अध्यात्म का उदार चिंतन
- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
परम सत्ता तक पहुंचने के विविध मार्ग बताए गए हैं। यह उदार चिंतन केवल भारत में हुआ। हिन्दुओं के सभी पंथ और उपासना पद्धति के प्रति सम्मान रखिए। इनका सांस्कृतिक सूत्र एक है। भारत में समय-समय पर संतों ने समरसता का ही संदेश दिया। अपने को एक मात्र श्रेष्ठ मानने का विचार भारतीय चिंतन में कभी नहीं रहा। वैदिककाल में कर्म आधारित व्यवस्था थी। ऐसे भी उदाहरण है जब ऋषि ने अपने पुत्र को ही ब्राह्मण नहीं माना था। स्वामी दयानन्द, स्वामी विवेकानंद और आचार्य श्रीराम शर्मा ने वैदिक आधार पर आडम्बर दूर करने के प्रयास किए। इन्होंने गायत्री मंत्र साधना का सबको अधिकार दिया। यह वैदिक अवधारणा है। यह हिन्दू दर्शन की विशेषता है।
हमारे ऋषि कहते हैं मेरा चिंतन जहां तक गया, उसे प्रकट किया। लेकिन यह अंत नहीं है। प्रश्न और जिज्ञासा हिन्दू चिंतन की विशेषता है। समय समय पर संतो महापुरुषों ने समाज को ज...