Sunday, November 24"खबर जो असर करे"

Tag: life

पर्यावरण ही जीवन का स्रोत है

पर्यावरण ही जीवन का स्रोत है

अवर्गीकृत
- गिरीश्वर मिश्र हमारा पर्यावरण पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश इन पंच महाभूतों या तत्वों से निर्मित है। आरम्भ में मनुष्य इनके प्रचंड प्रभाव को देख चकित थे। ऐसे में यदि इनमें देवत्व के दर्शन की परम्परा चल पड़ी तो कोई अजूबा नहीं है। आज भी भारतीय समाज में यह एक स्वीकृत मान्यता के रूप में आज भी प्रचलित है। अग्नि, सूर्य, चंद्र, आकाश, पृथ्वी, और वायु आदि ईश्वर के ‘प्रत्यक्ष’ तनु या शरीर कहे गए है। अनेकानेक देवी-देवताओं की संकल्पना प्रकृति के उपादानों से की जाती रही है जो आज भी प्रचलित है। शिव पशुपति और पार्थिव हैं तो गणेश गजानन हैं। सीताजी पृथ्वी माता से निकली हैं। द्रौपदी यज्ञ की अग्नि से उपजी ‘याज्ञसेनी’ हैं। वैसे भी पर्यावरण का हर पहलू हमारे लिए उपयोगी है और जीवन को सम्भव बनाता है। वनस्पतियाँ हर तरह से लाभकर और जीवनदायी हैं। वृक्ष वायु-संचार के मुख्य आधार हैं। शीशम और सागौन के वृक्ष सिर्फ ...
पर्यावरण संरक्षण से ही होगी पृथ्वी की सुरक्षा

पर्यावरण संरक्षण से ही होगी पृथ्वी की सुरक्षा

अवर्गीकृत
- रमेश सर्राफ धमोरा हमारी धरती, जनजीवन को सुरक्षित रखने के लिए पर्यावरण का सुरक्षित रहना बहुत जरूरी है। पूरी दुनिया आधुनिकता की ओर बढ़ रही हैं। दुनियाभर में हर दिन ऐसी चीजों का इस्तेमाल बढ़ रहा है जिससे पर्यावरण खतरे में है। इंसान और पर्यावरण के बीच गहरा संबंध है। प्रकृति के बिना जीवन संभव नहीं। ऐसे में प्रकृति के साथ इंसानों को तालमेल बिठाना होता है। लेकिन लगातार वातावरण दूषित हो रहा है। जिससे कई तरह की समस्याएं बढ़ रही हैं। जो हमारे जनजीवन को तो प्रभावित कर ही रही हैं। साथ ही कई तरह की प्राकृतिक आपदाओं की भी वजह बन रही है। सुखी स्वस्थ जीवन के लिए पर्यावरण का संरक्षण जरूरी है। इसी उद्देश्य से हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस दिन लोगों को विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये प्रकृति को संरक्षित रखने और इससे खिलवाड़ न करने के लिए जागरूक किया जाता है। इन कार्यक्रमों के जरिये लोगों...
संत कबीर के दोहों में छुपा जीवन का मर्म

संत कबीर के दोहों में छुपा जीवन का मर्म

अवर्गीकृत
- योगेश कुमार गोयल मध्यकालीन युग के महान कवि संत कबीर दास ने अपना सारा जीवन देशाटन करने और साधु-संतों की संगति में व्यतीत कर दिया और अपने उन्हीं अनुभवों को उन्होंने मौखिक रूप से कविताओं अथवा दोहों के रूप में लोगों को सुनाया। इनमें जीवन का मर्म छुपा है। अपनी बात लोगों को बड़ी आसानी से समझाने के लिए उन्होंने उपदेशात्मक शैली में लोक प्रचलित और सरल भाषा का प्रयोग किया। उनकी भाषा में ब्रज, अवधी, पंजाबी, राजस्थानी तथा अरबी फारसी के शब्दों का मेल था। अपनी कृति सबद, साखी, रमैनी में उन्होंने काफी सरल और लोक भाषा का प्रयोग किया है। गुरु के महत्व को सर्वोपरि बताते हुए समाज को उन्होंने ज्ञान का मार्ग दिखाया। संत कबीर सदैव कड़वी और खरी बातें करने वाले ऐसे स्वच्छंद विचारक थे, जिन्होंने समाज में फैली कुरीतियों, कर्मकांड, अंधविश्वास, अंध श्रद्धा और आडम्बरों की कड़ी आलोचना करते हुए समाज में प्रेम, सद्भावना,...
वरिष्ठ पत्रकार प्रेम प्रकाश का जीवन युवा पत्रकारों के लिए प्रेरक : शिवराज

वरिष्ठ पत्रकार प्रेम प्रकाश का जीवन युवा पत्रकारों के लिए प्रेरक : शिवराज

देश, मध्य प्रदेश
- मुख्यमंत्री ने "रिपोर्टिंग इंडिया" पुस्तक के हिंदी संस्करण का किया विमोचन भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ((Chief Minister Shivraj Singh Chouhan)) ने कहा कि वरिष्ठ पत्रकार प्रेम प्रकाश (senior journalist prem prakash) का जीवन युवा पत्रकारों (young journalists) के लिए प्रेरक है। उन्होंने अपनी योग्यता और लगन से पत्रकारिता के क्षेत्र में संघर्ष करते हुए निरंतर 70 वर्ष अतुलनीय कार्य किया है। उनके व्यापक अनुभव से नई पीढ़ी काफी कुछ सीख सकती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वयं के निर्माण के लिए व्यक्ति किस तरह अपनी जिद, जुनून और जज्बे से सफलता के शिखर तक पहुंचता है, इसका उदाहरण वरिष्ठ पत्रकार प्रेम प्रकाश का जीवन है। मुख्यमंत्री चौहान सोमवार शाम को भोपाल में होटल ताज लेक फ्रंट में वरिष्ठ पत्रकार (एएनआई न्यूज एजेंसी के संस्थापक) प्रेम प्रकाश द्वारा लिखी गई पुस्तक "रिपोर्टिंग इंडिय...
मप्रः सूर्य ग्रहण के दौरान थम सा गया जनजीवन, देर शाम नदी तटों पर उमड़ी भीड़

मप्रः सूर्य ग्रहण के दौरान थम सा गया जनजीवन, देर शाम नदी तटों पर उमड़ी भीड़

देश, मध्य प्रदेश
भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में मंगलवार को सूर्य ग्रहण के दौरान कई शहरों में जनजीवन थम सा (life has come to a standstill) गया। उज्जैन के महाकाल मंदिर (Mahakal Temple of Ujjain) को छोड़कर बाकी सभी मंदिरों के पट बंद रहे। शाम 4.42 बजे से 5.38 बजे तक इस खगोलीय घटना (celestial event) के दौरान चांद ने सूरज के करीब 32 फीसदी हिस्से को ढंक लिया। शाम को ग्रहण खत्म होते ही नदी और तालाबों के तटों पर श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हुआ, जो देर रात तक जारी रहा। श्रद्धालु मां नर्मदा में स्नान कर पूजा-पाठ किया। इधर, भोपाल के रीजनल साइंस सेंटर में बड़ी संख्या में लोग सूर्य ग्रहण की घटना को देखने के लिए पहुंचे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय भी इस खगोलीय घटना को देखने रीजनल साइंस सेंटर पहुंचे। वैज्ञानिक ने उन्हें बिस्किट देते हुए कहा कि आप साइंटिफिक खगोलीय घटना को मानें और बिस्क...
जीवन में आरोग्य

