सुरक्षित भारत, शक्तिशाली भारत
- प्रो. संजय द्विवेदी
किसी विचारक का कहना है कि तुम्हारा अच्छे से अच्छा सिद्धांत व्यर्थ है, अगर तुम उसे अमल में नहीं लाते। हमारी सुरक्षा चिंताओं से संबंधित कानूनों की भी एक दशक पहले तक यही स्थिति रही है। वर्ष 1947 में तैयार राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति को अभी तक ठीक से परिभाषित नहीं किया जा सका है, वहीं राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 सुरक्षा से ज्यादा राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ इस्तेमाल के लिए ज्यादा जाना जाता रहा है। देश को भीतरी-बाहरी खतरों से सुरक्षित रखने के लिए बने ऐसे तमाम कानून कभी उन उद्देश्यों की पूर्ति में सफल नहीं हो पाए, जिनके लिए उनका निर्माण किया गया था। इसके पीछे ईमानदार प्रयासों की कमी रही हो या इच्छाशक्ति की, या फिर दोनों की, देश ने आजादी के बाद के छह दशकों में बहुत कुछ सहा है। सीमाओं के भीतर भी और सीमाओं पर भी।
एक दशक पहले, जब से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली...