Friday, September 20"खबर जो असर करे"

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तीनों पार्टियां गदगद, तीनों को सबक

तीनों पार्टियां गदगद, तीनों को सबक

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक गुजरात, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश चुनाव परिणामों का सबक क्या है? दिल्ली और हिमाचल में भाजपा हार गई और गुजरात में उसकी एतिहासिक विजय हुई है। हमारी इस चुनाव-चर्चा के केंद्र में तीन पार्टियां हैं- भाजपा, कांग्रेस और आप। इन तीनों पार्टियों के हाथ एक-एक प्रांत लग गया है। दिल्ली का चुनाव तो स्थानीय था लेकिन इसका महत्व प्रांतीय ही है। दिल्ली का यह स्थानीय चुनाव प्रांतीय आईने से कम नहीं है। दिल्ली में आप को भाजपा के मुकाबले ज्यादा सीटें जरूर मिली हैं लेकिन उसकी विजय को चमत्कारी नहीं कहा जा सकता है। भाजपा के वोट पिछले चुनाव के मुकाबले बढ़े हैं लेकिन आप के घटे हैं। आप के मंत्रियों पर लगे आरोपों ने उसके आकाशी इरादों पर पानी फेर दिया है। भाजपा ने यदि सकारात्मक प्रचार किया होता और वैकल्पिक सपने पेश किए होते तो उसे शायद ज्यादा सीटें मिल जातीं। भाजपा ने तीनों स्थानीय निगमों को मिलाकर...

सायरस मिस्त्री के जीवन से क्या सीखें

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- आर.के. सिन्हा टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमेन सायरस मिस्त्री की सड़क हादसे में अकाल मृत्यु से दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा, मशहूर कलाकार जसपाल भट्टी और कांग्रेस के नेता राजेश पायलट और मोदी सरकार के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री गोपीनाथ मुंडे के सड़क हादसों का याद आना स्वाभाविक है। यह सब सड़क हादसों के ही शिकार हुए। अभी तो इन्हें देश को बहुत कुछ देना था। सायरस मिस्त्री की मौत से भारत का आमजन और कॉरपोरेट संसार हिल सा गया है। मिस्त्री चमक-धमक से दूर रहने वाले एक सज्जन, प्रतिभाशाली और गर्मजोशी से भरे मनुष्य थे। मिस्त्री अपनी पीढ़ी की श्रेष्ठ व्यावसायिक प्रतिभाओं में से एक और बेहद सज्जन किस्म के व्यक्ति थे। उनका वैश्विक दिग्गज कंपनी शापुरजी-पालनजी पालोंजी को खड़ा करने में अहम योगदान था। सायरस मिस्त्री में नेतृत्व के पर्याप्त गुण थे। उन्हीं की सरपरस्ती में शापुरजी-पालनजी मिस्त्री ग्रुप इं...

श्रीलंका के हालात से दुनिया के देशों को लेना होगा सबक

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- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा अव्यावहारिक योजनाएं और जिद किस तरह से किसी देश को रसातल में ले जा सकती है, इसका ताजातरीन उदाहरण श्रीलंका में देखा जा सकता है। पूर्ववर्ती सरकार की जैविक खेती की जिद ने ऐसा संकट खड़ा किया कि श्रीलंका आज दोराहे पर खड़ा हो गया। दरअसल श्रीलंका की पूर्व सरकार के पतन के अन्य कारणों के साथ देश में अन्न संकट का होना रहा। अन्न संकट का कारण भी वहां की नई नीति रही और श्रीलंका सरकार की जैविक खेती की जिद ने उसे गंभीर संकट में धकेल दिया। सरकार ने 2021 में श्रीलंका में सभी प्रकार के रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग पर रोक लगा दी। इसके साथ ही देश के 20 लाख किसानों को जैविक खेती का तुगलकी आदेश दिया गया। तुगलकी इस मायने में कि किसी भी प्रयोग को व्यावहारिक रूप देने से पहले उसके संभावित परिणाम को अवश्य समझना चाहिए। कोई भी नया प्रयोग किया जाता है तो उसके लाभ-हानि का आकलन कर...