जीवन में आरोग्य

अवर्गीकृत
- गिरीश्वर मिश्र ‘जीवेम शरद: शतम्’ ! भारत में स्वस्थ और सुखी सौ साल की जिंदगी की आकांक्षा के साथ सक्रिय जीवन का संकल्प लेने का विधान बड़ा पुराना है। पूरी सृष्टि में मनुष्य अपनी कल्पना शक्ति और बुद्धि बल से सभी प्राणियों में उत्कृष्ट है। वह इस जीवन और जीवन के परिवेश को रचने की भी क्षमता रखता है। साहित्य,कला, स्थापत्य और ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में उसकी विराट उपलब्धियों को देखकर कोई भी चकित हो जाता है। यह सब तभी सम्भव है जब जीवन हो और वह भी आरोग्यमय हो। परंतु लोग स्वास्थ्य पर तब तक ध्यान नहीं देते जब तक कोई कठिनाई न आ जाए। दूसरों से तुलना करने और अपनी बेलगाम होती जरूरतों और महत्वाकांक्षाओं के बदौलत तरह-तरह की चिंताए कष्ट, तनाव और अवसाद से ग्रस्त होना आज आम बात हो गई है। मुश्किलों के आगे घुटने टेक कई लोग तो जीवन से ही निराश हो बैठते हैं । कुछ लोग इतने निराश हो जाते हैं कि उन्हें कुछ सूझता ...

सायरस मिस्त्री के जीवन से क्या सीखें

अवर्गीकृत
- आर.के. सिन्हा टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमेन सायरस मिस्त्री की सड़क हादसे में अकाल मृत्यु से दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा, मशहूर कलाकार जसपाल भट्टी और कांग्रेस के नेता राजेश पायलट और मोदी सरकार के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री गोपीनाथ मुंडे के सड़क हादसों का याद आना स्वाभाविक है। यह सब सड़क हादसों के ही शिकार हुए। अभी तो इन्हें देश को बहुत कुछ देना था। सायरस मिस्त्री की मौत से भारत का आमजन और कॉरपोरेट संसार हिल सा गया है। मिस्त्री चमक-धमक से दूर रहने वाले एक सज्जन, प्रतिभाशाली और गर्मजोशी से भरे मनुष्य थे। मिस्त्री अपनी पीढ़ी की श्रेष्ठ व्यावसायिक प्रतिभाओं में से एक और बेहद सज्जन किस्म के व्यक्ति थे। उनका वैश्विक दिग्गज कंपनी शापुरजी-पालनजी पालोंजी को खड़ा करने में अहम योगदान था। सायरस मिस्त्री में नेतृत्व के पर्याप्त गुण थे। उन्हीं की सरपरस्ती में शापुरजी-पालनजी मिस्त्री ग्रुप इं...

नहीं रहेंगे पहाड़ और जंगल तो कैसा होगा जीवन

अवर्गीकृत
- योगेश कुमार गोयल दुनिया में मौसम के तेजी से बिगड़ते मिजाज के कारण विभिन्न देशों में प्रकृति की मार नजर आने लगी है। प्रकृति के साथ खिलवाड़ का ही परिणाम है कि इस साल देश के कई हिस्से भारी बारिश के कारण बाढ़ की वजह से त्राहि-त्राहि कर रहे हैं जबकि कई हिस्से मानसून शुरू होने के एक महीने बाद भी ठीक-ठाक बारिश को तरस रहे हैं। दुनिया के कई ठंडे इलाके भी इस वर्ष ग्लोबल वार्मिंग के कारण तप रहे हैं तो कई सूखे इलाके बाढ़ से त्रस्त हैं। जंगल झुलस रहे हैं। बिगड़ते पर्यावरणीय संतुलन और मौसम चक्र में आते बदलाव के कारण पेड़-पौधों की अनेक प्रजातियों के अलावा जीव-जंतुओं की कई प्रजातियों के अस्तित्व पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। पर्यावरण के तेजी से बदलते इस दौर में वैश्विक स्तर पर लोगों का ध्यान इन समस्याओं की ओर आकृष्ट करने के लिए प्रतिवर्ष 28 जुलाई को दुनियाभर में विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस मनाया जाता है, ...