल हिन्दुत्व पर आक्रामक हैं। अंग्रेजी भाषान्तर में हिन्दुत्व को हिन्दुइज्म कहा जाता है। इज्म विचार होता है। विचार 'वाद' होता है। वाद का प्रतिवाद भी एक विचार होता है। पूंजीवाद- कैप्टलिज्म है। समाजवाद सोशलिज्म है। इसी तरह कम्युनिज्म है। अंग्रेजी का हिन्दुइज्म भी हिन्दूवाद का अर्थ देता है। लेकिन हिन्दुत्व हिन्दूवाद नहींं है। हिन्दुत्व समग्र मानवीय अनुभूति है। वीर होना वीरवाद नहींं होता, वीर होने का भाव वीरता है। दयावान होना दयावाद नहींं दयालुता है। हिन्दू होना हिन्दुता या हिन्दुत्व है। कुछ विद्वान ह...